Holi Geet: होली का त्योहार आने वाले है अब चारो तरफ रंग गुलाल के साथ-साथ होली के गाने भी घूम मचायेंगे, होली ही एक ऐसा त्योहार है जिसपर सबसे अधिक गाने बनाये जाते है होली मे गाना बजाना या गीत गाना एक परम्परा है जो अपने समय से ही चली आ रही है पहले जब गानो का इतना प्रचलन नही था तब लोग होली के दिन स्वयं से ही गाना जैसे- बिरहा, बेलवरिया, फगुआ आदि गाते थे, और होली मनाते थे।
होली गीत (Holi Geet) मे कई पारम्परिक लोकगीत शामिल है। जो फागुन के महिने में गाये जाते है। इन गानो को सूनने से लोगो उत्साहित हो जाते है। और मस्ती में झूम उठते हैं। आज हम इस पोस्ट मे होली के 4 प्रसिध्द गानो को जानेंगे।
Holi Geet- 1: होली खेले रघुवीरा अवध में
होली खेले रघुवीरा अवध में, होली खेले रघुवीरा,
केकरे हाथ कनक पिचकारी- 2
केकरे हाथ अबीरा, अवध में होली खेले रघुवीरा,
होली खेले रघुवीरा अवध में, होली खेले रघुवीरा,
राम के हाथ कनक पिचकारी-2
सीता के हाथ अबीरा अवध में होली खेले रघुवीरा।
होली खेले रघुवीरा अवध में, होली खेले रघुवीरा,
राम क भीगे पिला पितांबर-2
सीता क भीगे चुनरिया अबीरा, होली खेले, रघुवीरा -2
हाँ हिलमिल आवे लोग लुगाई, हिलमिल आवे लोग लुगाई
भाई महलन में भीरा अवध में, होरी खेले रघुवीरा
अरे होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा ||
तनिक शर्म नहीं आये देखे नाहीं अपनी उमरिया -2
हो साठ बरस में इश्क लड़ाए, साठ बरस में इश्क लड़ाए
मुखड़े पे रंग लगाए, बड़ा रंगीला सांवरिया -2
चुनरी पे डारे अबीरा अवध में, होरी खेरे रघुवीरा
अरे होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा ||
हाँ हिलमिल आवे लोग लुगाई, भाई महलन में भीरा अवध में
होरी खेले रघुवीरा.. होली है..
अरे होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा
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Holi Geet- 2: सरसों में फूल फुलयी गोरी
होली को फाल्गुन भी कहा जाता है क्योकि होली का त्यौहार हिंदू कैलेण्डर के फाल्गुन माह में मनाया जाता है होली एक उत्साह व् उमंग का त्यौहार है नीचे दिया गया होली गीत पति – पत्नी को समर्पित है मुख्यत: यह गीत फाल्गुन माह में गाया जाता है इस पारम्परिक लोकगीत में प्राकृतिक दृश्य को शब्दों पिरोया गया है।
होली गीत – Holi Geet
सरसों में फूल फुलयी गोरी,सरस ईया में फूल फुलयी गोरी -3
चल न गोरी हलुईया दुकनिया-2
तोह ई लड्डू बेसह ई देब दुई जोड़ी,
सरस ईया में फूल फुलयी गोरी,सरस ईया में फूल फुलयी गोरी।
चल न गोरी बजजवा दुकनिया- 2
तोह ई चुनरी बेसह ई देब दुई जोड़ी,सरस ईया में फूल फुलयी गोरी।
चल न गोरी मलिया दुकनिया- 2
तोह ई गजरा बेसह ई देब दुई जोड़ी,
सरस ईया में फूल फुलयी गोरी।
Holi Geet- 3: मिथिला में राम खेले होली
होली का त्योहार हमारे देश के प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक हैं इस त्यौहार में गाये जाने वाले गीत को फगुआ या होली गीत कहते हैं गीत में पारम्परिक रूप से लोकगीत की संस्कृति झलकती है आइए हम मिथिला की लोकप्रिय होली गीत देखते है
मिथिला में राम खेले होली,
हो खेले होली, हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला- 2
किनके हाथ कनक पिचकारी- 2
किनके हाथ अबीर झोली,
किनके हाथ अबीर झोली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में राम खेले होली।
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली – 2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली- 2
राम हाथ कनक पिचकारी,
राम हाथ कनक पिचकारी
सीता हाथ अबीर झोली,सी
ता हाथ अबीर झोली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में राम खेले होली।
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली-2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली-2
किनका बीच पियर पितांबर,
किनके बीच कुसुम चूनरी,
किनके बीच कुसुम चूनरी,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होदली।
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली-2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली।
राम के बीच पियर पितांबर-2
सिता बीच कुसुम चूनरी,सिता
बीच कुसुम चूनरी,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली।
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली-2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली
Holi Geet- 4: आज बृज में होली रे रसिया
ब्रज की होली से भला कौन परिचित नहीं होगा। यु तो पुरे देश में होली और होली के गीतों का अपना महत्त्व है लेकिन ब्रज परिवेश में इसका आनंद ही कुछ और है। आइए व्रज की होली गाएं।
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
अपने अपने घर से निकसी,
कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया।
कौन गावं के कुंवर कन्हिया,
कौन गावं राधा गोरी रे रसिया।
नन्द गावं के कुंवर कन्हिया,
बरसाने की राधा गोरी रे रसिया।
कौन वरण के कुंवर कन्हिया,
कौन वरण राधा गोरी रे रसिया।
श्याम वरण के कुंवर कन्हिया प्यारे,
गौर वरण राधा गोरी रे रसिया।
इत ते आए कुंवर कन्हिया,
उत ते राधा गोरी रे रसिया।
कौन के हाथ कनक पिचकारी,
कौन के हाथ कमोरी रे रसिया।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी,
राधा के हाथ कमोरी रे रसिया।
उडत गुलाल लाल भए बादल,
मारत भर भर झोरी रे रसिया।
अबीर गुलाल के बादल छाए,
धूम मचाई रे सब मिल सखिया।
चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण छवि,
चिर जीवो यह जोड़ी रे रसि
निष्कर्ष– होली का त्यौहार आने वाला है इस दिन बच्चे हो या बूढ़े सभी उत्साहित व् उमंगित हो जाते है क्योंकि इस दिन सभी मिलकर एक दुसरे को रंग या गुलाल लगाते है और खुशिया मनाते है लेकिन क्या आपको मालूम है की आज के समय में बिना होली गीत के होली अधूरी लगती है इसलिए इस संग्रह में हमने होली के 4 प्रसिध्द गीतों का संग्रह किया है, अगर आप यहाँ तक आये है तो हमें अपना पसंदीदा होली गीत जरुर बताये.