ब्रह्म समाज की स्थापना एवं विशेषतायें | About Brahmo Samaj in Hindi

ब्रम्ह समाज की शुरुआत सामाजिक व धार्मिक आंदोलन से हुआ था जिसकी स्थापना 20 अगस्त1828 में राजा राम मोहन राय तथा द्वारिका नाथ टैगोर ने किया था इस समाज का मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म में फैल रही कुरीतियों से इन्हें बचाना और हिन्दू धर्म को दुबारा पवित्र करना व एक भगवान को मानने के लिए लोगों को प्रेरित करना था।

ब्रह्म समाज
ब्रह्म समाज चित्र

सर्वप्रथम ब्रम्ह समाज का नाम ब्रम्ह सभा रखा गया था, लेकिन किन्ही कारणो से इसका नाम बदलकर ब्रह्म समाज कर दिया गया. इस संस्था का मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म में फैल रही कुरीतियों को मिटाना था अर्थात भारतीय समाज को कुरीतियों से बचाना व हिन्दू धर्म को दुबारा पवित्र करना था। हालाकि बाद मे ये समाज दो भागो मे बट गया, जिसका नेतृत्व केशव चंद्र सेन एवं देवेंद्र नाथ टैगोर ने किया।

ब्रह्म समाज क्या है? – Brahmo Samaj Kya Hai

ब्रम्ह समाज एक सामाजिक-धार्मिक संस्था है जो पहले ब्रम्ह सभा के नाम से प्रचलित था, लेकिन वर्तमान मे यह ब्रम्ह समाज के नाम से जाना जाता है इस समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय का मुख्य उद्देश्य समाजिक एवं धार्मिक सुधार करना था।

ब्रम्ह समाज की सहायता से समाज मे अचूक परिवर्तन हुये है इसने महिलाओ, किसानो, श्रमिको आदि के लिये विशेष कार्य किया, साथ ही भारतीय समाज मे व्याप्त कुप्रथा जैसे- सती प्रथा, बाल विवाह प्रथा आदि को हटाने का कार्य किया एवं विधवा पुन: विवाह, महिला शिक्षा आदि को लागू करने पर अधिक बल दिया।

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ब्रह्म समाज की स्थापना – Brahmo Samaj ki Sthapana

ब्रम्ह समाज की शुरुआत एक आंदोलन के रुप मे हुआ था इसकी स्थापना 20 अगस्त,1828 में राजा राम मोहन राय तथा द्वारिका नाथ टैगोर द्वारा स्थापित किया था इनका मुख्य उद्देश्य अलग-अलग धार्मिक मान्यताओ में बंटी हुई जनता को एक जुट करना तथा समाज में फैली हुई बुराईयों को दूर करना था।

1815 ई0 पूर्व राजाराम मोहन राय ने एक आत्मीय सभा की स्थापना की। जो 1828 ई0 में ब्रह्म समाज के नाम से जाना गया। इस ब्रह्म समाज को देवेन्द्र नाथ ठाकुर ने आगे बढ़ाया। और बाद में केशव चंद्र सेन ने भी इस समाज से जुड़े। उन दोनों के बीच मतभेद होने के कारण ब्रम्ह समाज दो भागो मे बट गया।

  1. ब्रह्म समाज का नेतृत्व केशव चंद्र सेन ने किया
  2. आदि ब्रम्ह समाज जिसका नेतृत्व देवेंद्र नाथ टैगोर ने किया।
राजा राममोहन राय कौन है? 
समाज सुधारक एवं आधुनिक भारत के जनक राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 मे भारत के बंगाल राज्य मे हुआ था। इनके पिता का नाम रमाकांत एवं माता का नाम तारिणी देवी था। राजा राम मोहन राय जी को आधुनिक भारत का अग्रदूत भी कहा जाता है क्युकि इन्होने ब्र्म्ह समाज, पत्रकारिता, लेखक जैसे कई अन्य माध्यमो से भारतीय समाज को सुधारने मे अहम भूमिका निभाई है।
राजा राममोहन राय से सम्बंधित मुख्य बाते
1. जन्म - 22 मई 1772
2. मृत्यू - 1833
3. व्यवशाय / पेशा - लेखक, समाज सुधारक, पत्रकार
4. मुख्य कार्य - समाज सुधारक, धार्मिक सुधारक, ब्रम्ह समाज की स्थापना, आदि
5. साहित्यिक कार्य - वेदांत गाथा, कठोपनिषद, मुंडक उपनिषद, हिंदू धर्म की रक्षा आदि 

