5 Holi Geet: होली खेले रघुवीरा अवध में & आज बृज में होली रे रसिया & मिथिला में राम खेले होली

होली गीत (Holi Geet) एक पारम्परिक लोकगीत है। जो फागुन के महिने में गाया जाता है। इस गाने में उत्साह और उमंग भरा रहता है। होली गीत को गाते समय लोग मस्ती में झूमने लगते हैं।

Holi Geet
Holi geet

होली गीत – Holi Geet 2023

होली खेले रघुवीरा अवध में, होली खेले रघुवीरा,,,,
केकरे हाथ कनक पिचकारी 2
केकरे हाथ अबीरा,अवध में होली खेले रघुवीरा,,

होली खेले रघुवीरा अवध में, होली खेले रघुवीरा,,,
राम के हाथ कनक पिचकारी 2
सीता के हाथ अबीरा अवध में होली खेले रघुवीरा।
होली खेले रघुवीरा अवध में, होली खेले रघुवीरा,,,,
राम क भीगे पिला पितांबर 2
सीता क भीगे चुनरिया अबीरा, होली खेले, रघुवीरा
होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीर

होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा
हाँ हिलमिल आवे लोग लुगाई
हिलमिल आवे लोग लुगाई -2
भाई महलन में भीरा अवध में
होरी खेले रघुवीरा
अरे होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा ||
7 या 8 मार्च, कब है होली

तनिक शर्म नहीं आये देखे नाहीं अपनी उमरिया -2
हो साठ बरस में इश्क लड़ाए
साठ बरस में इश्क लड़ाए
मुखड़े पे रंग लगाए, बड़ा रंगीला सांवरिया -2
चुनरी पे डारे अबीरा अवध में
होरी खेरे रघुवीरा
अरे होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा ||
हाँ हिलमिल आवे लोग लुगाई
भाई महलन में भीरा अवध में
होरी खेले रघुवीरा.. होली है..
अरे होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा

source: Chanda यूट्यूब चैनल

Holi Geet Gana: पति पत्नी का होली गीत

यह गीत फाल्गुन के महिने में जब खूब पीली पिली सरसों फूली रहतीं हैं और होली का उमंग भरा रहता है तब एक उमंग उत्साह और जोश के साथ पति अपनी पत्नी से बड़े प्यार से कहता है| इस पारम्परिक लोकगीत में प्राकृतिक दृश्य को लेकर बहुत अच्छी तरह से पिरोया गया होली गीत है।

होली गीत – Holi Geet

सरसों में फूल फुलयी गोरी,सरस ईया में फूल फुलयी गोरी,3
चल न गोरी हलुईया दुकनिया 2
तोह ई लड्डू बेसह ई देब दुई जोड़ी,,
सरस ईया में फूल फुलयी गोरी,सरस ईया में फूल फुलयी गोरी।
चल न गोरी बजजवा दुकनिया 2
तोह ई चुनरी बेसह ई देब दुई जोड़ी,सरस ईया में फूल फुलयी गोरी।
चल न गोरी मलिया दुकनिया 2
तोह ई गजरा बेसह ई देब दुई जोड़ी,
सरस ईया में फूल फुलयी गोरी।

होली पर निबंध

होली का त्योहार हमारे देश के प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक हैं इस त्यौहार में गाये जाने वाले गीत को फगुआ या होली गीत कहते हैं । और गीत में पारम्परिक रूप से लोकगीत की संस्कृति झलकती है आइए हम मिथिला की लोकप्रिय होली गीत गाएं। मिथिला की पारम्परिक लोकगीत होली|

मिथिला में राम खेले होली – mithila me ram khele holi lyrics

मिथिला में राम खेले होली,
हो खेले होली, हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला …… 2

किनके हाथ कनक पिचकारी, -2
किनके हाथ अबीर झोली,
किनके हाथ अबीर झोली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में राम खेले होली।

मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2

राम हाथ कनक पिचकारी,
राम हाथ कनक पिचकारी
सीता हाथ अबीर झोली,सी
ता हाथ अबीर झोली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में राम खेले होली।

मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2

किनका बीच पियर पितांबर,
किनके बीच कुसुम चूनरी,
किनके बीच कुसुम चूनरी,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होदली।

मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली।

राम के बीच पियर पितांबर, -2
सिता बीच कुसुम चूनरी,सिता
बीच कुसुम चूनरी,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली।

मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली -2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली

Source: Jai Siyaram YouTube Channel

होली पर कविता

Holi Geet: व्रज की होली

ब्रज की होली से भला कौन परिचित नहीं होगा। यु तो पुरे देश में होली और होली के गीतों का अपना महत्त्व है लेकिन ब्रज परिवेश में इसका आनंद ही कुछ और है। आइए व्रज की होली गाएं।

आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥

अपने अपने घर से निकसी,
कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया।

कौन गावं केकुंवर कन्हिया,
कौन गावं राधा गोरी रे रसिया।

नन्द गावं के कुंवर कन्हिया,
बरसाने की राधा गोरी रे रसिया।

कौन वरण के कुंवर कन्हिया,
कौन वरण राधा गोरी रे रसिया।

श्याम वरण के कुंवर कन्हिया प्यारे,
गौर वरण राधा गोरी रे रसिया।

इत ते आए कुंवर कन्हिया,
उत ते राधा गोरी रे रसिया।

कौन के हाथ कनक पिचकारी,
कौन के हाथ कमोरी रे रसिया।

कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी,
राधा के हाथ कमोरी रे रसिया।

उडत गुलाल लाल भए बादल,
मारत भर भर झोरी रे रसिया।

अबीर गुलाल के बादल छाए,
धूम मचाई रे सब मिल सखिया।

चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण छवि,
चिर जीवो यह जोड़ी रे रसि

Credit: Sangeeta यूट्यूब चैनल

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