Skip to content

सोलह सोमवार व्रत कथा । Solah Somvar vrat katha

  • by

हमारा भारत देश ईश्वर की पूजा और उनके चमत्कारो के लिये पूरे विश्व मे सबसे आगे है, हमारे देश मे ऋषि मुनियो ने ऐसी कथाये व पुस्तके लिखी है जिनके पूर्णरुप के पालन से जीवन के सभी कष्टो को दूर किया जा सकता है। इस लेख मे हम 16 सोमवार व्रत कथा के विषय मे जानेंगे।

Solah Somvar vrat katha
Solah Somvar vrat katha

सोलह सोमवार व्रत कथा
Solah Somvar vrat katha Hindi

एक दिन भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण करते हुये मृत्युलोक में अमरावती नगरी में पहुँच गये, उन्होंने देखा की वहाँ के राजा ने विशालकाय व भव्य शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। वह शिव मंदिर इतना सुंदर व आकर्षण था की माता पार्वती व भगवान शिव वहाँ रुकने का निश्चय किया।

Read- संस्कृति श्लोक [ भागवत गीता, वेद] | bhagwat geeta shlok in Hindi

माता पार्वती व भगवान शिव मंदिर में पहुँच कर चौसर-पाँसे का खेल खेलने का निर्णय किया, लेकिन माता पार्वती बोली मैं जिंतुंगी, और भगवान शिव बोले मैं जीतूंगा, आपस में वार्तालाप कर ही रहे थे की तभी उस मंदिर का पुजारी आया, माता पार्वती ने पुजारी  से पूछा कौन जितेगा, पुजारी  जी ने कहाँ शिवजी ही जीतेंगे क्योंकि उनके शिवा इस खेल में कोई पारंगत नहीं, लेकिन जब खेल समाप्त हुआ तो, पुजारी  जी कही बात गलत साबित हुई, और माता पार्वती की जीत हुई, जिससे माता पार्वती ने पुजारी से कहाँ आप ने मिथ्या भाषण दिया, इस लिये मैं आप को कोढी होने का श्राप देती हू। यह कहकर माता पार्वती व भगवान शिव देव लोक चले गये। (सोमवार व्रत कथा)

कुछ दिनों बाद उस मंदिर मे देव लोक की अप्सरा पूजा करने आई, उन्होंने पुजारी को इस हालत में देख, उसका कारण पूछा, पुजारी जी ने सारी बाते बताई। तब अप्सराओं ने पुजारी को 16 सोमवार का व्रत रखने को कहाँ, और पूजा करने विधि बताई, पुजारी जी ने अप्सराओं के कहे अनुसार पूरे विधि-विधान से 16 सोमवार का व्रत किया। और वो रोगमुक्त हो गये।  कुछ समय बाद माता पार्वती व शिव जी उस मंदिर में फिर आये तब माता पार्वती ने देखा की पुजारी उनके श्राप से मुक्त हो गया है माता पार्वती ने पुजारी को रोगमुक्त देख पुछा मेरे द्वारा दिये गये श्राप से मुक्ति कैसे मिली, पुजारी जी ने माता पार्वती को अप्सराओं द्वारा बताये, 16 सोमवार का व्रत करने से बताया। (सोमवार व्रत कथा इन हिंदी )

जिससे माता पार्वती ने भी 16 सोमवार का व्रत किया, जिसके फल स्वरुप माता पार्वती से रुठे कार्तिकेय जी आज्ञाकारी पुत्र बन गये।

