पितृ पक्ष क्या है ? महत्व, पूजा विधि और नियम जाने

पितृ पक्ष

पितृ पक्ष (Pitr Paksh)

पितृ पक्ष का हिन्दू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व होता है।। पितृ पक्ष को श्रद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में बिधि बिधान से पितर सम्बंधित कार्य करने से पितरों (पूर्वजो) का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पितृ पक्ष की शुरुआत भादव माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृपक्ष रहता है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितर सम्बंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पितृपक्ष में श्राद्ध की तिथि – 10 सितम्बर से 24 सितम्बर तक

पितृपक्ष कब से शुरू है

पितृपक्ष 11 सितम्बर से शुरु होकर 25 सितम्बर तक है। नीचे शारणी मे आप सारे पितृ पक्ष की तिथि देख सकते है।

पूर्णिमा श्राध्द10 सितम्बर 2022
प्रतिपदा श्राध्द10 सितम्बर 2022
द्वितीया श्राध्द11 सितम्बर 2022
तृतिया श्राध्द12 सितम्बर 2022
चतुर्थ श्राध्द13 सितम्बर 2022
पंचमी श्राध्द14 सितम्बर 2022
षष्ठ श्राध्द15 सितम्बर 2022
सप्तमी श्राध्द16 सितम्बर 2022
अष्ठमी श्राध्द18 सितम्बर 2022
नवमी श्राध्द19 सितम्बर 2022
दशमी श्राध्द20 सितम्बर 2022
एकादशी श्राध्द21 सितम्बर 2022
द्वादसी श्राध्द22 सितम्बर 2022
त्रयोदशी श्राध्द23 सितम्बर 2022
चतुर्दशी श्राध्द24 सितम्बर 2022
अमावस्या श्राध्द25 सितम्बर 2022
  1. पितृ पक्ष में पितरों से सम्बंधित कार्य करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती है।
  2. इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
  3. पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध करना शुभ माना जाता है।
  4. पितर पक्ष में एक दीपक ज़रूर जलाना चाहिए पितरों के नाम ख़ुशी आये।

पढे – रहीम के लोकप्रिय दोहे

श्राद्ध विधि

किसी विद्वान ब्राह्मण को बुलाकर श्राद्ध कर्म पिण्ड दान करवाना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में पूरी श्रद्धा से ब्राम्हण पंडित को दान दिया जाता है। यदि गरीब की जरूरत मन्द सहायता भी आप कर सके तो बहुत पुण्य होता है। इसके साथ साथ गाय, कुत्ते कौआ पशु पक्षियों को भी दाना या रोटी खिलाना चाहिए।

पूजा सामग्री – रोली, सुपारी, रक्षा, काला तिल, हवन, गुण, जवा, घी, कपूर, तुलसी पत्ता, आम का पता, शहद, माला फूल, आदि सामग्री

  • यदि सम्भव हो तो गंगा नदी के किनारे श्रद्धांजलि देना चाहिए। यदि सम्भव ना हो तो घर पर भी कर सकते हैं।
  • जिस दिन श्राद्ध होगा उस दिन गरीबों को भोजन कराना चाहिए।
  • पितृपक्ष पक्ष में एक दीपक ज़रूर जलाना चाहिए पूर्वजों के नाम।
  • पितृपक्ष पन्द्रह दिन परमात्मा ने अपके और हमारे पूर्वजों के लिए बनाया।

पितृपक्ष में गांव की महिलाएं अपने घर के द्वार की लिपाई पुताई करके पूर्वजों के नाम से दोनों तरफ फ़ूल चावल दाल अगर बत्ती से विधि विधान से पूजा अर्चना करती है

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top