भूत-प्रेत की डेरावनी कहाँनिया । bhootwala kahani

bhootwala kahani:-
इस लेख मे आप भूत की डेरावनी कहाँनी पढेंगे जो की सच्ची घटना (Real horror story) व थोडी काल्पनिक है (imaginary horror story) ये कहाँनी एक 12 साल के बच्चे की है, ये कहाँनी तब की है जब वह छोटा बच्चा 7वी कक्षा मे था।

इस कहाँनी को लिखने का माध्यम किसी को डराना या मानसिक प्रताडना देना नही है,ये कहाँनी भूत-प्रेत के बारे मे जानने वालो के लिये व उनकी कहाँनी पढने वालो के लिये लिखी गई है, इस bhootwala kahani को आप अपने जोखिम के साथ पढे , पुरानी कहाँनिया पढे

भूत वाला कुआ
Bhoot ki Kahani


ये कहानी तब की है जब मैं छोटा था और सातवीं मे कक्षा मे पढता था। मेरे घर से मेरा विद्यालय काफी दूर था। विद्यालय जाने के लिये बच्चों के लिये विद्यालय के तरफ से गाड़ी आती थी पर हम गरीब परिवार से थे, इसलिये विद्यालय पैदल गाँव के रास्ते से जाना पडता था तब के समय मे गाव के रास्ते कच्चे हि होते थे और बरसात मे कच्चे रास्तों पे पानी जमा हो जाने के कारण पानी से होकर विद्यालय जाना होता था कच्चे सडको पर पानी हो जाने की कारण सडक के बगल मे बडे – बडे सरपत के पौधे उग जाते थे। जो कि सुबह देखने मे जितना खुबसुरत लगते है साम को उतना ही डरावने लगते थे क्योकी उन सरपतो मे जंगली जानवर जैसे सियार और जंगली सुवर और एक भेड़िया (बिगवा) हुवा करता थे। [bhut ki kahani]


मेरे विद्यालय और घर के बीच मे एक बडा सा बगिचा था और उस बगिचे मे कई कुये थे, उन कुयो का बहुत ही अजीब तरह के पैटर्न था उसमे से एक कुवा सब से खास था जो की गाव के रास्ते मे पडता था कुये मे गाव के कई लोगो के गिरने से मौत हुई थी । पर सब से पहले एक औरत ने वहा पे ख़ुदकुशी कि थी जिसके बाद लोगो का उस कुवा मे गिरने और मरने का सिलसिला बडता गया, हर साल कम से कम एक या दो लोगो का कुवे मे गिरने के कारण मौत हो जाती थी और कुछ लोगो का कहना यह भी था की जो उस कुवे के आस पास भी जात था उसे औरत के रोने की अजीब प्रकार की आवाज सुनाई देती थी। लोगो का कहना था की जो औरत पहली बार उस कुवे मे मरी थी वही सब को अपने बस मे कर के उस कुवे मे बुलाती है और जो भी उस कुवे के आस पास जाता था वो मारा जाता था जिससे गाव के लोगो मे उस कुये के प्रति फय समा गया और साम होने से पहले गाव के लोग उस कुये के रास्ते से जाना छोड देते थे उससे दूर हो जाते क्योकी भूत- प्रेत के साथ-साथ उस कुये पर जंगली जानवरों का बसेरा भी माना जाता था [bhootwala kahani]

bhootwala kahani
horror pic

मेरे विद्यालय का रास्ता उस बगिचे के बगल से होके जाता था और बगिचे के बीच से भी एक रास्ता था जो की पतला सा था मगर उस रास्ते से सिर्फ जानवर ही जाया करते थे और कभी कभी लोग भी सुबह के वक़्त उस रास्ते से जाया करते थे
और जो भी उस रास्ते से सुबह भी अकेले चला जाये उसे हम लोग बहुत बहादूर मान लेते थे

ये तो कुवा और उसके घटना के बारे मे था अब मैं आप को अपने साथ घटी उस डरावनी अनुभव के बारे मे बताना चाहता हु जो मैने उस बगिचे को अकेले पार करते हुये किया था (मै आप को उस कुवा के बारे मे एक और कहानी बताउंगा जिसमे उस कुवे मे पुरे परिवर कि मौत हुवा था)

