dhyan kya hai: मन की एकाग्रता को ध्यान कहते हैं। या चित को एकाग्र करके किसी एक काम में लगाना ही ध्यान कहलाता है। यह ध्यान के अष्टांग योग का सातवां अंग है। जो समाधि से पूर्व की अवस्था है। मन को लगाते हुए मन को ध्येय के विषय पर स्थिर कर लेता है। यह समाधि सिद्ध के पूर्व की अवस्था है।

ध्यान को सभी दर्शनों धर्मों व सम्प्रदायो में श्रेष्ठ माना गया है सभी योगी ध्यान की तैयारी स्वरुप अलग अलग विधियां अपनाते हैं और ध्यान तक पहुंच कर लगभग एक हों जातें हैं।
ध्यान व योग के लाभ और उद्देश्य | Yog & dhyan kya hai
ध्यान कोई ऐसा स्थिति होती है, जब हमारे मस्तिष्क के समय, स्थान, काम और संकेत को समय के साथ सामने रखते हुए एक चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ध्यान किसी एक चीज पर करना सक्रिय स्थिति होता है जो हमें अपने काम में सुधार करने या बेहतर सोचने के लिए मदद करता है।
चित को केन्द्रित करने की किसी भी प्रकार की क्रिया मनोयोग,ध्यान कहलाती है। दिमाग में बिना कोई लक्ष्य के हीध्यान किया जाये तो इसका कोई लाभ नहीं होता। आइये इसके फायदे व महत्व जानते है। क्या आप जानते है – मन क्या है ?
ध्यान का लाभ /महत्व
निज स्वरूप को मन से समझ लेना ही ध्यान होता है। ध्यान करते समय जब चित्त ध्येय कार में परिणत हो जाता है तो उसके अपने शरीर का अभाव सा हो जाता है। ध्यान में ध्येय की प्राप्ति और उसका प्रतीत होता है। धारणा ध्यान और समाधि तीनों को संयम कहा गया है। संयम की स्थिरता से विवेकख्याति का उदय होता है। इसके अतिरिक्त संयम से प्राप्त होने वाली अनेक अन्य सिद्धियों का भी उल्लेख किया गया है।
- स्वस्थ मस्तिष्क: ध्यान करने से मस्तिष्क सुखद और स्वस्थ रहता है।
- बेहतर समय निर्धारण: ध्यान करने से समय को बेहतर ढंग से निर्धारित किया जा सकता है।
- समय की बचत: ध्यान करने से समय को बचाया जा सकता है।
- काम के लिए कुछ सुधार: ध्यान करने से काम में सुधार किया जा सकता है।
- स्वस्थ रहने की सुविधा: ध्यान करने से स्वस्थ एवं तंदरुस्त रहता है।
- स्वस्थ संवेदनशीलता: ध्यान करने से स्वस्थ संवेदनशीलता को बढ़ाया जा सकता है।
- क्रियाशीलता: ध्यान करने से क्रियाशीलता मे विकास होता है।
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ध्यान करने के फायदे । Dhyan Karane ke Fayade
ध्यान एक किरया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को चेतना चेतना की एक विशेष अवस्था में लाने की प्रयास करता है। ध्यान से अनेकों प्रकार की क्रियाओं का बोध होता है।
- मन केन्द्रित होता है।
- सकारात्मक सोच बढ़ती है
- संकल्प शक्ति बढ़ती है।
- स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- व्याकुलता कम होती है।
- चेतना के उच्च स्तर को प्राप्त कर पाना
- दया जागरूक होती है
- आन्तरिक शान्ति की गहरी स्थित में जा पाना
- अन्तरज्ञान बढ़ाना।
- सृष्टि में हर जगह मधुर सम्बन्ध लाना
- ऊर्जा का स्तर ज्यादा हों जाता है
- रक्तचाप संतुलित होता है
- प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्त होता है
- हृदय सम्बंधित ख़तरे कम होते हैं
- पुरानी बिमारियों से लडने में मदद मिलती है।