रामायण की 108+ प्रसिध्द चौपाई और अर्थ | Ramayan Chaupai in Hindi

Ramayan Chaupai: रामायण हिंदू धर्म के प्रमुख धर्म ग्रंथों मे से एक है। इसके लेखक गोस्वामी तुलसीदास जी है। इस धार्मिक ग्रंथ को रामचरितमानस, तुलसी रामायण या तुलसीकृत भी कहाँ जाता है।

रामायण मे भगवान श्रीराम के जीवन का चरित्र-चित्रण किया गया है। रामायाण मे लिखी चौपाईया, दोहे व छंद व अन्य सभी प्रसंग आज भी प्रासंगिक है इन स्रोतों की सहायता से मनुष्य जीवन को सुखद बनाया जा सकता है। आज हम इस लेख मे ऐसे ही प्रसिध्द रामायण चौपाई (Famous Ramayan Chaupai) व अर्थ जानेंगे।

Ramayan Chaupai
रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई (Ramayan Chaupai)

रामायण हिंदू धर्म का प्रमुख धर्म ग्रंथ है इस ग्रंथ मे प्रभु श्रीराम के जीवन का चरित्र चित्रण किया गया है आज हम सब इस लेख मे ‘रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई’ व उसका अर्थ जानेंगे, उम्मिद करते है कि ये चौपाईया आपके जीवन को खुशियों से भर देंगी।

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई (Ramayan Chaupai Hindi)

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

ramayan chaupai

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥

रामायण चौपाई

अर्थ: इस चौपाई के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जी कहते है कि “जो मंगल (पवित्र) करने वाले है एवं जो अमंगल अर्थात अपवित्रत, बुराई ,दु:ख इत्यादि को खत्म करने वाले है, वो दशरथ पुत्र प्रभु श्रीराम है, हम उनकी उपासना व भजन करते है अर्थात उनका नाम जपते है।

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई
रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई॥

रामायण चौपाई

अर्थ (वर्तमान परिस्थियों के अनुसार व्याख्यायित): यह चौपाई सबसे प्रसिध्द चौपाइयों मे से एक है, इस चौपाई के माध्यम से हम यह समझ सकते है कि ” जो एक बार वचन अर्थात वादा कर दिया जाए, फिर उस वादे से मुकरना नही चाहिए” अत: हमे कोई भी वचन सोच-समझ कर देना चाहिए।

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता॥

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श्री गुर पद नख मनि गन जोती।
सुमिरत दिब्य दृष्टि हियँ होती॥
दलन मोह तम सो सप्रकासू।
बड़े भाग उर आवइ जासू॥

रामायण चौपाई
Ramayan Chaupai

मृदुल मनोहर सुंदर गाता।
सहत दुसह बन आतप बाता॥
की तुम्ह तीनि देव महँ कोऊ।
नर नारायन की तुम्ह दोऊ॥

रामायण चौपाई
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मन क्रम बचन सो जतन बिचारेहु।
रामचंद्र कर काजु सँवारेहु॥
भानु पीठि सेइअ उर आगी।
स्वामिहि सर्ब भाव छल त्यागी॥

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रामायण की चौपाई और अर्थ – Ramayan ki Chaupai & arth

हो, जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी॥

भावार्थ:- जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।॥

बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
अमिअ मूरिमय चूरन चारू।
समन सकल भव रुज परिवारू॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई का भावार्थ:- मैं गुरु महाराज के चरण कमलों की रज की वन्दना करता हूँ, जो सुरुचि (सुंदर स्वाद), सुगंध तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है। वह अमर मूल (संजीवनी जड़ी) का सुंदर चूर्ण है, जो सम्पूर्ण भव रोगों के परिवार को नाश करने वाला है॥
Ramayan Chaupai

गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन।
नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन॥
तेहिं करि बिमल बिबेक बिलोचन।
बरनउँ राम चरित भव मोचन॥1॥

