लिंगाष्टकम स्तोत्रम् एवं अर्थ | lingashtakam stotram in Hindi with pdf

भगवान शिव के सबसे प्रसिध्द श्लोको या स्तोत्र मे से एक लिंगाष्टकम स्तोत्र (Lingashtakam Stotr) है। मुख्यरुप इस मंत्र का जाप भगवान शिव के पावन महीने अर्थात सावन महीने मे किया जाता है। मान्यता है कि जो भी इस मंत्र का पूरे विधि-विधान से जाप करता है उसकी सारी मनोकामनायें पूरी होती है।

Lingashtakam Image

भगवान शिव के लिंगाष्टकम पाठ (Shiv Lingashtakam Stotram) मे कुल 9 श्लोक है तथा सभी श्लोको मे भगवान शिव जी का वर्णन करते हुये उनकी स्तुति की जाती है। आगे के लेख मे हम भगवान शिव के लिंगाष्टकम स्तोत्र एवं पूजा विधि व महत्व को जानेंगे।

लिंगाष्टकम स्तोत्रम् या लिंगाष्टकम लिरिक्स – lingashtakam stotram / lingashtakam lyrics

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥1॥

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥2॥

सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥3॥

कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥4॥

कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥5॥

देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥6॥

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥7॥

सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥8॥

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥9॥

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लिंगाष्टकम का अर्थ – Lingashtakam Meaning Hindi

Lingashtakam Meaning: हम सब भगवान शिव अर्थात शिवलिंग को प्रणाम करते हैं। जिनकी पूजा-अर्चना त्रिदेवो मे ब्रह्मा एवं भगवान विष्णु द्वारा की जाती है तथा आप सभी देवताओं मे पूज्यनीय है, ऐसे शिवलिंग को हम प्रणाम करते है। हे परमपिता, आप सदैव मंत्रो व श्लोको द्वारा पुजित हैं तथा आप शिवलिंग के रुप मे जन्म-मृत्यू व सुख – दु:ख के चक्र का विनाश करते है अर्थात आप सभी को मोक्ष प्रदान करते है।

आप समस्त देवी देवताओं और मुनियों के प्रिय है एवं आप करुणामयी भगवान शिव के स्वरूप के रूप में विद्यमान है, आपके द्वारा ही रावण के अभिमान का भी नाश हुआ, अत: मैं उस सत्य शिवलिंग को आदर व प्रणाम करता हूँ। सुगंधित पदार्थों से लिप्त वह शिवलिंग, जो बुद्धि के विकास को प्रोत्साहित करता है, सिद्ध-सुरों और असुरों के लिए समर्पित है, ऐसे सदाशिव लिंग का मैं सम्मान करता हूँ। और उनका आवाहन करता हू

स्वर्ण और महामणियों से आभूषित (आभूषण से भरे हुये) सर्पों के राजा से सुशोभित तथा सजीवता से ओतप्रोत हम सदा शिवलिंग का सत्कार करते हैं। अगला चरण जिस शिवलिंग को कुम-कुम और चन्दन से सजाया गया है, और जिसका आभूषण कमल की माला से किया गया है, जो हमें सभी पापों से मुक्ति प्रदान करते है, हम ऐसे शिवलिंग को प्रणाम करते है तथा उन्हे हम समर्पित होते हैं।

जिसे सभी देवी देवताओं और गणों द्वारा पवित्र मन और भाव से पूजा जाता है, और जिसकी चमक में करोड़ों सूर्य भी पल्लवित हैं। हम ऐसे शिवलिंग को प्रणाम करते है। जो आठों दलों में पूज्य है और आठ प्रकार की दरिद्रता को नष्ट करने में सहायक है, जो सभी प्रकार के सृजन के मुखिया है, उन सदाशिव लिंग को हम समर्पण करते हैं।

