प्रकृति पर निबंध या प्रकृति का अर्थ
[essay on Nature in Hindi]
प्रकृति का अर्थ , हमारे आस पास की वो सभी वस्तुये जो हमे दिखाई दे रही सभी प्रकृति का ही रुप है। अगर आप प्रकृति की परिभाषा का सही अर्थ समझे तो, हमारी आस – पास कि सभी जीवित वस्तुये प्रकृति का रुप है, चाहे वो मनुष्य हो ,जानवर हो या पेड पौधे और पंक्षी हो, सभी प्रकृति के द्वारा बनाया गया है।
हम जहाँ रहते है, हमारे चारो तरफ , पेड पौधे, वन, जानवर , मिट्टी, जलवायु, पाई जाती है, ये सभी वस्तुये प्रकृति की देन है। दरअसल मनुष्य प्रकृति द्वारा प्रदान किये गये सभी वस्तुयो का उपयोग करके ही किसी अन्य वस्तु का निर्माण करता है। जैसे- घर, कपडा, बर्तन इत्यादि
मानव, प्रकृति द्वारा बनाई गई सबसे बुध्दिमान रचानायो मे से एक है, लेकिन आधुनिक समय के मानव प्रकृति को नुकसान पहुचा रहे है, उनके द्वारा कई ऐसे काम किये जा रहे जो प्रकृति को पूरी तरह बर्बाद कर सकती है
मानव किस प्रकार प्रकृति को नष्ट कर रहा
हमे ज्ञात है की हमारे आस-पास जितनी भी वस्तुये है सब प्रकृति की देन है , किसी भी मनुष्य या जीव – जंतु को जीवित रहने के लिये , आक्सीजन की जरुरत होती है जो की प्रकृति द्वारा प्राप्त होती है, ऐसे मे अगर हम प्रकृति को नुकसान पहुचाते है तो अपने ही पैर पर कुल्हाडी मारने का काम करेंगे। Nature Quotes in hindi
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प्रकृति हमे आक्सीजन ही बस नही, बल्की किसी जीव को जीवित रहने के लिये जितने संसाधनो की जरुरत होती है सभी प्रकृति द्वारा प्राप्त होता है। जैसे- भोजन, जलवायु, शुध्द वायु, इत्यादि
अगर हम प्रकृति को नुकसान पहुचाने वाले श्रोतो की बात करे है, कोई अन्य जीव नही बल्की प्रकृति के द्वारा बनाया गया सबसे बुध्दिमान जीव (मनुष्य) ही प्रकृति को नष्ट कर रहा, प्रकृति को नष्ट करने मे सिर्फ और सिर्फ मानव है प्रकृति के द्वारा बनाये गये अन्य सभी जीव प्रकृति की उपयोगिता समझते है ।
प्रकृति को नष्ट करने वाले कारक
प्लास्टिक का प्रयोग करके |
फैक्टिरियो से निकलने वाले हवा से |
पेड-पौधो को काटने से |
गाडी, कार, जैसे वाहनो से |
प्रदुषित जल के वजह से |
प्रकृति को बचाने के उपाय
प्रकृति को कैसे बचाये- प्रकृति को बचना उतना ही जरुरी है जितना किसी मनुष्य को अपने स्वास्थ्य की चिंता रहती है, “प्रकृति है तो जीवन है” इस बात को मनुष्य जितना जल्दी समझ सके उतना ही बेहतर है,
आजकल के आधुनिक लोग अपने स्वास्थ्य की तो चिंता करते है, लेकिन स्वास्थ्य को सही रखने का मूल नही जानते है, जो की प्रकृति है, भारत सरकार द्वारा कई बार प्लास्टिक पर रोक लगाने के बावजूद भी लोग प्लास्टिक का प्रयोग करना नही छोडे, ऐसे मे कैसे मान लिया जाये की आज के आधुनिक लोग प्रकृति को बचाने का प्रयास कर रहे है । जबकि उनको भलि-भांति पता है की प्लास्टिक को नष्ट नही किया जा सकता और इसके प्रयोग भर मात्र से स्वस्थ्य व प्रकृति को कितना अधिक नुकसान होता है ।
प्रकृति को बचाने के लिये हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक योजना बनाई थी जिसका नाम “स्वच्छ भारत अभियान “है जिसके अंतरगर्त लोग अपने घर ,समाज , सार्वजनिक स्थान को साफ करने का निर्णय लिया, और एक न्यारा दिया- “स्वच्छ भारत, सफल भारत”
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मनुष्य जितना अधिक विकसित होता जा रहा है , वो उतना ही प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है , जब तक हर एक मनुष्य के अंदर प्रकृति को बचाने का ख्याल नही आयेगा तब तक प्रकृति से खिलवाड़ होता रहेगा ।और इससे मानव प्रकृति से दूर होता जा रहा है, जबकि मानव को प्रकृति के साथ – मिल-जूल के रहना चाहिये, क्योकी “ऐकता मे शक्ती होती है “ लेकिन धीरे-धीरे लोगो को अब प्रकृति के जरुरत का अनुभव हो रहा,
मानव धीरे – धीरे प्रकृति के प्रति जागृति हो रहा है, अब कई स्कूल व संस्थाये बच्चो को प्रकृति कि विशेषतायो से अवगत करा रहे , उन्हे प्रकृति को बचाने का उपाय व रास्ता बताया जा रहा, प्रकृति के महत्व को समझा रहे है जिससे भारी संख्या मे लोग अब पेड-पौधो लगा रहे है ।
प्रकृति को बचाने की जरुरत नही है वो खुद को बचा लेगी, बस नुकसान पहुचाना छोड दो
प्रकृति के प्रति हमारा कर्तव्य
प्रकृति के प्रति बस हमारा कर्तव्य ये है की प्रकृति को हमे नष्ट होने से बचाना है, प्रकृति के दुश्मन कोई और नही मानव है, मानव द्वारा ज्यादातर किया गया कार्य प्रकृति को नुकसान पहुचाता है,
अगर हमे प्रकृति को बचाना है तो ,प्रकृति को नुकसान पहुचाना बंद करदे , प्रकृति खुद इतना सक्षम है की वो अपना बचाव कर सकती है , बस मानव को उसे नुकसान पहुचाने से डरना चाहिये , प्रकृति है तो जीवन है