वह कौन सी चीज है जिसे हम छू नहीं सकते, लेकिन देख सकते हैं ?

जीभ नहीं है फिर भी बोलू, बिना पाँव सारा जग डोलू, राजा, रंक सभी को भाती, जब भी आती खुशियाँ लाती ?

पढ़ने में लिखने में आता मै काम, पेन नहीं कागज नहीं बूझो मेरा नाम ?

ऊँट जैसी बैठक, हिरण जैसी चाल, बोलो वह कौन है पहलवान ?

न देखू न बोलू, फिर भी भेद खोलू 

लोग हमे काटते हैं, पीसते हैं, और बाँटते हैं लेकिन खाते नहीं ? 

छोटा-सा है काला घर, पर चलता है, इधर-उधर ?