कबीरदास का जीवन परिचय । kabirdas ka jivan parichay in Hindi

Kabirdas ka jivan parichay

कबीरदास जी का जन्म 15वी सदी में भारत के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में सन 1440 ई० में हुआ था, कबीर साहब को एक महान कवि और संत के रुप में जाना जाता है।  इनके गुरु का नाम स्वामी रामानंद था । जो की स्वामी विवेकानंद जी के भी गुरु थे।

Kabirdas ka jivan parichay

कबीरदास जी के माता का नाम नीरु और पिता का नाम नीमा था, ये इनके सगे माता पिता नहीं थे, कहाँ जाता है की कबीरदास को नीरु – नीमा नामक दो दम्पत्ती ने वाराणसी के लहरतारा नामक तालाब में देखा। और उन्होंने ने ही कबीरदास का पालन पोषण किया,

अंत: कबीरदास के सगे माता-पिता का प्रमाण ना मिलने के कारण, उनका पालन-पोषण करने वाले नीरु – नीमा नामक दम्पति को ही कबीरदास के माता-पिता की उपाधि दे दी गई।  संत कबीर के पत्नी का नाम लोई व था एव कबीरदास के दो बच्चे थे- पुत्र- कमाल व पुत्री- कमली

कबीर साहब का जन्म स्थान विवादित है। अंत: इनके जन्म को लेकर कोई सटीक प्रमाण नहीं है। आप को कई पुस्तको व वेबसाइटो पर कबीर जी के बारे मे अलग-अलग वर्णन मिलेगा।-

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान
मोल करो तरवार का, पडा रहन दो म्यांन॥

कबीरदास बचपन से ही आध्यात्मिक थे, हालाँकि ये मूर्ती पूजा, छूआ-छूत, मांसाहार जैसे अन्य विडम्बनायो पर विश्वास नहीं करते थे। कबीर साहेब ने शिक्षा दी की मांस खाना महापाप है और जीवन को सम्पूर्ण बनाने के लिये गुरु का होना अतिआवश्यक है।

Kabirdas ka jivan parichay

जन्म 1440 ई०-(14वी सदी)
(वाराणसी‌-उत्तर प्रदेश)
माता-पिता का नामनीरु – नीमा
गुरु का नामस्वामी रामानंद
(स्वामी विवेकानंद के गुरु)
उपनाम1.कबीरदास
2.कबीर परमेश्वर
3.कबीर साहेब
मृत्यु1518 ई० मगहर
(अब- संत कबीरदास) उत्तर प्रदेश
संत कबीरदास साहब का जीवन परिचय — जीवनी

कबीरदास के ग्रंथ

कबीर साहब अपने जीवन में कई रचनाये की है, उनमे से मुख्य है

  1. कबीर शब्दावली
  2. कबीर दोहा वली
  3. कबीर साखी
  4. कबीर बीजक
  5. कबीर ग्रंथावली
  6. कबीर सागर
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kabirdas ka jivan parichay in Hindi and rachanaye

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कबीरदास परमेश्वर

कबीर साहब परमेश्वर का स्वरुप है, इनके विषय मे सभी धर्मो के धार्मिक ग्रंथो मे प्रमाण मिले है- हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथ यजुर्वेद , ऋग्वेद ,में कबीर दास जी का वर्णन किया गया है, जहाँ पर बताया गया है की कबीर साहब अपने ज्ञान का प्रचार करने के लिये पृथ्वी पर जन्म लेंगे।  यजुर्वेद में कबीरदास का नाम कविर्देव लिखा है।

मुस्लिम धर्म का धार्मिक ग्रंथ पवित्र कुरान में लिखा गया है कि तुम काफिलों का कहना ना मानना,क्योंकि वे कबीरदास को परमेश्वर नहीं मानते है  (आयात २५:५९) कबीर अल्लाह है जिसने जमीन व आसमान तथा इनके बीच जो भी सब बनाया है,       

ईसाई धर्म का धार्मिक ग्रंथ पवित्र बाइबल में भी कबीरदास को उल्लेख किया गया है की परमात्मा सशरीर है।

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Kabir das ke dohe

कबीर साहब एक आध्यात्मिक पुरुष थे, उन्होने अपनी शिक्षा मे ईश्वर की भक्ति करने पर जोर दिया। कबीरदास जी कहते है  कबीर के दोहे

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार, तरुवर ज्यों पत्ता झड़े,
बहुरि न लागे डार।

कबीरदास

अर्थात-  इस संसार में मनुष्य का जन्म बहुत कठिन है  यह जन्म उसी प्रकार बार-बार नहीं मिल सकता जैसे- किसी वृक्ष से पत्ता  झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लग सकता। – सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय

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प्रश्न- कबीरदास का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर- वाराणसी, उत्तर प्रदेश

प्रश्न- संत कबीर के गुरु का क्या नाम था?
उत्तर- कबीर दास के गुरु का नाम स्वामी रामानंद (संत रामानंद) ,, संत रामानंद स्वामी विवेकानंद के भी गुरु थे

प्रश्न- कबीर दास के माता-पिता का क्या नाम है?
उत्तर- कबीर दास के माता और पिता का नाम नीरु- नीमा था, जो की एक मुस्लिम दम्पति थे।

प्रश्न- कबीर दास जी की मृत्यु कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर- कबीर दास जी की मृत्यु 1518 ई० मगहर (अब – संत रबिदास नगर) उत्तर प्रदेश मे हुआ था।

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