भावार्थ:- श्री गुरु महाराज के चरणों की रज कोमल और सुंदर नयनामृत अंजन है, जो नेत्रों के दोषों का नाश करने वाला है। उस अंजन से विवेक रूपी नेत्रों को निर्मल करके मैं संसाररूपी बंधन से छुड़ाने वाले श्री रामचरित्र का वर्णन करता हूँ॥

सेवक सठ नृप कृपन कुनारी।
कपटी मित्र सूल सम चारी॥
सखा सोच त्यागहु बल मोरें।
सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥

भावार्थ:- मूर्ख सेवक, कंजूस राजा, कुलटा स्त्री और कपटी मित्र- ये चारों शूल के समान पीड़ा देने वाले हैं। हे सखा! मेरे बल पर अब तुम चिंता छोड़ दो। मैं सब प्रकार से तुम्हारे काम आऊँगा (तुम्हारी सहायता करूँगा)॥

सोइ गुनग्य सोई बड़भागी।
जो रघुबीर चरन अनुरागी॥
आयसु मागि चरन सिरु नाई।
चले हरषि सुमिरत रघुराई॥

भावार्थ:- सद्गुणों को पहचानने वाला (गुणवान) तथा बड़भागी वही है जो श्री रघुनाथजी के चरणों का प्रेमी है। आज्ञा माँगकर और चरणों में फिर सिर नवाकर श्री रघुनाथजी का स्मरण करते हुए सब हर्षित होकर चले॥
Ramayan Chaupai

सो सुधारि हरिजन जिमि लेहीं।
दलि दुख दोष बिमल जसु देहीं॥
खलउ करहिं भल पाइ सुसंगू।
मिटइ न मलिन सुभाउ अभंगू॥

भावार्थ:- भगवान के भक्त जैसे उस चूक को सुधार लेते हैं और दुःख-दोषों को मिटाकर निर्मल यश देते हैं, वैसे ही दुष्ट भी कभी-कभी उत्तम संग पाकर भलाई करते हैं, परन्तु उनका कभी भंग न होने वाला मलिन स्वभाव नहीं मिटता॥

गगन चढ़इ रज पवन प्रसंगा।
कीचहिं मिलइ नीच जल संगा॥
साधु असाधु सदन सुक सारीं।
सुमिरहिं राम देहिं गनि गारीं॥

भावार्थ:- पवन के संग से धूल आकाश पर चढ़ जाती है और वही नीच (नीचे की ओर बहने वाले) जल के संग से कीचड़ में मिल जाती है। साधु के घर के तोता-मैना राम-राम सुमिरते हैं और असाधु के घर के तोता-मैना गिन-गिनकर गालियाँ देते हैं॥

सो केवल भगतन हित लागी।
परम कृपाल प्रनत अनुरागी॥
जेहि जन पर ममता अति छोहू।
जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू॥

भावार्थ:- वह लीला केवल भक्तों के हित के लिए ही है, क्योंकि भगवान परम कृपालु हैं और शरणागत के बड़े प्रेमी हैं। जिनकी भक्तों पर बड़ी ममता और कृपा है, जिन्होंने एक बार जिस पर कृपा कर दी, उस पर फिर कभी क्रोध नहीं किया॥

ramayan ki 8 chaupai

रामचरितमानस की प्रसिध्द चौपाई- ramcharitmanas chaupai in hindi

|| ramcharitmanas chaupai ||

आकर चारि लाख चौरासी।
जाति जीव जल थल नभ बासी॥
सीय राममय सब जग जानी।
करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥

Ramcharitmanas ki Chaupai
Ramcharitmanas ki Chaupai – कैसे पढे

|| ramcharitmanas chaupai ||

रामकथा सुंदर कर तारी।
संसय बिहग उड़ावनिहारी॥
रामकथा कलि बिटप कुठारी।
सादर सुनु गिरिराजकुमारी॥

|| ramcharitmanas chaupai ||

होइ अकाम जो छल तजि सेइहि।
भगति मोरि तेहि संकर देइहि॥
मम कृत सेतु जो दरसनु करिही।
सो बिनु श्रम भवसागर तरिही॥

