बच्चों की कहानी- Bachcho ki Kahani
आप सभी ने बचपन में खरगोश और कछुए की कहानी सुनी होगी। लेकिन क्या आपको पता है इस कहानी के बाद भी 3 कहानियां थी जो आपको बचपन में नहीं सुनाई गई थी। आज इस लेख मे हम पूरानी व नई तीनो कहानीया सुनायेंगे और इन कहानियों का जीवन मे उपयोगिता जानेंगे।
![खरगोश और कछुए की नई कहानी । Bachcho ki Kahani 1 Bachcho ki Kahani](https://anantjivan.in/wp-content/uploads/2022/03/bachchho-ki-kahani.jpg)
अधिकत कहानीया जीवन के विकास मे अहम भूमिका निभाती है, बचपन मे हम सभी ने ऐसी कई कहानिया पढी है जो जीवन को प्रेरणा देने का कार्य करती थी। जैसे- कछूया और खरगोस की कहानी, सर्प और नेवले की कहानी, आदि
खरगोस व कछूए की पहली कहानी जो आपने बचपन में सुनी थी
![खरगोश और कछुए की नई कहानी । Bachcho ki Kahani 2 Bachcho ki Kahani](https://anantjivan.in/wp-content/uploads/2022/03/istockphoto-973628754-612x612-2.jpg)
जैसा कि आपने बचपन में सुना होगा खरगोश को अपने तेज रफ्तार के बहुत ज्यादा घमंड था।इसलिए जब भी कोई जंगल में उसे मिलता है वह उसे रेस के लिए चैलेंज करता है था।
खरगोश के इस चैलेंज को कोई भी स्वीकार नहीं करता था क्योंकि खरगोश बहुत तेज भागता था लेकिन एक दिन खरगोश के इस चैलेंज को कछुए ने स्वीकार कर लिया।
रेस शुरू होती है खरगोश बहुत तेजी से दौड़ता है और कछुए से बहुत ज्यादा आगे निकल जाता है और आगे निकलने के बाद जब वह पीछे मुड़कर देखता है तो कछुआ बहुत दूर-दूर तक नजर ही नहीं आ रहा था। तो खरगोश ने मन ही मन सोचा की कछुआ अभी बहुत पीछे है। पढे- डेरावनी कहानिया
जब तक कछुआ नजदीक आता है तब तक यहां थोड़ा सा आराम कर लू।आराम करते करते उसकी आंख कब लग गई उसे पता ही नहीं चला और जब उसकी नहीं खुलती है तो वह देखता ही खरगोश बहुत आगे निकल चुका है वह उठता है और बहुत तेजी से भागता है लेकिन वो उस रेस को हार जाता है। कछुआ अपनी धीमी रफ्तार से सही लेकिन वो रेस को जीत जाता है।
सीख:- इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की धीरे चलो लेकिन लगातार चलो क्योंकि लगातार चलने वालों को ही जीत होती है। (Bachcho ki Kahani)
दूसरी कहानी जो आपको बचपन में नहीं सुनाई गई थी
![खरगोश और कछुए की नई कहानी । Bachcho ki Kahani 3 Bachcho ki Kahani](https://anantjivan.in/wp-content/uploads/2022/03/istockphoto-172188338-170667a-1.jpg)
पहली रेस हारने के बाद खरगोश बहुत ज्यादा निराश हुआ और उसे अपनी गलती समझ में आ गई थी कि वो अगर वहां आराम करने के लिए रुका ना होता तो कछुआ कभी भी जीत नहीं सकता था।
अब एक बार फिर से खरगोश कछुए के पास जाता है उसे रेस के लिए चैलेंज करता है। कछुआ पहली रेस को जीतने के बाद बहुत ही विश्वास के साथ भरा हुआ था और उसने इस रेस के चालक को भी स्वीकार कर लिया।
रेस शुरू होती है खरगोश बहुत तेजी से दौड़ता है लेकिन इस बार कहीं भी रुकता नहीं है और खरगोश से बहुत आगे निकल जाता है और उसे एक बहुत बड़े मार्जिन से हरा देता है।
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सीख:- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धीरे चलना और लगातार चलना ठीक है लेकिन उससे भी बेहतर है कि तेज चलो और लगातार चलो आजकल के समय में अगर आप आजकल के समय में तेल और लगातार नहीं चलोगे तो आपका पीछे हो जाओगे आपको पता भी नहीं चलेगा । (Bachcho ki Kahani)
