बेटी शब्द सुनते ही परियों की रानी का ख्याल आने लगता है, खासकर एक पिता अपने बेटी को सारी खुशियाँ देना चाहता है, ये कविता बेटियो के दर्द पर आधारित है।
इस लेख में हम पिता के द्वारा लिखी गई कविता का जिक्र करेंगे, जिन्होंने ये कविता अपने बेटे और बेटी के लिये लिखा है, अपना सुझाव कमेंट में जरूर बताये। Beti par Kavita in Hindi
इस लेख में हम बेटियो का पिता के प्रति प्रेम को पक्तियो के माध्यम से सजोया है, Daughter poem in Hindi
poem on beti in hindi
ये कविता थोडी कहाँनी के रुप मे है, लेकिन एक बार इसे अवश्य पढे, हमे उम्मिद है ये आप को पसंद आयेगा। Beti par Kavita in Hindi पढे। सच्चा प्यार पर कविता
बाबा की वसीयत
बारह पन्नों की बाबा की वसीयत मिली है,
तीन पन्नों पर,बेटों को बराबर जगह मिली है
मकान,दुकान,खेत,सब बराबर बँटे हैं,
खत्म हुए पन्ने सभी,
बेटियों के लिए जगह नहीं बची है,
बाबा की देखभाल करने आई बेटियाँ,
सामान बाँधने लगी हैं,
बहुओं की नजरें बेटियों पर,
बराबर टिकी हैं,
संदेह हुआ है उन्हें,
सो बेटियों के सामान की तलाशी हो रही है,
बेटियां अपराधियों सी कठघरे में खड़ी हैं,
एक के बैग से बाबा की पुरानी डायरी,
दूसरी के बटुए से बाबा की टूटी ऐनक,
ताज्जुब है,तीसरी की अटैची से,
बाबा की बेंत की छड़ी मिली है,
जिसकी निशानियां अब तक,
बेटियों के हाथों पर बाकी रह गई हैं,
बाबा के सामने डरी-डरी सी रहने वाली बेटियाँ,
आज भाइयों के सामने सहमी-सहमी सी खड़ी हैं
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बेटी पर कविता- beti par kavita
सुनिए!
बेटी को बेटी ही रहने दीजिए,
मत बनाइए उसको ‘देवी’,
क्योंकि अक्सर बिसरा दिया जाता है,
देवियों का आराधन,
मत बनाइए ‘तितली’ भी..
क्योंकि अक्सर तितलियों को
बस तब तक के लिए क़ैद में रखा जाता है,
जब तक उँगलियों में
उनका रंग ना उतर आए..
और हाँ!, उन्हें फूल भी मत बनाइए,
क्योंकि फूलों का अस्तित्व
बस उनके सुगंध तक है..
और हो सके तो
बेहतर होगा कि,
वो जैसी बनना चाहें,
वैसे बनने दिया जाये
बेटियों को सच में,
बेटी रहने दिया जाये।