भारतीय संविधान की प्रस्तावना (अर्थ) | bhartiya sanvidhan ki prastavana

भारतीय संविधान की प्रस्तावना जानने से पूर्व हमे यह जानना होगा की संविधान क्या है? इसके पश्चात ही हम संविधान मे निहित प्रस्तावना को समझ पायेंगे।

संविधान क्या है? – संविधान उन प्रावधानो का संग्रह है। जिसके आधार पर किसी देश का शासन चलाया जाता है। अर्थात संविधान किसी देश के सबसे महत्वपूर्ण नियमों और सिद्धांतों का संग्रह होता है। जिसके आधार पर उस देख को चलाया जाता है। तथा उस देश के नागरिकों के अधिकारों, कर्तव्यों, और संगठन की संरचना और कार्यकारी प्रक्रियाओं आदि को निर्धारित करता है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना
प्रस्तावना

संविधान द्वारा एक सरकार की संरचना, कार्यकारी शाखाओं की व्यवस्था, न्यायिक प्रक्रियाओं का निर्धारण, नागरिकों के मौलिक अधिकार और स्वतंत्रताओं की सुरक्षा, और राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों और कानूनों की निर्धारण की प्रक्रिया स्थापित की जाती है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना – bhartiya sanvidhan ki prastavana

भारती के मूल संविधान मे प्रस्तावना के स्थान पर उद्देशिका शब्द का प्रयोग किया गया है। जिसे 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में पेश किया गया था, तथा 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया लिया गया। तथा 26 जनवरी 1950 को लागू किया है। Read- समानता का अधिकार

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

हम, भारत के लोग, भारत को एकसंपूर्ण प्रभुत्व -संपन्न,
समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य,
बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को :

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म
और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त कराने के लिए,

तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और
राष्ट्र की एकता और अखंडता
सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए

दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिती मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, सवंत दो हजार छह विक्रमी) को एततद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मा समर्पित करते हैं।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

प्रस्तावना क्या है?

भारत के संविधान की प्रस्तावना या उद्देशिका संविधान के सिद्धांतों को प्रस्तुत करती है. जहा प्रस्तावना से तात्पर्य संविधान की भूमिका से है। तथा जिसमे संविधान के उद्देश्यो तथा आदर्शो एवं शासन प्र्णाली के स्वरुप और संविधान के लागू होने की तिथि का उल्लेख होता है।

लेखसंविधान (प्रस्तावना)
देशभारत
लागू तिथि26 जनवरी 1950
संविधान सभा मे पेश कर्ताप० जवाहरलाल नेहरु
संकल्पनाUSA
प्रस्तावना क्या है?
  • DPSP क्या है ? (संविधान का महत्वपूर्ण भाग)
  • DPSP हिंदी में – राज्य के नीति निदेशक तत्व

प्रस्तावना मे उपस्थित शब्दों का अर्थ

#1. पंथनिरपेक्ष – पंथनिरपेक्ष से तात्पर्य एक ऐसे देश से है। जहाँ – राज्य का कोई राजकीय धर्म ना हो, राज्य अपने नागरिको के साथ धर्म के आधार पर भेद भाव ना करे, तथा सभी धर्मो के अनुयायियो (मानने वालो) को समानरुप से धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो।

#2. सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न – इसका तात्पर्य एक ऐसे देश से है जो अपने आंतरिक एवं वाह्य मामलो मे स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति रखता हो।

#3. गणराज्य – गणराज्य से तात्पर्य एक ऐसे देश से है। जहाँ राज्य का प्रमुख मनोनीत ना होकर, जनता के द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से निर्वाचित होता है।

प्रस्तावना का महत्व

के.एम. मुंशी के अनुसार प्रस्तावना भारत की राजनीतिक जन्मपत्री है।

ठाकूरदास भार्गव के अनुसार प्रस्तावना संविधान की आत्मा है।

प्रस्तावना मे भारतीय संविधान का दर्शन पाया जाता है।

प्रस्तावना मे स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शो की झलक मिलती है।

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