देवी देवताओं और देवगुरुओं द्वारा स्वर्ग के वाटिका में खिलते हुए पुष्पों से पूजे जाने वाले, आकर्षक रूप में प्रतिष्ठित परमात्मा स्वरूप सदाशिव लिंग, जिनका वर्णन नही किया जा सकता, हम उस सदा शिवलिंग को समर्पित होते हैं। जो कोई भी (देवी-देवता, देवगुरु, अन्य) भगवान शिव या शिवलिंग की स्तुति करते है, उस व्यक्ति को परम धाम की प्राप्ति होती है, जहाँ से उसे चिरकालिक आनंद का आभास होता है। अर्थात वह मोक्ष की प्राप्ति करता है। उन शिव को हम प्रणाम करते है।

लिंगाष्टकम चित्र PDF – Lingashtakam PDF Hindi

लिंगाष्टकम स्तोत्रम् एवं अर्थ | lingashtakam stotram in Hindi with pdf
Lingashtakam image with PDF

लिंगाष्टकम अंग्रेजी मे – Lingashtakam in English

Brahma Muraari Sura Aarcita Linggam Nirmala Bhaasita Shobhita Linggam।
Janmaja Duhkha Vinaashaka Linggam Tat Prannamaami Sadaashiva Linggam॥1॥

Deva Muni Pravara Aarcita Linggam Kaama Dahan Karunnaa Kara Linggam।
Raavanna Darpa Vinaashana Linggam Tat Prannamaami Sadaashiva Linggam॥2॥

Sarva Sugandhi Sulepita Linggam Buddhi Vivardhana Kaaranna Linggam।
Siddha Sura Asura Vandita Linggam Tat Prannamaami Sadaashiva Linggam॥3॥

Kanaka Mahaamanni Bhuussita Linggam Phanni Pati Vessttita Shobhita Linggam।
Dakssa Su Yajnya Vinaashana Linggam Tat Prannamaami Sadaashiva Linggam॥4॥

Kungkuma Candana Lepita Linggam Pangkaja Haara Su Shobhita Linggam।
San.cita Paapa Vinaashana Linggam Tat Prannamaami Sadaashiva Linggam॥5॥

Deva Ganna Aarcita Sevita Linggam Bhaavair Bhaktibhir Eva Ca Linggam।
Dinakara Kotti Prabhaakara Linggam Tat Prannamaami Sadaashiva Linggam॥6॥

Asstta Dalo Parivessttita Linggam Sarva Samudbhava Kaaranna Linggam।
Asstta Daridra Vinaashita Linggam Tat Prannamaami Sadaashiva Linggam॥7॥

Suraguru Suravara Puujita Linggam Suravana Pusspa Sada Aarcita Linggam।
Paraatparam Paramaatmaka Linggam Tat Prannamaami Sadaashiva Linggam॥8॥

Linggaassttakam Idam Punnyam Yah Patthet Shiva Sannidhau।
Shivalokam Avaapnoti Shivena Saha Modate॥


डिस्क्लैमर– भगवान शिव के प्रसिध्द स्तोत्रम् अर्थात लिंगाष्टकम स्तोत्रम् को इंटरनेट पर उपलब्ध अन्य स्रोतो से संगहित किया गया है अत: इसकी पुष्टि नही की जा सकती, साथ ही लिंगाष्टकम अर्थ को स्वयं के मनन शक्ति द्वारा अर्थाया गया है जो वस्तुनिष्ठ हो सकता है अत: इसे प्रभाव मे लाने से पूर्व विशेषज्ञ से जांच करा ले।

इस लेख मे हमने भगवान शिव जी के प्रसिध्द लिंगाष्टकम स्तोत्रम् (lingashtakam stotram) एवं उसके अर्थ को जाना, इस लिंगाष्टकम स्तोत्रम् या श्लोक की सहायता से हम भगवान शिव के शिवलिंग की उपासना करते है एवं प्रत्येक श्लोक के माध्यम से हम उनकी व्याख्या एवं स्वयं को उनके प्रेम मे समर्पित करते है।

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