25 दिसम्बर: क्रिसमस क्यों मनाया जाता है ? जाने क्रिसमस डे का महत्त्व‌‌

क्रिसमस का त्योहार हर वर्ष 25 दिसम्बर को पूरे विश्वभर मे मनाया जाता है। इस दिन प्रभू ईसा मसीह जो ईसाई धर्म के संस्थापक है का जन्म हुआ था यह ईसाइयों का प्रमुख त्यौहार है।

आइये जानते है की क्रिसमस क्यों मनाया जाता है ? साथ ही इसके पीछे का इतिहास क्या है।

क्रिसमस क्यों मनाया जाता है
क्रिसमस क्यों मनाया जाता है

क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?

भारत में ईसाई भाईयों की संख्या ढाई फीसदी है, यहां यह पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गोवा में खासकर लोकप्रिय चर्च है। जहां पर बड़े उत्साह उमंग और जोश के साथ क्रिसमस डे मनाया जाता है। अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश और पुर्तगाली शासन के दौरान बनाएं गये थे।

इस त्योहार को लेकर इतिहासकारो में कई मतभेद हैं कई इतिहासकारों के अनुसार यह त्योहार यीशु के जन्म से पूर्व ही मनाया जा रहा है। क्रिसमस पर्व रोमन त्योहार सैचुनेलिया रोमन देवता है। बाद में जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो उसके बाद लोग यीशु को अपना ईश्वर मानकर सैचुनेलिया पर्व को क्रिसमस डे के रूप में मनाने लगे।

क्रिसमस पेड़ क्यों सजाते हैं |

25 दिसम्बर: क्रिसमस क्यों मनाया जाता है ? जाने क्रिसमस डे का महत्त्व‌‌

क्रिसमस पेड़ को भी लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित है। कहां जाता है कि १६ वीं शताब्दी में ईसाई धर्म के सुधारक मार्टिन लूथर ने २४ दिसम्बर को एक
बर्फीले जंगल से जा रहें थे जहां उन्होंने एक सदाबहार का पेड़ देखा, चांदनी रात में बर्फीली डालियां चमक रही थी।

उसने पेड़ को अपने घर ले आए और इसे छोटे छोटे कैनडल से सजाया। इसके बाद से ही क्रिसमस डे के जन्मदिन के सम्मान में भी सदाबहार के पेड़ को सजाया जाता है।

यीशु के वचन

ईसाई धर्म में क्रिसमस त्यौहार का महत्व

वास्तव में ईसाई भाईयों के लिए यह बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार के दिन वह अपने इष्ट देवता यीशु के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं। इसलिए उन सबके लिए यह बहुत ही पावन व पवित्र दिन है।

यीशु मसीह ईसाई धर्म के संस्थापक हैं। बाइबिल ईसाई धर्म का पवित्र ग्रन्थ है। इसमें उनके उपदेशो और उनकी जीवनी विस्तार से बताया व लिखा गया है।

25 दिसम्बर: क्रिसमस क्यों मनाया जाता है ? जाने क्रिसमस डे का महत्त्व‌‌

क्रिसमस का सन्देश- क्रिसमस का त्योहार शान्ति और सदभावना का प्रतीक है। बाइबल में यीशु जी शान्ति का दूत बताया गया है। वे हमेशा व्यक्तियों को सन्देश देते थे कि शान्ति के विना किसी भी धर्म का अस्तित्व सम्भव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि से हमेशा दूर रहने के लिए बताया है।

सेंटा क्लॉज की प्रथा

सेंटा क्लॉज की प्रथा सन्त निकोलस ने चौथी या पांचवीं सदी में की थी। वे यशिय माइनर के पादरी थे। और बच्चों से बहुत प्यार करते थे। इसलिए क्रिसमस के मौके पर बच्चे सेंटा क्लॉज का बेसब्री से इंतजार करते हैं क्योंकि वे बच्चों को खुशियों वाला, प्यारा सा गिफ्ट देते है। दरअसल वे नववर्ष पर अमीर व गरीब सभी को प्रसन्न देखना चाहते थे।

क्रिसमस ट्री का महत्व

प्राचीन काल से ही क्रिसमस ट्री को जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है। इसे ईश्वर की ओर से लम्बे जीवन के आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है।यह माना जाता है कि इसे घर में सजाने से घर के बच्चों की आयु लम्बी होती है। इसी वजह से हर साल इस दिन क्रिसमस ट्री को सजाने लगे ।

25 दिसम्बर: क्रिसमस क्यों मनाया जाता है ? जाने क्रिसमस डे का महत्त्व‌‌

क्रिसमस ईसाई धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इसे हर साल २५ दिसम्बर को मनाया जाता है। अपने आप में यह त्योहार इतना फैला हुआ है कि दुनिया भर में इसे सभी धर्मों के लोग भी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहते हैं।

ईसाई धर्म यानी क्रिश्चन के मान्यताओं के अनुसार यह कहां जाता है कि इस दिन ईशा मसीह का जन्म हुआ था। ईसा मसीह ईसाईयो के ईश्वर है इस लिए क्रिसमस डे के दिन गिरिजाघरों यानी चर्च में भगवान यीशु के जन्म की गाथा व झांकियां निकाली जाती है और चर्च में प्रार्थना की जाती है।

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