मां जगध्दातरी की पूजा । jagadhatri puja 2023 date । jagadhatri puja 2023
कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन बड़े धूमधाम से जगधात्री पूजा (jagadhatri puja) का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार दुर्गा पूजा की तरह ही मनाया जाता है
मां जगधात्री की पूजा बड़े हर्षोल्लास के साथ चार दिन तक चलती है. इस पर्व मे मां के तेज़ स्वरूप की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार यह त्योहार बड़ा ही शुभ माना जाता है.
मां जगधात्री पूजा – jagadhatri puja 2023
2023 में जगधात्री पूजा 21 नवंबर दिन मंगलवार को पड़ेगा, जगधात्री पूजा का एक विशेष महत्व है ये पूजा पश्चिम बंगाल और ओडिशा में खूब धूमधाम से मनाया जाता हैं, और बंगाल के हुगली जिले में भी इस पर्व की बहुत ज्यादा धूम मिलती है।
इस पर्व के दौरान माता रानी के बड़े बड़े पंडाल सजाएं जातें हैं। दुकानें और बाजार दुल्हन जैसे सजाएं है. हर जगह माहौल भक्तिमय हो जाता है। माता रानी की कृपा से वहां का जन जीवन खुशहाल रहता है।
jagadhatri puja 2023 date: इस वर्ष जगधात्री पूजा 21 नवंबर 2023 दिन मंगलवार को है। इस त्योहार को मां दुर्गा के पुनर्जन्म की खुशी में मनाते हैं। देवी जगध्दातरी बुराई को नष्ट कर अपने भक्तों को सुख शांति देती है। read – मां काली के 108 नाम जाने
जगद्धात्री मां की पूजा एवं भव्य प्रतिमा का वर्णन
कुछ लोगों का मानना है कि सबसे पहले देवी जगधात्री की पूजा (jagadhatri puja) रामकृष्ण की पत्नी श्रीमती शारदा देवी ने की थी। वे भगवान में आस्था और विश्वास रखती थी, इस त्योहार को मां दुर्गा के पुनर्जन्म की खुशी में मनाते हैं। देवी जगध्दातरी बुराई को नष्ट कर अपने भक्तों को सुख शांति देती है।
- इस पूजा का आयोजन दुर्गा पूजा की तरह ही किया जाता है।
- माँ की बड़ी प्रतिमा को पंडाल में सजाया जाता है।
- दुर्गा पूजा की तरह ही माँ की प्रतिमा को लाल रंग की साड़ी और गहनों को पहनाया जाता है।
- माँ की मूर्ति को फूलों से सजाते हैं और विधि विधान से माँ की पूजा की जाती है
- इस पर्व में मेले का भी आयोजन किया जाता है। यह मेला भव्य मेला होता है।
- जगद्धात्री पूजा (jagadhatri puja) में सुन्दर- सुन्दर झांकियां सजाई जाती हैं।
- जगद्धात्री पूजा में माँ का भजन-कीर्तन और गरबा का आयोजन भी किया जाता है
- जगद्धात्री पूजा के पंडाल अत्यधिक सुन्दर होते हैं
जगध्दातरी मां की पूजा – jagadhatri Maa Ki puja 2023
जगद्धात्री मां की पूजा यूं तो कोलकाता के कई क्षेत्रों में होती है, लेकिन इस पर्व की सबसे ज्यादा धूम यहां के चंदननगर, कृष्णानगर एवं नदिया जैसे इलाकों में देखने को मिलती है। यहां चार दिनों तक पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता
माता के तेज स्वरूप की होती है पूजा
जिस प्रकार नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है उसी प्रकार जगद्धात्री देवी भी शेर की सवारी करते हुए उनका तेज़ स्वरूप सूर्य की लालिमा की तरह होता है। उनकी भी तीन आंखे होती है। इसके अतिरिक्त चार हाथ होते हैं। जिनमें वह शंख, धनुष, तीर और चक्र धारण करती हैं। वह लाल रंग की साड़ी में बहुत सुंदर लगती है ।
पूरे बंगाल में माता रानी की छबि
पूरे बंगाल में एक विशेष महत्व है। दुर्गा पूजा के ठीक एक महीने बाद मनाई जाती है जगद्धात्री पूजा। सारा कलकता शहर और आसपास के शहरों से लोग उमड़ पड़ते हैं इस पूजा में शामिल होने के लिए। भव्य मूर्तियाँ और आलीशान पंडाल इस शहर को एक नया रूप दे देते हैं । कार्तिक महीने में मनायी जाने वाली इस पूजा में देवी जगद्धात्री चार हाथों में नाना शस्त्र लिए होती हैं। शेर पर सवार इस देवी की भव्य मूर्तियाँ जगह-जगह पंडाल की शोभा बढ़ा रही होती हैं।
जगद्धात्री पूजा क्यों मनाते हैं? – jagadhatri puja Kyu manate Hai
जगधात्री पूजा (jagadhatri puja) पर्व को उत्साह के साथ इसलिए मनाया जाता है क्योंकि माँ दुर्गा बुराई को खत्म करती हैं और अच्छाई को जागृत करती हैं। माता रानी के पूजा के दिन पंडाल सजाए जाते हैं। सभी स्थानों पर माँ की मूर्ति को स्थापित किया जाता है।
इस पूजा को पूरे विधि-विधान से चार दिनों तक किया जाता है। पंडालों में जागरण का आयोजन भी किया जाता है। जगद्धात्री माँ को भारत की माता का स्वरूप दिया गया है। इस पूजा के दौरान विशेष तरह के मेले का आयोजन किया जाता है। मेले का अत्यधिक महत्व होता है।