हिंदु धार्मिक ग्रंथ रामायण मे कूल सात काण्ड अर्थात 7 अध्याय है। जो निम्नलिखित है।

रामायण के 7 काण्ड (अध्याय) का नाम – 1. बालकाण्ड 2. अयोध्याकाण्ड 3. अरण्यकाण्ड 4. किष्किन्धाकाण्ड 5. सुन्दरकाण्ड 6. लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) 7. उत्तरकाण्ड

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई 2: ramayan ki chaupai 2

राम राम हा राम पुकारी। हमहि देखि दीन्हेउ पट डारी॥
मागा राम तुरत तेहिं दीन्हा। पट उर लाइ सोच अति कीन्हा॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

श्री गुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

सुंदरकाण्ड – रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥

कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

यस्यांके च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्।
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्री शंकरः पातु माम्‌॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

प्रसन्नतां या न गताभिषेकतस्तथा न मम्ले वनवासदुःखतः।
मुखाम्बुजश्री रघुनन्दनस्य मे सदास्तु सा मंजुलमंगलप्रदा॥

जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥

आगें चले बहुरि रघुराया। रिष्यमूक पर्बत निअराया॥
तहँ रह सचिव सहित सुग्रीवा। आवत देखि अतुल बल सींवा॥

को तुम्ह स्यामल गौर सरीरा। छत्री रूप फिरहु बन बीरा ॥
कठिन भूमि कोमल पद गामी। कवन हेतु बिचरहु बन स्वामी॥

Ramayan ke sarvashresth Chaupai

जग कारन तारन भव भंजन धरनी भार।
की तुम्ह अखिल भुवन पति लीन्ह मनुज अवतार॥

तव माया बस फिरउँ भुलाना। ताते मैं नहिं प्रभु पहिचाना॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

अस कहि परेउ चरन अकुलाई। निज तनु प्रगटि प्रीति उर छाई॥
तब रघुपति उठाई उर लावा। निज लोचन जल सींचि जुड़ावा॥

सो अनन्य जाकें असि मति न टरइ हनुमंत।
मैं सेवक सचराचर रूप स्वामि भगवंत॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई हिंदी में (ramayan chaupai in hindi)

बिनु सत्संग विवेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई।
पारस परस कुघात सुहाई॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

जा पर कृपा राम की होई।
ता पर कृपा करहिं सब कोई॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम पाहीं॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

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FAQ : रामायण चौपाई (Ramayan Chaupai)

रामायण किसने लिखी है ?

रामायण गोस्वामी तुलसी दास जी ने लिखी है।

रामायण मे कूल कितने काण्ड है ?

रामायण मे कूल 7 काण्ड है, जो निम्नवत है – 1. बालकाण्ड 2. अयोध्याकाण्ड 3. अरण्यकाण्ड 4. किष्किन्धाकाण्ड 5. सुन्दरकाण्ड 6. लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) 7. उत्तरकाण्ड

रामायण के अन्य नाम क्या है ?

अन्य नाम – रामचरितमानस, तुलसी रामायण या तुलसीकृत

रामायण मे कितनी चौपाई है ?

रामायण मे कूल 4608 चौपाई, 1074 दोहे, 207 सोरठा और 86 छन्द हैं।

7 thoughts on “रामायण की 108+ प्रसिध्द चौपाई और अर्थ | Ramayan Chaupai in Hindi”

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  2. Shivnath sharma

    जय सियाराम
    आपके चैनल के माध्यम से हम आशा करते हैं कि आप रामचरितमानस का संपूर्ण पाठ उपलब्ध कराएंगे
    जय श्री सीताराम

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