भारत का इतिहास (सम्पूर्ण जानकारी) | History of India in Hindi

History of India: उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला हुआ उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से जाना जाता है, हमारे भारत को महाकाव्य और पुराणों में भारतवर्ष अर्थात भक्तों का देश तथा यहां के निवासियों को भारतीय कहा जाता है।

भारत एक प्राचीन कबीले का नाम था प्राचीन भारतीय अपने देश को जंबूद्वीप तथा जम्बू (जामुन) वृक्षों का द्वीप कहते थे प्राचीन ईरानी इसे सिंधु नदी के नाम से जोड़ते थे इसे वे सिंध ना कह कर वे लोग हिंदू कहते थे और यही नाम फिर पूरे विश्व में फैल गया और पूरा देश एक ही नाम से जाना जाने लगा।

और मध्य काल में इस देश को हिंदुस्तान कहा जाने लगा। सांसद भी फारसी शब्द हिंदू से बना है और यूनानी इसे इसे कहते थे और इसी के आधार पर अंग्रेजी में इसे इंडिया (india) कहा जाने लगा।

History of India
History of India

प्रचीन इतिहास – Ancient History of India

प्रागैतिहासिक कालप्रागैतिहासिक काल का समय 5,00,000 ई०पू० से लेकर 2,500 ई०पू० तक माना जाता है। इस समय लिखने की कला का अविष्कार नही हुआ था। इस काल की जानकारी प्रातात्विक स्रोतो से प्रात्प हुई थी। इस काल को प्रस्तर युग भी कहा जाता है।
प्रागैतिहासिक काल को निम्नलिखित तीन भागो मे बाटा गया है। साथ ही इनके उपभाग भी है, जो निम्न है।
1. पाषाण युग > पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल, नवपाषाण काल
2. कांस्य युग > पूर्व कांस्य युग, मध्य कांस्य युग, उत्तर कांस्य युग
3. लौह युग > पूर्व लौह युग, मध्य लौह युग, उत्तर लौह युग
ताम्रपाषण युगताम्रपाषण युग की शुरुआत नवपाषण से पहले से हुआ था। इस युग मे हथियार व औजार बनाने के लिये पत्थर व तांबे का उपयोग किया जाने लगा, इसलिये इसे ताम्रपाषाण युग कहा गया।

ताम्रपाषण युग के लोगों की मुख्य विशेषतायें

ताम्रपाषण युग के लोग पशुपालन किया करते थे, उनके मुख्य जैसे- गाय, भैंस, बकरी इत्यादि
ताम्रपाषण युग के लोग खेती किसानी करना जानते थे, उनके फसल जैसे- गेंहू, बाजरा, चावल, उरद, इत्यादि | ताम्रपाषण युग के लोग समूह बनाकर रहते थे।

ताम्रपाषण युग की बस्तिया

1. दक्षिण पूर्वी रजस्थान > अहार (उदयपुर), गिलुंद (राजसमंद)
2. पश्चिम महाराष्ट्र > जोखे, नेवासा (अहमदनगर), चंदौली (कोल्हापुर), इनामगांव (पूणे)
3. पश्चिम मध्यप्रदेश > मालवा (मालवा), कयथा (मंडला), एरण (गुना)
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सिंधु घाटी सभ्यता
वैदिक सभ्यतासिंधू सभ्यता के पतन के बाद वैदिक सभ्यता की उत्पत्ति हुई, इसे आर्य सभ्यता भी कहते है। वैदिक सभ्यता मुख्य रुप से दो भागों मे बाटा गया है। 1. ऋगवैदिक सभ्यता 2. उत्तर वैदिक सभ्यता ।

18 पुराणों के नाम – ब्रह्म पुराण

1. ब्रह्म पुराण 2. पद्म पुराण 3. विष्णु पुराण 4. वायु पुराण (शिव पुराण) 5. भागवत पुराण 6. नारद पुराण 7. मार्कण्डेय पुराण 8. अग्नि पुराण 9. भविष्य पुराण 10. ब्रह्मवैवर्त पुराण 11. लिङ्ग पुराण 12. वाराह पुराण 13. स्कन्द पुराण 14. वामन पुराण 15. कूर्म पुराण 16. मत्स्य पुराण 17. गरुड पुराण 18. ब्रह्माण्ड पुराण
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भारत का प्राचीन इतिहास (History of India in Hindi) 1- जैन धर्म 2. बौध्द धर्म 3. मगध सम्राज्य 4. मौर्य सम्राज्य 5. मौर्योंतर कालीन वर्ष 6. गुप्त वंश 7. वर्धन वंश 8. विजन नगर 9. सम्राज्य दक्षिण भारत का इतिहास

