दहेज एक प्राचीन प्रथा है जो कई वर्षो से चली आ रही। यह एक ऐसी प्रथा है, जो शादी के वक्त दुल्हे द्वारा दुल्हन के घरवालो से धन, सम्पत्ति या कोई बडा उपहार लिया जाता है। इस दहेज प्रथा के कारण समाज के लोग, बेटियो पर अलग-अलग प्रकार की विचारधारा रखते है बेटियो के जन्म पर घर-परिवार दुखी हो जाते है।

इस लेख मे हम दहेज प्रथा पर निबंध (Essay on Dowry System) और दहेज लेने का कारण और प्रभाव के बारे मे जानेगे। दहेज प्रथा पर निबंध आप को कैसा लगा, कमेंट मे अपना सुझाव अवश्य दे।
दहेज प्रथा पर निबंध हिंदी मे
Essay on Dowry System in Hindi
दहेज एक भुगतान है, ज्यादातर यह भुगतान लड़की के परिवार कि तरफ से किया जाता है जैसे कि संपत्ति या धन, जो दूल्हे या उसके परिवार को शादी के समय दिया जाता है। दहेज वह संपत्ति है जो शादी के समय दूल्हे द्वारा स्वयं दुल्हन पर तय की जाती है, और जो उसके स्वामित्व और नियंत्रण में रहती है साफ शब्दों में कह सकते है कि दहेज दुल्हन कि किमत होती है कि दुल्हन कितने की है।
दहेज एक प्राचीन प्रथा है जो की कई वर्षो से चली आ रही है, दुनिया के कुछ हिस्सों, मुख्य रूप से एशिया, उत्तरी अफ्रीका और बाल्कन के कुछ हिस्सों में शादी के प्रस्ताव को स्वीकार करने की शर्त के रूप में दहेज की अपेक्षा की जाती है, इसका मतलब यह है कि शादी तभी होती है जब दहेज दिया जयेगा। कुछ एशियाई देशों में, दहेज से संबंधित विवाद कभी-कभी महिलाओं के खिलाफ हिंसा को जन्म देते हैं, जिनमें हत्याएं और एसिड हमले इत्यादि शामिल हैं। दहेज प्रथा ही घरेलू हिंसा का कारण होता है। दहेज प्रथा का यूरोप, दक्षिण एशिया, अफ्रीका और दुनिया के अन्य हिस्सों में लंबा इतिहास रहा है।
दहेज के कारण: दहेज देना एक प्रकार का वैवाहिक कोष स्थापित करना है, जिसके कई कारण भिन्न-भिन्न हो सकते है। जैसे- किसी कारण वस, किसी कि पुत्री विधवा या एक लापरवाह पति को अपना जीवन साथी चुन लेती है या अन्य घरेलू सहायता के लिये दहेज एक वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर सकती है, और अंततः सुखी जीवन के लिये दहेज प्रदान किया जाता है। दहेज एक वैवाहिक व सुखी परिवार की स्थापना के लिये भी उपहार के रुप मे दिया जा सकता है और इसलिए शादी के समय फर्नीचर जैसे साज-सामान शामिल किये जाते है, ताकि उनकी पुत्री खुस व महरानी जैसी जीवन व्यतीत कर सके।
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दहेज के अन्य नाम: स्थानीय रूप से, दहेज या ट्राउसेउ को उर्दू, फारसी और अरबी में जाहेज कहा जाता है; हिंदी में दाहेज़, पंजाबी में दाज, नेपाली में डेजो, तुर्की में सेइज़, बंगाली में जौटुक, मंदारिन में जियाज़ुआंग, तमिल में वरदाचनई, मलयालम में स्त्रीधनम, सर्बो-क्रोएशियाई में मिराज और अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों में सेरोतवाना के रूप में, इदाना, सदुक़त या मुगताफफा कहते है, लेकिन सभी का उद्देश्य दुल्हन के माता-पिता से धन-सम्पत्ति इकठ्ठा करना होता है।
दहेज प्रथा की शुरुआत: भारत जैसे विशाल देश मे दहेज प्रथा (Dahej Pratha) एक विवादास्पद विषय है। कुछ विद्वानों का मानना है कि प्राचीन काल में दहेज प्रथा का प्रचलन था, लेकिन थोडा अलग व भिन्न था। ऐतिहासिक प्रत्यक्षदर्शी रिपोर्ट से पता चलता है कि प्राचीन भारत में दहेज महत्वहीन था, और बेटियों के पास विरासत के अधिकार थे, जो कि उनकी शादी के समय प्रथा द्वारा प्रयोग किए जाते थे। दहेज दुल्हन के सुखी जीवन के लिये दिया जाता है । दस्तावेजी साक्ष्य बताते हैं कि 20वीं शताब्दी की शुरुआत में दहेज को दुल्हन की संपत्ति माना जाता था जो की एक आम प्रथा थी, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर गरीब लड़के अविवाहित रहते थे। मगर आज कल अकसर गरीब लडकिया अविवाहित रहती है।
दहेज का प्रभाव: दहेज लेना, व देना एक अपराध है, दहेज लेने के कारण समाज पर बहुत बुरा प्रभाव पडा, इसके कारण कई बेटियो को घर से बेघर कर दिया गया, उनकी मृत्यु कर दी गई, इत्यादि
दहेज प्रथा के कारण समाज पर निम्न प्रकार के प्रभाव पडे है।
- बेटियो के जन्म से पहले उनकी हत्या कर देना
- बेटियो को बोझ समझना
- बेटो के मुकाबले बेटियो को कम मानना
- बेटी के जन्म से ही पैसो को इकठ्ठा करना(ताकी दहेज दिया जा सके)
- बेटियो के जन्म से परिवार दुखी होना , इत्यादि
निष्कर्स- दहेज लेना, व देना अपराध की श्रेणी मे आता है, ज्यादातर पढे लिखे लोग दहेज को दहेज न कहकर उपहार शब्द प्रयोग करते है, लेकिन इससे दहेज शब्द लुप्त होता है न की दहेज प्रथा, दहेज प्रथा को पूर्ण रुप से खत्म करने के लिये लोगो को जागरुप होना पडेगा।
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Short Essay on Dowry System in Hindi
भारत जैसे आध्यात्मिक देश मे, जहाँ स्त्रीयो को देवी रुप माना जाता है, वहाँ पर भी स्त्रीयो के प्रति लोगो का गलत धारणा (विचार) होता है, बेटी के जन्म के पश्चात ही परिवार को दहेज की चिंता होने लगती है। हालाकि दहेज प्रथा बहुत प्राचीन है, लेकिन इसे खत्म करना होगा। ताकि समाज मे बेटियो का सम्मान बढ सके, बेटिया स्वतंत्र रह सके।

