navagrah mantra: नवग्रहों में सूर्य को ही प्रधान माना गया है जो आरोग्य के देवता हैं। इसी तरह हर ग्रह बिमारी से बचाते हैं , सभी ग्रहों की अनुकूलता एवं निरोगी काया के लिए आइए जानते हैं नौ ग्रहों के नाम और फिर मंत्र।
दोस्तों आज हम आपको नौ ग्रहों के बारे में बताने जा रहे हैं। इन नवग्रहों का पाठ करने से सभी ग्रह संकट दूर किया जा सकता है आइये नवग्रहो के नाम और नवग्रह के मंत्र (Navgrah Mantra) जानते है।
Navgrah Mantra: जानिए 9 ग्रहों के नाम एवं मंत्र
हिंदू धर्म मे नवग्रहों का विशेष महत्व है नवग्रहो के इस मंडल मे सूर्य केंद्र में और अन्य ग्रह सूर्य के आसपास होते हैं. नवग्रहों की अधिकांश मुर्तिया दक्षिण भारत के शैव मंदिरों में पाई जाती हैं। हिंदू ज्योतिषी मानते है कि नवग्रह की गतिविधियो से व्यक्ति के जीवन मे प्रभाव पड़ता है अत: ग्रहों के मंत्र के उच्चारण से इन प्रभावों को दूर किया जा सकता है.
नवग्रहों के नाम – Navgrah Name
- सूर्य
- चन्द्रमा
- बुध
- शुक्र
- मंगल
- गुरु
- शनि
- राहु
- केतु
नवग्रह मंत्र – Navgrah Mantra
दोस्तों जैसा कि सभी जानते है कुंडली के नवग्रह जीवन को प्रभावित करते हैं अर्थात हमारे जीवन एवं स्वास्थ्य पर इन ग्रहों की चाल योग से ही सुख समृद्धि या दुख दोष मिलते है।
नवग्रह दोषो के कारण लोगों के जीवन में अनेकों प्रकार की कठिनाइयां आती है। इन कठिनाईयों से बचने के लिए नवग्रह की पूजा पाठ यज्ञ हवन कराया जाता है। ताकि ग्रहों का हानिकारक प्रभाव कम या समाप्त हो सके। यदि आप भी नवग्रह की पूजा पाठ सही तरीके से कराते हैं तो आपके जीवन की सफलता एवं स्वास्थ्य रूपी बाधाओं से राहत मिलेगी। नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra) निम्न है.
नवग्रह मंत्र – Navgrah Mantra
- सूर्य मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
- चंद्र मंत्र: ओम श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमः ।
- मंगल मंत्र: ओम क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: ।
- बुध मंत्र: ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ।
- गुरु मंत्र: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
- शुक्र मंत्र: ओम द्रां द्रीं द्रौम सः शुक्राय नमः ।
- शनि मंत्र: ओम प्रां प्रीं प्रोम सह शनै नमः ।
- राहु मंत्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
- केतु मंत्र: ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।
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नवग्रह शांति गायत्री मंत्र
ॐ भास्कराय विद्मिहे महातेजाय धीमहि। तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात।।
सूर्य गायत्री मंत्र
ॐ क्षीरपुत्राय विद्मिहे मृतात्वाय धीमहि। तन्नम्चंद्र: प्रचोदयात।
चंद्र गायत्री मंत्र
ॐ अंगारकाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि। तन्नो: भौम प्रचोदयात।।
भौमा गायत्री मंत्र
ॐ सौम्यरुपाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि। तन्नो: बुध: प्रचोदयात।।
बुध गायत्री मंत्र
ॐ गुरुदेवाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि। तन्नो: गुरु: प्रचोदयात।।
बृहस्पति गायत्री मंत्र
ॐ भृगुसुताय विद्मिहे दिव्यदेहाय धीमहि। तन्नो: शुक्र: प्रचोदयात।।
शुक्र गायत्री मंत्र
ॐ शिरोरुपाय विद्मिहे मृत्युरुपाय धीमहि। तन्नो: सौरि: प्रचोदयात।।
शनि गायत्री मंत्र
ॐ शिरोरुपाय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि। तन्नो: राहु: प्रचोदयात।।
राहु गायत्री मंत्र
ॐ गदाहस्ताय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि। तन्नो: केतु: प्रचोदयात।।
केतु गायत्री मंत्र
नवग्रह पूजा का फल – Navgrah Pooja ke Fal
यह पूजा पाप ग्रहों को शांत करती है और शुभ ग्रहों को मजबूत करतीं हैं और व्यक्ति के जीवन से बाधाओं को दूर करती है।
उन लोगों के लिए नवग्रह पूजा शुभ होती है जो अपने व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में मेहनत के बावजूद भी बाधाओं, संकटों संघर्षों या नुकसान का सामना कर रहे हैं। इस पूजा को करने से आपको जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्ति होगी। यह जीवन की लंबी उम्र प्रदान करने वाले सभी वास्तु दोषों को भी दूर करता है।
किसी भी दोष के जाप तब करवाएं जातें हैं जब दोष अतिहानी करता हो, अन्यथा साधारण उपाय ही दोष के लिए बहुत है