•खरगोश और कछुए के रेस की तीसरी कहानी।
![खरगोश और कछुए की नई कहानी । Bachcho ki Kahani 4 खरगोश और कछुए की नई कहानी । Bachcho ki Kahani](https://anantjivan.in/wp-content/uploads/2022/03/janan-lagerwall-302xfiIGOfE-unsplash-768x1024.jpg)
इस बार खरगोश कछुए को नहीं कछुआ खरगोश को रेस के लिए चैलेंज करता है लेकिन जो इस बार रेस के रूल होते हैं कछुआ अपने मुताबिक तय करता है।
और खरगोश इस रेस के चैलेंज को भी स्वीकार कर लेता हैं इस बार भी खरगोश बहुत तेजी से आगे भागता है और कछुए से बहुत आगे निकल जाता है
लेकिन जब वह आगे जाता है तो रास्ते में एक नदी होती है और खरगोश इस नदी को कभी भी तय करके पार नहीं कर सकता था कछुआ धीरे-धीरे नदी किनारे पहुंचा और नदी को तय करके पार किया और उस पार जाने के बाद कछुआ इस रेस को जी चाहता है।
सीख :- इस तीसरी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपने अंदर की ताकत को पहचानो भले खरगोश कछुए से काफी तेज था लेकिन फिर भी कछुए ने इस रेस को जीत लिया क्योंकि कछुए ने अपने अंदर की ताकत को पहचान लिया था।
इसलिए दोस्तो आप भी अपने अंदर के ताकत को पहचानो यानी कि आप जिस काम में सबसे अच्छे हो उस काम को करो सफलता आपके कदम एक दिन जरूर चूमेगी । (Bachcho ki Kahani)
खरगोश और कछुए की रेस की चौथी कहानी
अभी यह कहानी खत्म नहीं हुई है इसके बाद भी एक कहानी है इस बार भी एक रेस शुरू होती है लेकिन as a competitor नही बल्कि as a teammate 3 रेस लगाने के बाद कछुआ और खरगोश एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त हो चुके थे।और जैसे ही रेस शुरू होती है खरगोश कछुए को अपनी पीठ पर बैठा था।
और जल्दी से नदी किनारे पहुंचाता है और जैसे ही नदी के पास पहुंचा कछुए ने खरगोश को पीठ पर बैठाया और खरगोश को नदी को पार करवाया और जैसे ही वे दोनों ही नदी के उस पार पहुंचे तो खरगोश ने कछुए को अपनी पीठ पर बैठाया और मिलकर रेस को जीत लिया।
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सीख:- चौथी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में ताकत होती है।तीसरी कहानी में कछुआ जीत तो गया था लेकिन बहुत ही धीमी रफ्तार से (Bachcho ki Kahani)
तो यह थी खरगोश और कछुए की आगे की कहानी जो आपने बचपन में नहीं सुनी थी। तो चलिए मैं आपको इस चारों कहानियों की सीख को एक बार फिर से बता देता हूं।
चारों कहानिया से क्या मिली सीख
(1) पहली कहानी से हमें यह सीख मिली की धीरे ही चलो लेकिन लगातार चलो, निरंतर प्रयास करने वालों की सदा जीत होती है।
(2) दूसरी कहानी से हमें यह सीख मिली की तेज चलो और लगातार चलो, क्योकि आधुनिकता के अनुसार परिवर्तित होकर ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
(3) तीसरी कहानी से हमें यह सीख मिली की अपने अंदर के ताकत को पहचानो और उस पर काम करो। तभी सफलता आपकी कदम चुमेगी।
(4) चौथी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सामूहिक ताकत बहौत बलवान होता है क्योंकि अगर आप कोई काम टीम बनाकर करते हो तो आप उस काम को काफी तेजी से और सक्सेसफुली कर लोगे।
तो ये थी चारों कहानियां जो आपको बचपन मे नहीं सुनाई गई थी, अगर ये कहानिया आपको अच्छी लगी हो तो, कमेंट मे जरुर बतायें, और अपने दोस्तो के साथ साझा करना ना भूले। हम जल्द ही मिलते है एक नई कहानी के साथ। Join US