दहेज का अर्थ : प्राचीन समय मे दहेज का अर्थ पुत्री को उपहार देना या, वो समस्त सामग्री देना जिससे वैवाहिक जीवन की शुरुआत की जा सके, जीवन आनंदमय व सुखमय हो सके, लेकिन आधुनिक लोगो ने दहेज प्रथा को कीमत का रुप दे दिया, इसे आसान भाषा मे समझे तो, दहेज लेने का अर्थ है दुल्हे को खरीदना, या दुल्हन की कीमत लगाना,
दहेज का प्रभाव: दहेज प्रथा का प्रभाव परिवार पर अधिक पडता है, जहाँ एक सामान्य परिवार कुछ आमदनी से अपने घर का खर्चा चलता था, वही उसे अपने बेटी के शादी मे लाखो रुपय दहेज देना पड जाता है, जो की उसके क्षमता कई गुना अधिक है, ऐसे मे परिवार को कर्ज, तथा अन्य मानसिक बीमरीयो को झेलना पड जाता है,।
निष्कर्स: दहेज एक प्रकार से दुल्हन के परिवार को मांनसिक प्रताणना देना है, इसलिये हमे दहेज ना तो लेना चाहिये, और ना ही देना चाहिये। ध्यान रहे- दहेज व उपहार अलग- अलग होते है, दहेज जहाँ मांग कर लिया जाता है, वही उपहार बिना मागे, दिया जाता है।
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दहेज प्रथा पर निबंध 200 शब्दो मे
दहेज प्रथा, समाज के लिये एक कलंक है, और इस कलंक का जिम्मेदार समाज ही है, हमारे संस्कृती मे शुभ अवसर पर उपहार देना शुभ माना जाता है। दजेह प्रथा की शुरुआत भी कुछ इसी प्रकार से हुआ। प्राचीन काल मे जब लोगो की शादिया होती थी तो दुल्हन के घर वालो की तरफ से दुल्हे को धन-सम्पत्ती और जमीन जैसे अन्य भेट दिये जाते थे, ताकी वो अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत कर सके।

लेकिन आधुनिक समय मे दहेज शब्द का अर्थ बदल गया है, जहाँ पहले के लोग दहेज का अर्थ उपहार समझते थे, वही अब दहेज का अर्थ दुल्हन की कीमत समझने लगे है। जिसके कारण समाज मे अमानवीय बदलाव देखने को मिलता है।
ज्यादातर घरेलू हिंसा दहेज के कारण ही उत्पान्न होता है, लोगो को समझना होगा की, दहेज देना, व लेना, दोनो अपराध की श्रेणी मे आते है।
निष्कर्स:- इस लेख मे हमने दहेज प्रथा के कुरुतियो पर विस्तार से बात किया है, लेकिन अभी भी मुझे, इस लेख मे कुछ कमी दिख रही, लेख ज्यादा बडा ना हो इसलिये, लेख यही समाप्त होता है, अगर आप को यह लेख पसंद आया हो तो, हमे जरुर बताये, ताकी हम आप के प्रेरणा से, और अधिक लिख सके, हमारे साथ जुडे। Join Now