जीवन क्या है?(What is Life) इन प्रश्न का उत्तर महान लोगो ने बडे व्यापक रुप मे दिया है। जो शास्वत है। परंतु मानव जीवन के निरंतर प्रगति के बाद भी प्राय: मनुष्य जीवन के वास्तविकता को समझने मे अस्मर्थ है।
जीवन क्या है ? – What is Life
जीवन का उद्देश्य है अपने माता पिता की सेवा करना, अपने परिवार का भरण पोषण करना और समय मिले तो अन्य दीन ,दुखियों की सेवा करना है। लेकिन आज हर व्यक्ति की सोच सिर्फ सफलता पाना, खूब पैसे कमाना, जीवन का उद्देश्य हों गया है। धन दौलत कमाने के बावजूद भी व्यक्ति सुकून और शान्ति की जिंदगी नहीं जी पाता, क्योंकि ,जब तक सन्तोष नहीं है, सब धन बेकार है। इसीलिए कहा गया है।
गो धन मन धन और रतन धन खान ,
दोहा (What is life)
जब आएं सन्तोष धन,सब घर धूरि समान।
प्रिय पाठको जीवन एक दर्पण के समान है जैसा चेहरा सीसे में दिखाई देगा वैसे ही आपको दुनिया दिखेंगी,आप हसगे तो दुनिया हसती दिखाई देंगी, और आप दुखी तो दुनिया भी वैसे ही दिखाई पड़ेगी|
जीवन में सफलता एवं उद्देश्य
What is Life: जैसा की हमने जाना कि जीवन का उद्देश्य परोपकार है, यह उद्देश्य पूरा करके ही आप कह सकते हैं कि सफल जीवन जिया। सफल जीवन की कसौटी धन सम्पत्ति नहीं है। आपकों अपना लक्ष्य निर्धारित करना होगा,
यदि जीवन का उद्देश्य निर्धारित नहीं किया तो जीवन बेकार है। लक्ष्य प्राप्ति के बाद , जीवन देने वाले माता पिता को असीम सुख मिलता है। वह सुख जो पूरे जीवन में भौतिक सुख सुविधाएं जुटा लेने में नहीं मिलता। जीवन का रहस्य क्या है ?
जीवन का अर्थ क्या है ?
हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना होता हैं आकाश,जल , पृथ्वी, वायु और अग्नि से बना हुआ है।इन पांच तत्वों के बिना जीवन संभव नहीं है। जीवन एक साधना है। जीवन साधना में व्यक्ति अच्छा बुरा कर्म करता है और उस कर्म का फल भोगते हुए अपना जीवन काल व्यतीत करता है। संसार में अनेकों प्रकार के लोग हैं और सभी का जीवन अलग अलग है
ज़िन्दगी का मूल मंत्र
खर्च करना है तो कमाना सीखों
मरने से पहले खुलकर जीना सीखों
बोलने से पहले सुनना सीखों
लिखना है तो सोचना सीखों
हार मानने से पहले, कोशिश करना सीखो
पूजा करन है तो विश्वास करना सीखो
What is life
जीवन की सच्चाई समान्य शब्दो में
जीवन की सच्चाई समान्य भाषा मे समझे तो जन्म से मृत्यु तक का सफर ही जीवन कहलाता है। सभी लोग जीवन को अपने अपने दिमाग से ही जीते हैं। किसी के नज़र में ज़िन्दगी, दौड़ तो किसी को यात्रा, आदि समझ में आती है। मेरे अनुसार जीवन एक साधना है। जो की उम्र और समयानुसार ज़िन्दगी में बदलाव होते रहते हैं परन्तु। जिसे ज़िन्दगी के बदलाव के अनुसार बदलना आता हो, उसकी जिंदगी एक साधना है।
मेरा मानना है की भौतिक एव आंतरिक सुखो मे संतुलन का होना अनिवार्य है। इससे मनुष्य को अपने जीवन को सुचारु ढंग से निर्वहन करने मे योगदान मिलेगा। स्वतंत्र एवं खुशहाल जीवन जीने के लिये हमे अपने चेतना/मस्तिष्क को प्रभावशाली बनाने की आवश्यकता है जो शिक्षा के माध्यम से ही सम्भव है। अन्यथा हम सब सामाजिक रुढिबध्द धारणायो, अधिक चिंतन, प्रयास, आदि मे बंध कर जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने की प्रक्रिया मे कभी भी सफल नही होंगे।
निष्कर्स
हम सभी अन्य जीवों की तरह एक जीव है। मात्र हमारी चेतना उनसे अधिक विकसित है। अर्थात पृथ्वी पर बनाये गये सभी वस्तुये, संसाधन या आधुनिक साधन सभी मनुष्य एवं प्रकृत ने बनाया है।