Somvar vrat katha
माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय

तब कार्तिकेय जी ने माता पार्वती से पूछा मां मेरा मन सदा आपके चरणों में लगा रहता है, तब माता पार्वती ने कार्तिकेय को 16 सोमवार के व्रत के विषय में बताया। फिर कार्तिकेय जी ने भी इस व्रत को पूरे विधि-विधान से किया, जिसके कारण कार्तिकेय को उनका बिछडा मित्र मिल गया। तब कार्तिकेय ने अपने मित्र को 16 सोमवार का व्रत कथा के विषय में बताया –उनके मित्र विवाह होने की इच्छा से सोमवार का व्रत कीया, फलस्वरूप कार्तिकेय के मित्र को दुसरे राज्य मे जाना हुआ, जहाँ एक राजा के पुत्री का स्वयम्बर था, राजा ने प्रतिज्ञा ली थी की हाथिनि जिसके गले में वरमाला डालेगी, उसी से मेरे पुत्री का विवाह होगा। हाथिनि ने कार्तिकेय के मित्र के गले में वरमाला डाल दिया, जिससे राजा ने अपने राजकुमारी का विवाह बडे धूम-धाम से कार्तिकेय के मित्र के साथ कर दिया। ( 16 Somvar vrat katha )

एक दिन राजा की पुत्री अपने पति से पूछी, हे नाथ आप् ने ऐसा कौन सा पूर्ण काम किया था की हाथिनि ने वरमाला आप के गले में डाल दिया, तब उसने 16 सोमवार के व्रत के विषय में बताया, जिससे राजकुमारी ने सत्य-पुत्र की ईच्छा से 16 सोमवार का व्रत किया, फलस्वरूप राजकुमारी को सर्व गुण सम्पन्न पुत्र की प्राप्ति हुई।

पुत्र ने भी बडे होकर राज्य प्राप्ति के लिये 16 सोमवार का व्रत किया और फलस्वरूप उसे राज सिंहासन प्राप्त हुआ, वो बहुत खुश हुआ और व्रत को लगातार करता रहा, एक दिन उसने अपने पत्नी से पूजा की सामग्री लेके मंदिर चलने को कहाँ, लेकिन राजा की पत्नी ने पूजा की सामग्री को दासी के भिजवा दिया, जब राजा ने पूजा सम्पन्न किया तो, आकाशवाणी हुई की हे राजन तुम इस स्त्री को त्याग दो नहीं तो राज्य से हाथ धोना पड जायेगा। (सोलह सोमवार व्रत कथा)

आकाशवाणी की आज्ञा मानकर राजा ने अपने पत्नी को राज महल से बाहर निकाल दिया, तब वह राजकुमारी इधर- उधर भटकते हुये एक बुढी औरत के पास पहुची बुढ़िया को अपनी सारी कथा बताई, बुढ़िया ने उसे काम दिया और कहाँ ये रुई की गठ्ठर ले जाओ बाजार में बेचआओ, राजकुमारी गठ्ठर लेके चल दिया लेकिन हवा तेज होने के कारण सारी रुई उड गई, जिससे बुढ़िया नाराज हुई और उसे डाट कर भगा दिया।

श्री राम जी की आरती

ऐसे करते-करते वह जहाँ भी काम करती वहाँ ज्यादा नुकसान होने की कारण लोग उसे भगा देते थे, वह राजकुमारी अपने भाग्य को कोषती रहती है, तभी एक आश्रम के पुजारी  ने उसे देखा और कहाँ बेटी तुम जब तक चाहो हमारे आश्रम में रह सकती हो, वह आश्रम में रहने लगी, लेकिन जिस समान को वो छूती वो खराब हो जाता था, तब पुजारी  ने पूछा बेटी किस अपराध के वजह से ऐसा हो रहा, तब रानी ने बताया की मैं अपने पति के आज्ञा को अस्वीकार किया, पूजा के लिये सामग्री नहीं ले गई, इसी के कारण मुझे घोर संकट का सामना करना पड रहा है। तब पुजारी  ने 16 सोमवार के कथा के विषय में रानी को बताया और रानी ने पूरे विधि-विधान से व्रत किया जिसके फलस्वरूप राज खुद आकर रानी को आश्रम से राज महल ले गये।

कथा समाप्त हुआ

500 से अधिक लोगो ने पढा

  1. गायत्री मंत्र का अर्थ
  2. महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
  3. ओम नम: शिवाय का जाप

भगवान शिव का सुभ महिना सावन (Sawan Somvar Vrat katha) का महिना माना जाता है, इस महिने मे व्रत रखने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है । हमारे साथ जुड कर आध्यात्मिक जानकारी शेयर करे- जोइन करे