आदियोगी शिव की प्रतिमा कहाँ है । Adiyogi Shiva in Hindi

Adiyogi Shiva: आदियोगी शिव जी की प्रतिमा तमिलनाड्डू के कोयंबटूर मे स्थापित है। जो की सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी द्वारा स्थापित किया गया है। इस प्रतिमा की उचाई 112 फीट है, जो की गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स  मे सम्मिलित है। इस मूर्ती का वजन लगभग 500 टन है, जो की स्टील से बना हुआ है।

Adiyogi Shiva

आदियोगी प्रतिमा की स्थापना

आदियोगी प्रतिमा की स्थापना महाशिवरात्री के दिन 24 फरवरी 2017 को भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के द्वारा किया गया था। इस दिन पूरे ईसा फाउंडेसन को भव्य रुप से सजाया गया था। जहाँ भारत के सबसे बडे संगीतकार अनुपम खेर जी ने, आदियोगी को समर्पित गीत गाया ” मुझमे उतरे आदियोगी” इस गाने को आप नीचे दिये गये प्ले बटन से सून सकते है। इस गाने को ध्यान से सूने, आप समझ पायेंगे की आदियोगी कौन है।

आदियोगी शिव का इतिहास History of Adiyogi Shiva

ये इतिहास 15 हजार वर्ष से पहले का है या ये कहे की सभी धर्मो से भी पहले का है, प्रथम योगी जिन्हे हम आदियोगी कहते है, वो हिमालय पर प्रकट हुये। जो की परमाअनंद से प्रफुल्लित होकर कभी नाचने-गाने लगते तो कभी शांत स्थिर बैठकर खुद मे मग्न हो जाते। ऐसी प्रक्रिया से यह निश्चित हो गया था की वो एक ऐसा अनुभव पा रहे थे, जिसकी कल्पना मानव नही कर सकता। ऐसे व्योहार के कारण धीरे-धीरे लोग इकठ्ठा होने लगे, लेकिन आदियोगी ने कोई प्रतिक्रिया नही दिया, जिसके कारण धीरे-धीरे लोग हटने लगे, अंत: वहाँ सिर्फ सात (7) लोग ही बचे, और अंत मे उन्होने आदियोगी से विनती किया, और पूछा आप क्या जानते है, उनके आग्रह को देखते हुये, आदियोगी ने उन्हे दीक्षा दी,

उन्होंने चौरासी वर्षों तक पूरी एकाग्रता व चैतन्यता से ध्यान किया, आदियोगी ने दक्षिणायन के प्रारंभ के समय पाया की वे सब कुछ जान चुके है अट्ठाईस दिन निरीक्षण करने के बाद, पूर्ण चंद्रमा की रात को उन्होंने अपने आपको प्रथम गुरु या आदि गुरु के रूप में बदल दिया। इस रात को हम गुरु पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। आज हम उनके सात शिष्य को सप्त ऋषि के नाम से जानते हैं। Adiyogi Shiva

आदियोगी ने ऐसे 112 उपाय बताये, जिसके द्वारा मनुष्य अपनी सीमाओं से परे जा कर, सब कुछ हाशिल कर सकता है। अपनी उच्चतम संभावना तक पहुँच सकता हैं। आदियोगी ने व्यक्तिगत रूपांतरण के भी साधन दिए क्योंकि यही साधन संसार के रूपांतरण का एकमात्र उपाय है। अर्थात हमे “हमे अंदर की ओर मुड़ना होगा” यही साधन ही मनुष्यों के कल्याण और मुक्ति का मार्ग है।

Source :- आदियोगी का इतिहास

योग का असल मे मतलब यह है कि…
अपनी व्यक्तिगत प्रकृति की सीमाओ को मिटाकर सर्वव्यापी हो जाना

सद्गुरु

जग्गी वासुदेव सद्गुरु की जीवनी

सद्गुरु का पूरा नाम जग्गी वासुदेव है, इनका जन्म 3 सितम्बर 1957 मे भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर मे हुआ था। इनके पत्नी का नाम विजया कुमारी (विज्जी) है, सद्गुरु बचपन से ही प्रकृति प्रेमी है, कहाँ जाता है की अक्सर वो जंगल मे गायब हो जाते थे। अधिकतर वो पेड पर बैठ कर हवाओ का आनंद लेते थे, वो बिना प्रयास किये ही ध्यान की अवस्था मे चले जाते थे।

युवाओ मे जबरदस्त क्षमता होती है। अगर हम उन्हे अधिक जागरुक बनने के लिये प्रेरित करे तो, दुनिया पर इसका जबरदस्त असर होगा।

सद्गुरु

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(2) महाशिवरात्री कब है 2022 मे
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ईशा फाउंडेसन: ईशा फाउंडेसन की स्थापना जग्गी वासुदेव सद्गुरु जी के द्वारा किया गया है, जो की तमिलनाड्डू के कोयंबटूर मे स्थिति है ईशा फाउंडेसन का लक्ष्य लोगों के मानसिक, शारीरिक, और आन्तरिक कुशलता के लिए समर्पित है। इस फाउंडेसन को दो लाख पचास हजार से भी अधिक स्वयंसेवियों द्वारा चलाया जाता है

संस्था का नाम ईशा फाउंडेसन
संस्थापक जग्गी वासुदेव (सद्गुरु)
संस्था स्थान Coimbatore, Tamil Nadu, India
Official mail  info@ishafoundation.org
Official Site isha.sadhguru.org
सम्पर्क सूत्र  +91 8300083111, 04224283111,
04223583111
यूट्यूब चैनल Sadhguru
ईशा फाउंडेसन

किसी को खुश करने की कोशिश मत करो, अगर आप सच मे आनंदमय है और आप के अंदर से मानवता टपक रही है तो, हर कोई आप से खुश होगा।

सद्गुरु
  • यहाँ पर हम बस थोडे समय के लिये ही है। एक दुसरे के साथ झगडकर हमे इसे और कम नही कर लेना चाहिये ।
  • मिट्टी के सम्पर्क मे होना यह याद दिलाता है कि आपका शरीर बस मिट्टी ही है, इसे कभी मत भूलिये
  • खुशहाली के बारे मे जो हमारी सोच है उसमें जब तक हम इस धरती के हर जीव को शामिल नही करते, हम खुद को इंसान नही कह सकते।

डर, गुस्सा, नाराजगी और तनाव ऐसे जहर है, जो आप खुद पैदा करते है। अगर आप इसे अपने हाथ मे ले ले, तो आप अपने भीतर आनंद का रसायन पैदा कर सकते है।

सद्गुरु

इस लेख मे हमने आदियोगी भगवान शिव (Adiyogi Shiva) के बारे मे जाना, जिसकी स्थापना जग्गी वासुदेव सदगुरु जी के द्वारा किया गया था, यह लेख आप के लिये कितना लाभप्रद रहा, कमेंट मे जरुर बताये-

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