About Chandrashekhar Azad: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई,1906 ,ई को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सीताराम और माता का नाम जगदानी देवी था।
उनके पिता इमानदार स्वाभिमानी साहसी और वचन के पक्के थे। यही गुण चन्द्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिली थी आजाद के सम्मान में अब उनके गांव का नाम बदलकर चन्द्रशेखर आजाद नगर कर दिया गया है ।
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मूल रूप से उनका परिवार उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव से था लेकिन अकाल पड़ने के कारण उनके पिता को अपने पैतृक गांव छोड़कर मध्यप्रदेश के भाबरा गांव में रहने लगे।यह भील जनजाति का इलाका था और इसी वजह से बालक चन्द्रशेखर को भील बालकों के साथ धनुर्विद्या निशाने बाज़ी करने का ख़ूब मौका मिला।
चन्द्रशेखर आजाद का जीवन परिचय – Chandrashekhar Azad Biography in Hindi
नाम | चंद्रशेखर आजाद |
जन्म | 23 जुलाई 1906 |
जन्म स्थान | भाबरा गाँव (चन्द्रशेखर आज़ादनगर) MP |
माता का नाम | जगदानी देवी |
पिता का नाम | सीताराम |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम |
मृत्यू | 27 फरवरी 1931 |
चन्द्रशेखर आजाद की पढ़ाई – Education of Chandrashekhar Azad
चन्द्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गये और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहां उन्होंने कानून भंग आन्दोलन में योगदान दिया था। वे 20 वर्ष की उम्र में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े।
गिरफ्तार होने पर जज के सामने लाएं गये जहां उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतन्त्रता और जेल को अपना घर बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई। हर कोड़ों की मार के साथ उन्होंने वन्दे मातरम और महात्मा गांधी की जय का स्वर बुलंद किया। इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए।
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मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है।
चन्द्रशेखर आजाद
चन्द्रशेखर आजाद के क्रान्ति की शुरुआत – Revolution of Chandrashekhar Azad
जलियांवाला बाग कांड के बाद चन्द्रशेखर को समझ में आया कि आजादी बात से नहीं बन्दूक से मिलेगी।उन दिनों महत्मा गांधी और कांग्रेस का अहिंसात्मक आंदोलन चरम सीमा पर था और पूरे देश में उन्हें भारी समर्थन मिल रहा था।
ऐसे में हिंसात्मक गतिविधियों के पैरों कार कम ही थे चन्द्रशेखर आजाद ने भी महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया।
चन्द्रशेखर आजाद की मृत्यु – chandra shekhar azad death
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अल्फ्रेड पार्क प्रयागराज में 1931 ई० में उन्होंने रूस की बोलशेविक क्रान्ति की तर्ज पर समाजवादी क्रांति का आह्वान किया। उन्होंने संकल्प किया था कि हम कभी पकड़े नहीं जायेंगे और न कभी ब्रिटिश सरकार मुझे फांसी दे सकेंगी।
इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 27 फरवरी 1931 को इसी पार्क में स्वयं को गोली मार कर मातृभूमि के लिए प्राण की आहुति दे दी। इलाहाबाद संगम नगरी में आज ये पार्क आजाद पार्क के नाम से प्रसिद्ध है।
चन्द्रशेखर आजाद के नारे – Chandrasekhar Azad Slogans Hindi
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद जी ने आजादी के दौरान भारतीय लोगो को प्रेरित करने के लिये कई प्रसिध्द नारे दिये, जो निम्न है।
मैं एक ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
चन्द्रशेखर आजाद
भले ही मेरा प्राम्भिक जीवन आदिवासी इलाके में बीता है लेकिन मेरे दिल में संपूर्ण मातृभूमि बस्ती है।
चन्द्रशेखर आजाद
मैं जीवन की अंतिम सांस तक देश के लिए शत्रु से लड़ता रहूंगा।
चन्द्रशेखर आजाद
ऐसी जवानी किसी काम की नहीं जो अपनी मातृभुमि के काम न आ सके।
चन्द्रशेखर आजाद
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चन्द्रशेखर आजाद की कविता – Chandrasekhar Azad Poem (Kavita)
मां हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज,
तेरी बलिवेदी पर चढ़कर मां, निज शीश कटाने आज।
मलिन वेष ये आंसू कैसे, कंपित होता है क्यों गात?
वीर प्रसूति क्यों रोती है, जब लग खंग हमारे हाथ।
धरा शीघ्र ही धसक जाएगी, टूट जाएंगे न झुके तार,
विश्व कांपता रह जाएगा, होगी मां जब रण हुंकार।
नृत्य करेगी रण प्रांगण में, फिर-फिर खंग हमारी आज,
अरि शिर गिराकर यही कहेंगे, भारत भूमि तुम्हारी आज।
अभी शमशीर कातिल ने, न ली थी अपने हाथों में।
हजारों सिर पुकार उठे, कहो दरकार कितने हैं।।