दिल छू जाने वाली  गुलजार साहब की  प्रसिध्द शायरी

मुझे तो तोफे में अपनों का वक़्त पसंद है मगर आज कल इतने महंगे तोफे देता कौन है 

हम चाय पीकर कुल्हड़ नहीं तोड़ पाते दिल तो खैर बहुत दूर की बात है 

दिल तो रोज कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए, फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए। 

मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है और सोर भी है, तूने देखा ही नहीं, आँखों में कुछ और भी है। 

पलक से पानी गिरा है, तो  गिरने दो, कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।

दर्द हल्का है साँस भारी है, जिए जाने की रस्म जारी है। 

सोचता था दर्द की दौलत से एक मै ही मालामाल हूँ देखा जो गौर से तो हर कोई रईस निकला