पहले मै अपनी bhootwala kahani बताता हु

आज का दिन रोज़ कि तरह आम दिन नही था मेरे लिये, जिसमे कि मैं रोज़ कि तरह विद्यालय अपने समय पे और अपने दोस्तों के साथ जाना था आज का दिन खास था क्यो की आज वार्षिक समारोह था| जिसमे मैने बहुत से कर्यक्रमो मे हिस्सा ले रखा था और हमे उस दिन बहुत सी जिम्मेदारिया दी गई थी
जिसमे मुख्य अतिथि से ले कर कौन सा कार्यक्रम कब और कैसे कराना है, कौन से गाने पे कौन है और दो नाटक थे और मैं दोनो मे था, जिसकी वजह से मुझे बहुत देर हो गया था विद्यालय से निकलने मे , मेरा घर मेरे विद्यालय से दूरी पे था और मेरे दोस्त विद्यालय के काम से विद्यालय मे हि रुकने का तय करते है और मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ निकल गया था । साम के 7 बज रहे थे जब मै विद्यालय से निकला था मेरे सारे दोस्त 7.30 तक अपने रास्ते अपने घर के तरफ निकल गये थे और मैं अकेला रह गया था उस दिन पुरी चाँद कि रात थी और हल्के हल्के बादल थे जिससे मुझे रास्ता साफ दिख रहा था और कक्चा रास्ता था तो रास्ते मे पानी भी था, रात का मौसम बहुत सुहवना लग रहा था इस लिये मैं आराम से ही जा रहा था मगर उस बगिचे के 1 किमी. पहले ही मेरी साइकल का हवा निकल गया था तो मैं पैदल हि मस्त आ रहा था चाँद पुरा था तो मुझे कोई डर भी नही लग रहा था मैं आराम से पैदल आ रहा था मुझे काफी देर हो गया था और तब उस वक़्त फोन भी कहा हुवा करते थे सब के पास, और किसी को पता भी नही था कि मैं कहा हुं विद्यालय से मैं निकल गया था और घर वालो को पता था की सब की तरह मैं भी विद्यालय मे हि हु, इस लिये मैं घर समय पे जाना चाहता था मुझे पता था [horror story in hindi]

अगर मैं जादा देर से घर जाउँगा तो पिटाई होगी जब मैं उस बगिचे के पास पहुँचा तो मुझे थोडा- थोडा डर लगने लगा मैंने एक बार सोचा कि बगिचे मे से हि जाउँगा मगर फिर मुझे याद आया कि लोग काह्ते थे कि रात मे जितने लोग उस कुवे मे मरे है वो सब रात को बाहर निकल कर खेलते है तो मैंने सोचा मैं बगिचे के बाहर बाहर से जाउँगा। वो बगिचा पूरा तार से घेरा हुवा था ताकि कोई अंदर न जये जब मै बगिचे के बगल से जा रहा था तो मैंने कुछ लोगो को बगिचे से गुजरते हुये देखा था जो कि आम लोगो कि तरह ही बगिचे से जा रहे थे मगर मेरा मन किया कि जब सब जा रहे है तो मै भी इनके साथ जाऊँ मगर जब मैं उस कुवे के जब करीब आया तो चाँद को बादलों दे डक लिया था सारा का सारा आसमान काला हो गया था। और भेड़िये भी बोलने लगे मैं एकदम से डर गया था। और जल्दी जल्दी चलने लगा मगर जल्दी जल्दी मे मैं एक गड्डे मे गिर गया और जब मै उठा तो मैने बगिचे मे देखा की सायद जो लोग जा रहे थे वो मुझे देख के मेरी साईकल उठाने आयेंगे मगर जब मैंने देखा तब बगिचे मे कोई नही था और बस आवाजें आ रहि थी एसी आवाजें जो रुह तक को डरा दे एसि आवाजे जो की भुतो को भी डरा दे , मुझे लगा बादल कि वजह से दिख नही रहे है पर बादल कभी कभी हट रहे थे , जब बादल हटे तो मैंने देखा कि सच मे कोई नही था वहा मैं बहुत डर गया था और किसी कि बहुत पास होने का एहसास हो रह था मगर मैं उठा और सीधा चलता गया मेरे हाथ काप रहे थे दिल कि धाकने बहुत तेज़ थी, कभी बादल चाँद को छिपाते तो कभी हट जाते और सियार भी उस वक्त तक बोलना शुरू हो गये थे मै बस चलता जा रहा था जल्दी जल्दी मैं ये नही देख रहा था कि मेरे पैसे किचड मे है या साफ जगह पे बस मैं चलता जा रहा था मैं फिर से एक बार गिर गया और मह्सुस किया कि कुछ मेरी तरफ बहुत तेज़ी से आ रह है मै एकदम से डर गया फिर मैं देखा तो एक सियार था जो कि मुझे हि देख रहा था और मैं फिर से खड़ा हुवा और चलता गया और मैं उस बगिचे के दायरे से बाहर था। .जहाँ चाँद कि पुरी रोसनि रास्ते को साफ साफ दिखा रही थी [Real horror story in hindi for reading]

मेरा घर अभी फिर भी कुछ दूर था मै डरते डरते घर पहुँचा और जब घर वालो ने पूछा तो मैंने कहा बगिचे के पिछे वाली सडक से आ रहा था और वही दो बार पानी जमा होने कि वजह से गिर गया था और बगिचे मे लोग थे और किसी ने भी मदद नही कि तो सब ने बतया कि वो डायन की परिवार था और सायद तुम्हे भी अपने परिवार मे समिल करना चाहती थी मुझे उस का मतलब पता था कि कैसे वो मुझे अपना परिवार का हिस्सा बनाएगी मुझे उस कुवे मे आत्म हत्या करना होगा तब जाके मैं उसके परिवार का हिस्सा बन जाता, मै उस दिन तो बच गया मगर मुझे कई दिनो तक उसके डरावने सपने आते रहे।

अगली कहनी मे मै बताउंगा की वो सपने कैसे थे मै इन सब चिज़ो से कैसे बच गया जब एक डायन ने मुझे अपना परिवार बनाना चाहा। [kahani bhoot ki]

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