फसल किसे कहते है और इसके कितने प्रकार होते है, What is Crops & How many types of Crop
हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है, क्योंकि हमारे देश में प्राचीन काल से ही भारी मात्रा मे खेती-किसानी की जा रही है। इस आधुनिक काल में भी लाखों लोगों की आजीविका कृषि (खेती-किसानी) पर निर्भर है। इस लेख में हम भारत के प्रमुख फसलों और उनके वर्गीकरण पर विस्तार से चर्चा करेंगे। जाने- कृषि क्या है?
भारत देश गावो का देश है, जहाँ पर लगभग 70% लोग किसान है, जिनकी आजीविका मात्र कृषि कार्य पर निर्भर है। भारतीय किसानो को “देश की रीढ की हड्डी” भी कहा जाता है। किसानो का देश के अर्थिक व्यवस्था मे बहुत बडा योगदान रहा है।{fasal kise kahate hai}
फसल क्या है? (What is crop)
किसी बडे भूमि भाग पर बोये जाने वाले पौधों के समूह को फसल कहते है। अर्थात- जिन पौधों को हम बडे पैमाने पर भोजन पूर्ति व आर्थिक लाभ के लिये बोते है उन्हें फसल कहते है।
फसल उत्पादन (कृषि कार्य) भारत के अर्थव्यवस्था की रीढ की हड्डी मानी जाती है फसलों को कई भागो में बाटा गया है, जैसे- जीवन चक्र के आधार पर, ऋतुओं के आधार पर, विशेष उपयोग के आधार पर, इत्यादि (फसल किसे कहते है)
फसलो के प्रकार (Types of Crops)
भारतीय फसलो को मुख्यत: तीन भागो मे बाटा गया है। Read-मिट्टी या मृदा क्या है
- खरीफ फसल (Kharif Crops)
- रवी फसल (Rabi Crops)
- जायद फसल (Zaid Crops)
खरीफ की फसल
खरीब की फसले जून-जूलाई मे बोयी जाती है क्योकी इन फसलो को उच्च ताप और आर्द्रता की आवश्यकता होती है- खरीफ की फसले उदाहरण– धान, ज्वार, बाजरा, कपास, मक्का, इत्यादि fasal
रवी की फसल
रवी कि फसल अक्टूबर व नवम्बर मे बोयी जाती है, क्योकी इन फसलो को अंकुरित व शुरुआती वृध्दी के लिये कम ताप और पकने के लिये उच्च ताप की आवश्यकता होती है ।
रवी के फसल उदाहरण- गेहू, जौ, चना, मटर, सरसो, आलू, मसूर, इत्यादि fasal
जायद की फसल
जायद की फसल फरवरी व मार्च मे बोयी जाती है, क्योकी जायद की फसलो को अधिक ताप और अधिक सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। Read- जल रक्षा पर नारे
जायद की फसल उदाहरण- तरबूज, खरबूज, अन्य सब्जिया, इत्यादि fasal
फसलों का वर्गीकरण
भारतीय फसलों को भिन्न-भिन्न वर्गो मे वर्गीकृति किया गया है, जो की निम्नलिखित है। Read भारतीय अर्थव्यवस्था क्या है ?
- ऋतुओ के आधार पर
- जीवन चक्र के आधार पर
- विशेष उपयोग के आधार पर
- आर्थिक महत्व के आधार पर
ऋतुओं के आधार पर फसलो का वर्गीकरण
ऋतुओं के आधार पर फसलो को तीन भागो मे बाटा गया है। Read- चिपको आंदोलन: एक पर्यावरण सुरक्षा आंदोलन है
फसलो के नाम | बोये जाने का समय |
खरीफ फसल | जून- जूलाई |
रवी फसल | अक्टूबर – नवम्बर |
जायद फसल | फरवरी- मार्च |
जीवन चक्र के अनुशार फसलो का वर्गीकरण
जीवन चक्र के अनुसार भी फसलो को तीन भागो मे बाटा गया है, एकवर्षी फसल, द्विवर्षी फसल, बहुवर्षी फसल
जीवन चक्र अनुसार फसल | |
एकवर्षी फसल | जो फसल अपना जीवन चक्र एक साल मे पूरा कर लेते है उन्हे एकवर्षी फसल कहते है। जैसे- गेहू, धान, मक्का, बाजारा, इत्यादि |
द्विवर्षी फसल | जो फसल अपना जीवन चक्र 2 वर्षो मे पूरा करते है, उन्हे द्विवर्षी फसल कहते है। जैसे- चुकुंदर |
बहुवर्षी फसल | जो फसल अपना जीवन चक्र 2 वर्ष से अधिक समय मे पूरा करता है, उसे बहुवर्षी फसल कहते है। जैसे- रिजका, नेपियर घास, आदि |
विशेष उपयोग के आधार पर फसलो का वर्गीकरण
नकदी फसलें | नकदी फसलें बेचकर किसान धन कमाते है जैसे- आलू, तम्बाकू, कपास आदि |
अन्तर्वर्ती फसलें | दो फसलो के बीच बचे समय मे उगाई जाने वाली फसल जैसे- जीरा मूंग आदि |
कीट आकर्षक फसलें | मुख्य फसल को कीट से बचाने के लिये लगाये जाने वाली फसल, जैसे- कपास के खेत के चारो तरफ भिंडी का पौधा लगाना, ताकि लाल कीटो से कपास को बचाया जा सके। |
आवरण फसलें | आवरण फसले भूमि को वर्षा के समय मिट्टी कटने से बचाती है, जैसे- मूंग, लोबिया, आदि |
हरी खाद फसले | मिट्टी मे अधिक शक्ति (कार्बनिक) को बढाने के लिये, इन फसलो को उगा कर फिर दबा देते है ताकि मिट्टी और भी उपजाऊ हो सके। जैसे- सनई, बरसीम, मोठ, मूंग इत्यादि |
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संस्कृति श्लोक [ भागवत गीता, वेद]
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