मन क्या है ? यह प्रश्न अधिकांश आध्यात्मिक व्यक्तियों या किसी विशेष व्यक्ति के मन मे उत्पन्न विचार है। अर्थात इस प्रश्न के उत्तर की खोज प्राय: मनुष्य नही करते, ऐसे प्रश्न, योगा-ध्यान करने वाले, आध्यात्मिक व्यक्ति, दार्शनिक, जीवन के वास्तविकता की खोज करने वाले, जैसे विशेष लोग ही इसके खोज मे निकलते है।
मन क्या है? इस प्रश्न का उत्तर यहाँ विस्तार से बताया गया है। लेकिन यह कहा तक शाश्वत है इसपर दावा नही किया जा सकता। परंतु हमने कुछ तर्क व दार्शनिक पुस्तको का अध्ययन करके इस परिणाम तक पहुचे है। उम्मिद है यहाँ आपके सारे प्रश्नो का जवाब मिल जायेगा।
मन क्या है ? और इसकी कल्पना शक्ति
भारतीय संस्कृति मे मन को ही आत्मा का स्वरुप माना गया है। अर्थात मन हर जीव के अन्दर की आत्मा है जो परमात्मा का स्वरूप है।मन को समस्त शक्तियों का भण्डार माना जाता है।
आपको बता दू मन की दो शक्तियां होती है। एक कल्पना शक्ति और दूसरी इच्छा शक्ति। कल्पना शक्ति से मनुष्य अपने विचारो से मजबूत होता है। और इच्छाएं तो अनन्त है एक के बाद एक बढ़ती रहती है। इसीलिए इच्छा शक्ति पर नियंत्रण करने वाला व्यक्ति, हर कार्य को सफल बनाने मे सक्षम होता है।
मन की कल्पना शक्ति बढ़ने से मनुष्य, कवि, वैज्ञानिक, चित्रकार, साहित्यकार, और अनुसंधान कर्ता बनता है। अपनी कल्पना शक्ति के विकास से लोगों को अच्छी कविताएं, अच्छा साहित्य, अच्छे चित्र, तथा वैज्ञानिक खोजों से मनुष्य को सुखी व सम्पन्न बनाता है।
20+Tips मन को शांत कैसे करे | man ko shant kaise kare | mind ko shant kaise kare
मन और आत्मा, चेतना के दो रूप
कुछ लोगों का मानना है कि मन और आत्मा अलग अलग होती है। ये दोनों एक है इसके रुप अलग-अलग है। जब मन विक्षुब्ध होता है तो प्राय: हम कहते हैं मन है, और मन जब शांत हो जाता है तो हम कहते हैं आत्मा है।
मन जो है वह आत्मा की तुफान अवस्था है। और आत्मा जो है वह मन की शान्त अवस्था है। जब तक चेतना हमारे भीतर विक्षुब्ध है विक्षिप्त है, अहंकारो से घिरी है। तो हम इसे मन कहते हैं। इस लिए जब तक आपको मन का पता चलता है, तब तक आत्मा का पता नहीं चलेगा। इसका मतलब ये है कि जब तक मन में उथल पुथल मचा रहेगा तब तक मन है| जब मन शांत हो, तब आपको पता चलता है कि मैं आत्मा हूं।
मन की चंचलता
मन बहुत चंचल है, परन्तु जिसका मन वश में नहीं हुआ हो, उसको चाहिए की मन जिस कारण से सांसारिक पदार्थ रुपी सुख में अनियत्रित है, उसे उससे रोक कर परमात्मा की भक्ति में या अपने कार्य में लगाए।
मन चंचल है। चंचल होना भी जरूरी है।मन का चंचल होना जितना अच्छा है उतना ख़राब भी है।मन चंचल होगा ही क्योंकि मन का प्रयोजन ही ऐसा है कि उसे चंचल होना चाहिए। लेकिन मन के चंचलता को नियंत्रित करके ही आप सुखी व समृध्द जीवन का आनंद पा सकते है। मन को शांत करने के निम्न उपाय है।
- सुबह प्रात: काल उठे और योगा ध्यान करे।
- ईश्वर की पूजा करे।
- शाकाहारी भोजन करे।
- सकारात्मक विचार रखे।
- ज्यादा ना सोचे व तनाव ना ले।
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