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ब्रह्म समाज के सिध्दांत

  • आत्मा अमर है।
  • सभी मानव समान है।
  • मनुष्य को अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए।
  • ईश्वर एक है और वह संसार का देख रेख व निर्माणकर्ता है।
ब्रह्म समाज की स्थापना एवं विशेषतायें | About Brahmo Samaj in Hindi

ब्रह्म समाज की विशेषता – Brahmo Samaj ki Visheshata

ब्रम्ह समाज की स्थापना 1828 ई० मे राजा राम मोहन राय द्वारा की गई थी इसके प्रमुख नेताओ मे द्वारिका नाथ, देवेंद्र नाथ ठाकुर, केशव चंद्र सेन भी शामिल थे. सर्वप्रथम ब्रम्ह समाज का नाम ब्रम्ह सभा रखा गया था जिसे बाद मे परिवर्तित करके ब्रम्ह समाज कर दिया गया, लेखो से मिली जानकरी से यह सिध्द होता है कि ब्रम्ह समाज की स्थापना समाज को एकजूट करने एवं समाज मे फैल रही कुरीतियो व गलत धारणाओंं से समाज को बचाना था। ब्रम्ह समाज की विशेषताये निम्न है।

  • एकेश्वरवाद पर बल।
  • ब्रम्ह समाज, अनुष्ठान, बलि, आदि के खिलाफ था।
  • ब्रम्ह समाज सभी धर्मों की ऐकता मे विश्वास करता था
  • ब्रम्ह समाज, प्रार्थना व शास्त्रों के अध्ययन पर केंद्रित था।
  • ब्रम्ह समाज का उद्देश्य समाज मे व्याप्त कुरीतियों को मिटाना था।
  • मजदूरो, किसानो और श्रमिको के हित में बोलना।
  • हिन्दू धर्म की कुरूतियों को दूर करते हुए,बौद्धिक एवम् तार्किक जीवन पर बल देना।
  • समाज में व्याप्त महिलाओ के प्रति गलत धारण एवंं कुप्रथा जैसे पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा आदि का विरोध करना
  • महिलाओ के हित मे कार्य जैसे- विधवा पुनर्विवाह का सहयोग एवं महिला शिक्षा को बढ़ावा देना व प्रचार प्रसार करना आदि
  • ब्रम्ह समाज की स्थापना के कारण समाज में जाति, धर्म, प्रजाति आदि पर होने वाले भेदभाव मे काफी सुधार हुआ है।

FAQ: लोगो ने पूछा

ब्रम्ह समाज का अन्य नाम

ब्रम्ह समाज को ब्रम्ह सभा के नाम से भी जाना जाता था

ब्रम्ह समाज की स्थापना किसने की?

राजा राममोहन राय जी ने

ब्रम्ह समाज का मुख्य उद्देश्य क्या था?

ब्रम्ह समाज का मुख्य उद्देश्य समाज मे व्याप्त सामाजिक-धार्मिक कुरुतियो को दूर करना था।

ब्रम्ह समाज का प्रमुख कार्य क्या था?

ब्रम्ह समाज ने महिला शिक्षा, किसान, श्रमिक एवं मजदूरों के हित मे अधिक कार्य किया, साथ समाज मे व्याप्त कुप्रथा जैसे सती प्रथा, बाल विवाह जैसे प्रथाओ को समाज से दूर किया।

ब्रम्ह समाज की स्थापना कब हुई थी?

ब्रम्ह समाज की स्थापना 20 अगस्त 1828 को राजा राममोहन राय एवं देवेंद्र नाथ टैगोर द्वारा किया गया था।

निष्कर्सः इस लेख मे हमने भारतीय समाज मे व्याप्त सामाजिक एवं धार्मिक कुरीतियों को मिटाने एवं समाज मे तर्क एवं बौध्दिक विकास मे सहायता देने वाली ब्रम्ह समाज के विषय मे जाना, जिसके संस्थापक राजा राममोहन राय जी थे। ब्रम्ह समाज की सहायता से ही भारतीय समाज से सती प्रथा, बाल विवाह प्रथा, जाति, धर्म आदि मे भेदवाव जैसी संकल्पना से दूर हो पाया है. हालाकि ऐसी मान्यताये आज भी समाज मे व्याप्त है लेकिन यह पहले के मुकाबले कम है तथा वर्तमान समय मे भी ऐसी संस्थाये है जो समाज हित मे कार्यरत है.


संदर्भ –

  • https://www.drishtiias.com/hindi/printpdf/raja-ram-mohan-roy
  • https://hi.wikipedia.org/wiki/राजा_राममोहन_राय

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