Note – जल्द ही हम भारत के प्राचीन इतिहास का पूर्ण संग्रह अपलोड करेंगे, जानकारी पहले पाने के लिये हमारे साथ जुडे – Join Us

वेद क्या है? व कितने प्रकार के होते है।

वेद 4 प्रकार के होते है।

1. ऋग्वेद

इसमें 10 मंडल 1028 सूक्त और 10462 मंत्र हैं। इस वेद में आर्य के राजनीतिक प्रणाली इतिहास एवं ईश्वर की महिमा के बारे में जानकारी मिलती है।

विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद में तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है और नव्वे मंडल में देवता सोम का उल्लेख है।

2. यजुर्वेद

इस वेद में यज्ञ के नियमों एवं विधि विधान ओं का उल्लेख मिलता है यह एक ऐसा वेद है जो गद्य एवं पद्य दोनों में है। अगर हम साधारण भाषा में बात करें तो यजुर्वेद मैं यज्ञ के विधि-विधान ओं का और मंत्रों का उल्लेख है।

3. सामवेद

शाम का शाब्दिक अर्थ होता है गान।इस वेद में आपको मुख्यतः यज्ञ के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्रो का उल्लेख है। इसका संकलन ऋग्वेद पर आधारित है इसमें 1810 सुक्त हैं जो अक्सर ऋग्वेद में लिखे गए हैं।

सामवेद को भारतीय संगीत का जनक भी कहा जाता है।

4. अथर्ववेद

अथर्व ऋषि द्वारा लिखी गई इस वेद में कुल 731 मंत्र तथा लगभग 6000 पद्य है जिसके कुछ मंत्र आपको ऋग्वैदिक मंत्रों से भी काफी प्राचीन है अथर्ववेद कन्याओं के जन्म की निंदा करता है।

अथर्ववद का महत्व इस बात से है कि इसमें सामान्य मनुष्य के विचारों तथा अंधविश्वासों का विवरण मिलता है।

किस वेद में मानव जीवन से जुड़ी सभी पक्षों-गृह निर्माण, व्यापारिक मार्गों का गहन रोग निवारण, विवाह तथा राज भक्ति राजा का चुनाव और बहुत से वनस्पतियों एवं औषधियों का विवरण दिया गया है। (History of India in Hindi)

महान व्यक्तियो का जीवन परिचय

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मध्यकालीन भारत का इतिहास- Medieval History of Indian

मध्यकालीन के भारत का इतिहास छठी शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी तक माना जाता है। इसे दो अवधियों में विभाजित किया जा सकता है प्रारंभिक मध्ययुगीन काल जो 6वीं शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी तक था और गत मध्यकालीन काल जो 13वीं से 16वीं शताब्दी तक चली थी और 1526 में मुगल साम्राज्य की शुरुआत के साथ खत्म हो गई थी।16वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक चले मुगल काल को ज्यादातर शुरुआती आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है  लेकिन कभी-कभी इसे गत मध्ययुगीन काल में भी शामिल कर लिया जाता है।

मध्यकालीन में भारत पर अरबों का आक्रमण।

मोहम्मद बिन कासिम ने 712 ई. भारत पर पहला आक्रमण किया था और सिंध पर विजय पाई थी। उस समय सिंध पर दाहिर का शासन था।मोहम्मद बिन कासिम कि इस आक्रमण का मुख्य कारण भारत के धन दौलत को लूटना था और इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करना था।

महमूद गजनी का आक्रमण।

932 ईस्वी में अलप्तगिन नामक एक तुर्क सरदार गजनी साम्राज्य की स्थापना की थी जिसकी राजधानी गजनी थी। इसकी मरने के बाद कुछ समय तक गजनी में पिरीतिगीन शासन किया था और 977 ईस्वी में अलप्तगिन अपने दामाद सुबुक्तगीन को राजगद्दी पर बैठा दिया था।

सुबुक्तगीन का शत्रु महमूद गजनी था जिसने 998 ईसवी में 27 वर्ष की अवस्था में गजनी पर शासन किया। इस ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था इस आक्रमण का मुख्य उद्देश्य भारत के धन-संपत्ति को लूटना था।

आधुनिक भारत का इतिहास – Modern History of India

आधुनिक भारत के शुरुआत 1740 ईस्वी से लेकर 1950 ईस्वी तक था जिसमें भारत में विदेशी कम्पनियों के प्रवेश से लेकर ईस्ट इण्डिया कम्पनी तथा ब्रिटिश क्राउन के शासन में भारत में हुई महत्वपूर्ण घटनाओं तथा भारत की आजादी के आंदोलन का तिहास दिया गया है। Read More

Indian History in Hindi

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