साम-दाम-दण्ड-भेद का अर्थ । Saam Daam Dand Bhed

Saam Daam Dand Bhed: साम दाम दण्ड भेद एक ऐसी कूटनीति है। जिसकी सहायता से आप किसी भी व्यक्ती से मनचाहा कार्य करा सकते है। या किसी भी कार्य को अपने अनुकूल कर या करवा सकते है , इस कूटनीती विद्या का उपयोग सर्वप्रथम भारत के महान कूटनीतिज्ञ कौटिल्य चाणक्य जी ने किया था। साम दाम दण्ड भेद का उल्लेख मत्स्य पुराण में भगवन मत्स्य जी के द्वारा किया गया है। Saam Daam Dand Bhed आगे-

Saam Daam Dand Bhed

इस लेख मे हम साम दाम दण्ड भेद (Saam Daam Dand Bhed) का अर्थ जानेंगे। साथ ही इसके उदाहरण को भी देखेंगे।

साम दाम दण्ड भेद का अर्थ

मुख्यरुप से “साम दाम दण्ड भेद” चार शब्दो से मिलकर बना है, जिसका अलग-अलग अर्थ है, “साम का अर्थ- चालाकी” से “दाम का अर्थ – धन” से “दण्ड का अर्थ- बल” से तथा “भेद का अर्थ- चापलूसी” से है। हालाकी लोगो के अनुसार इसके अर्थ बदलते रहते है। लेकिन चाणक्य जी ने बताया की “साम दाम दण्ड भेद” की सहायता से, आप किसी भी कार्य को अपने अनुकूल कर सकते है।

कौटिल्य चाणक्य “राजनीति, कूटनीति, अर्थनीति” के महाविद्वान थे। इन्ही नीतियो के कारण ही “साम दाम दण्ड भेद” नीति की उत्पत्ति हुई। वे अपने विद्या का उपयोग जनकल्याण व अखंड भारत के निर्माण मे लगाते थे।

Note: साम दाम दण्ड भेद का उपयोग सही कार्य करने मे करे, राजनीति,कूट्नीति के महाविद्वान कौटिल्य चाणक्य जी किसी कार्य को पूर्ण करने के लिये “साम दाम दण्ड भेद” का उपयोग करते थे, लेकिन उनका उद्देश्य जनकल्याण व अखंड भारत का निर्माण करना था। न की गलत कार्य, Saam Daam Dand Bhed का सदउपयोग करे।

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साम दाम दण्ड भेद का प्रयोग: “साम दाम दण्ड भेद का उपयोग कहाँ करे, ये हमे समझना होगा, दरअसल इसका उपयोग सामान्य जीवन मे करना थोडा मुश्किल है, अर्थात “साम दाम दण्ड भेद” का उपयोग किसी विशेष मनुष्य के लिये नही किया जाता, यह बडे पैमाने की कूटनीति है, जैसे- किसी देश को अपने वश मे या अधीन करना, देश की रक्षा करना, सरकार बनाना या गिराना, या ऐसे कार्यो मे उपयोग करना, जो समाज के हित मे हो, जनकल्याणी हो, जिससे अखंड भारत का निर्माण हो सके। इत्यादि, कौटिल्य चाणक्य जी का उद्देश्य जनकल्याण करना व अखंड भारत का निर्माण करना था।

साम दाम दण्ड भेद का अर्थ विस्तार से-

साम दाम दण्ड भेद एक प्रकार की विद्या है, जिसकी सहायता से आप किसी भी विपरीत परिस्थिति या कार्य को अपने स्थिति मे कर सकते है। (ऐसे कार्य या परिस्थिति जो- जनकल्याण या अखंड भारत के निर्माण से है)। किसी विशेष के लिये इसका उपयोग हानिकारक हो सकता है। इसलिये इसका उपयोग जनकल्याण के लिये करे।

  • साम का अर्थ : किसी भी कार्य को चालाकी से, समझा कर, सुझाव देकर, इत्यादि से काम करवाना।
  • दाम का अर्थ : किसी भी कार्य को धन, लालच, रिश्वत, पैसा, कीमत इत्यादि के बल पर कार्य कराना।
  • दण्ड का अर्थ: किसी भी कार्य को बल पूर्वक, सजा देकर, मजबूर करके, इत्यादि से कार्य करवाना।
  • भेद का अर्थ: किसी भी कार्य को चापलूसी, गुप्त रहस्यो, इत्यादि से कार्य करवाना।

अर्थात – किसी भी कार्य को, चालाकी, समझा कर, सुझाव देकर करवाया जा सकता है, लेकिन अगर आप असफल हुये तो, दाम का उपयोग कर सकते है, जिसमे किसी कार्य की कीमत, धन, दौलत, लालच, देकर करवाया जा सकता है, अगर आप इस प्रक्रिया मे भी असफल रहे तो, दण्ड की सहायाता से बल पूर्वक, सजा देकर या मजबूर करके कार्य करया जा सकता है, और अंतिम असफलता मे आप भेद का उपयोग कर सकते है, जिसमे चापलूसी, गुप्त रहस्यो की सहायता की अपने कार्य को सम्पूर्ण कर सकते है।

ध्यान रहे, इस कूटनीति विद्या का उपयोग जनकल्याण व अखंड भारत के निर्माण मे होना चाहिये। अर्थात जब देश, राष्ट्र, समाज, धर्म, मानवता की रक्षा करनी हो, तब Saam Daam Dand Bhed उपयोग करे।

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इस लेख मे हमने साम दाम दण्ड भेद (Saam Daam Dand Bhed) के विषय मे विस्तार से जाना, तथा इसके उपयोगिता को समझा, यह लेख आप के लिये कितना मददगार रहा, कमेंट मे अवश्य बताये, तथा ध्यान रहे- साम दाम दण्ड भेद का उपयोग जनकल्याण, व राष्ट्र के लिये करे, हमारे साथ जुडे- अनंत जीवन ग्रूप

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