सनातन धर्म जिसे हिंदू धर्म या वैदिक धर्म भी माना जाता है यह ऐसा धर्म है जिसका न आदि है न अंत , सनातन शब्द का अर्थ है “हमेशा बना रहने वला “सनातन धर्म” को मूल रुस से हिंदू धर्म माना जाता है।
सनातन धर्म भारतीय धर्म है एक ऐसा भी समय था जब पुरे भारत मे सिर्फ सनातन धर्म ही माना जाता था लेकिन बहुत सारे कारणो से भारी संख्या मे धर्म परिवर्तन के बाद भी ,यहा के लोग आज भी सनातन धर्म मे आस्था रखते है।
सनातन धर्म मे आस्था की बात करे तो , आप सब ने देखा होगा की भारतीय लोग अब भी ओम शब्द का उच्चारण करते है ओम शब्द ,सिर्फ शब्द नही ,यह सनातन धर्म का प्रतीक है ,इसे सनातन धर्म के विचार से सोचे तो “ओम” सनातन परम्परा का पवित्र शब्द है।
सनातन धर्म ही सत्य सनातन है जिसका न तो प्रारम्भ ही है ना ही अंत उसे सत्य सनातन धर्म कहते है हिंदू धर्म के मूल तत्व जैसे – दया, क्षमा, दान , तप , जप, सत्य , अहिंसा इत्यादि है सनातन धर्म को अग्रेजी मे Eternal Religion कहते है। पढे- बौध्द धर्म क्या है ?
सनातन धर्म क्या है?
सनातन धर्म कोई जादू नहीं जो आपके विश्वास पर निर्भर करता हो। बल्कि सनातन धर्म आपको आत्मविश्वासी बनाता हैं, आप अपने मन के प्रश्नों का जबाव देने में सक्षम हो जातें हैं। आप जीवन के वास्तविकता को समझ पाते है।
सनातन धर्म का उद्देश्य लोगों में जिज्ञासा की गहन भावना को जागृत करना उन्हें अपने आपको आत्मनिर्भर बनाना है। जब हम कोई काम करते हैं तो लाखों सवाल पूछे जाते हैं, अगर आप सवालों से डरते हैं तो आपका तरीका ग़लत है आपका विश्वास ग़लत है अगर आप सच्चाई पर खड़े हैं तो लाखों सवाल भी पूछे तो कोई बात नहीं। सनातन धर्म मानवता सत्यता पर जोर देती है।
सनातन धर्म का मतलब है कि वह अपने आस पास हर चीज को गौर करें महसूस करें कि हम क्या सर्वश्रेष्ठ कर सकते हैं यही सनातन धर्म की प्रकृति है। सनातन धर्म उस परम कल्याण की बात करता है जो कि एक मात्र कल्याण हैं जिसकी पूरी दुनिया आकांक्षा करतीं हैं।
सनातन धर्म की उत्पति
सनातन धर्म किसी एक लेखक या दार्शनिक या किसी ऋषि के विचारों की बस उपज नहीं है, यह तो अनादि काल से प्रवाहमान और विकासमान रहा। विश्व के सभी धर्मों से सबसे पुराना सनातन धर्म है । मान्यता है कि वैदिक धर्म जिसमें परमात्मा को साकार और निराकार दोनों रुपों में पूजा जाता है ।ये वेदों पर आधारित धर्म है। जो अपने अन्दर कई तरह के उपासना,मत दर्शन समेटे हुए है।
इसके अधिकतर उपासक भारत और नेपाल में है। जहां कई देवी देवताओं की पूजा की जाती है। ये धर्म इतना विशाल है कि इसमें से समय समय पर विभिन्न धर्म निकलते हैं।
सनातन का अर्थ– सनातन का अर्थ है हमेशा बना रहना अर्थात जो सदा से है सदा रहेगा जिसका कोई अंत नहीं है और जिसका कोई आरंभ नहीं है वही सनातन धर्म है।
सनातन धर्म के अनुसार मानव शरीर
हमारा शरीर 5 तत्वो से मिलकर बना है जल, वायु, आकाश, अग्नी , और पृथ्वी , और यह सभी सनातन सत्य की श्रेणी मे आते है ये 5 तत्व अपना रुप बदलते रहते है किंतु समाप्त नही होते।
सनातन धर्म पर विज्ञान की खोज
सनातन धर्म को आज तक किसी ने गलत नही ठहरा पाया है , इसका मुख्य कारण है इसमे लिखी हुई बाते सत प्रतिसत सत्य है यहा तक की विज्ञान को जिसे हम आज के समय का सबसे बडी सफलता मानते है लेकिन सनातन सत्य को पकडने मे कामयाबी हाशिल नही कर पाया है जब की वेदो मे लिखे जिस सनातन सत्य का वर्णन किया गया है विज्ञान उससे धीरे – धीरे सहमत होता दिख रहा है।
सनातन धर्म के प्रसिध्द मंदिर
Eternal Religion मे पूजा को मंदिरो से जोडकर देखा जाता है , सनातनी हिंदू मंदिरो मे जाके पूजा करते है , सबसे ज्यादा धर्म सनातन मानने वाले लोग भारत मे है ,फिर भी भारत के अलावा कई देशो मे विशालकाय मंदिर मौजूद है
- अंकोरवाट मंदिर – कबोडिया
- अक्षरधाम मंदिर
- श्रीरंगनाथ मंदिर – श्रीरंगम
- बेलूर मठ
- वृहदेश्वर मंदिर
- थिरुवनेयीकवल मंदिर
- थिल्लई नटराज मंदिर
- एकबरेश्वर मंदिर
- अन्नामलाईयर मंदिर
सनातन धर्म पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सनातन धर्म में किसकी पूजा की जाती है?
सनातन धर्म मे सूर्य , शिव और विष्णू जी की पूजा करनी चाहिये
सनातन धर्म क्या सिखाता है ?
सनातन धर्म हमें जीने का तरीका सिखाता है। जिसमे ये गुण अनिवार्य है जैसे- दया , क्षमा,विनम्र, सहनशील,और ,परोपकार है
सनातन धर्म का मूल मंत्र क्या है?
सनातन धर्म हमें जियो और जीने दो का संदेश देता है। मनुष्य को फल और अनाज का भोजन करना चाहिए। निरपराध को खाना पाप है
सनातन धर्म में कौन कौन से धर्म आते हैं?
वैसे तो सनातन धर्म हिंदूयो का धर्म माना जाता है लेकिन इसके अंतर्गत बौध्द,सिक्ख भी आते है क्युकी गौतम बुध्द खुद को सनातनी मानते थे और नास्तिक जोकि चार्वाक दर्शन को मानते है इसलिये वो भी सनातनी है
क्या सनातन धर्म में 33 करोड देवी – देवता है
नही ! सनातन धर्म मे 33 करोड देवी देवता नही , दरअसल हमारे वेदों में लिखा है 33 “कोटि” देवी-देवता है अब “कोटि” का अर्थ “प्रकार” भी होता है और “करोड़” भी | तो कुछ लोगों ने उसे हिंदी में करोड़ पढना शुरु कर दिया
क्या मूर्ती पूजा पाप है?
हाँ मूर्ती पूजा पाप है क्योकी वेदो मे लिखा है ( न तस्य प्रतिमा अस्ति ) वेद के विरुध्द अगर आप कोइ काम करेंगे तो वो पाप के श्रेणी मे आता है , मुर्ती पूजा केवल धन प्रप्ती का अच्छा मार्ग है। ईश्वर प्राप्ती का नही !