कहानिया जीवन को बदलने मे अहम भूमिका निभाती है। खासकर नैतिक कहानिया जिनके सुनने मात्र से हमारी चेतना उसे ग्रहण कर लेती है या यू कहे आवश्यता पढने मे उसे स्मरण कर लेती है।
बच्चो के लिये छोटी व प्रेरणादायक कहानिया – Motivational Small Story
कहानिया सूनना बच्चो के लिये मनोरंजन का काम है। इसलिये छोटे बच्चों को कहानी के माध्यम से आप नैतिक व अनैतिक दोनो प्रकारो के विचारो का समावेश कर सकते है। इसलिये कहानिया सुनाते वक्त बच्चो को प्रेरणा से भरी हुई कहानिया सुनाये।
वैसे तो कहानियां पढ़ना सबको अच्छा लगता है। बच्चे हो या बड़े बूढ़े ,किस्से कहानियां सबको पसंद आता है। हर एक कहानी कोई न कोई सीख ज़रूर देती है। इसलिए अगर आप किस्से कहानियां पढ़ने के शौकीन हैं तो आप ये बच्चों की रोचक कहानियां ज़रूर पढ़ें।।
small story: मछुआरा और ज़िन्द
small story in hindi: एक समय की बात है समुद्र के किनारे बसे एक गांव में एक मछुआरा रहता था।वह अत्यंत बूढ़ा और दुर्बल था निर्धन इतना था कि बड़े मुश्किल से अपने परिवार का पेंट भर पाता था।वह समुद्र में रोज़ मछली पकड़ने जाता था।।
एक दिन उसके जाल में पुराना पीतल का घड़ा फस गया, मछुआरा ने सोचा घड़े में सोने चांदी के सिक्के होंगे, उसने जैसे ही घड़े का ढक्कन खोला उसमें से एक विशाल राक्षस निकला।
राक्षस को देखकर मछुआरा थर थर कांपने लगा तभी राक्षस बोला हे पाताल नगरी के राजा मैं तुम्हारी आज्ञा का पालन करूंगा। इन शब्दों से मछुआरा को हिम्मत मिली और बोला हे भयानक राक्षस, तुम्हारे साथ क्या हुआ मुझे अपनी कहानी सुनाओ। रक्षस ने कहा मैं तुम्हें जिन्दा नहीं छोडूंगा, पहले तुम मेरी कहानी सुनना चाहते हों तो सुनो
मैं अन्य राक्षसों के साथ पाताल नगरी में रहता था। एक बार मैंने अपने राजा के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, उसने मुझे दंड देने हेतु एक घड़े में बन्द कर दिया, उसने घड़े को अपनी जादुई शक्ति से इस प्रकार बन्द किया कि मैं भीतर से नहीं खोल सकता था। फिर उसने घड़े को समुद्र में फिकवा दिया।
उन्हीं दिनों में मैंने कसम खायी कि यदि हमें कोई सौ वर्ष से पहले स्वतन्त्र कर दिया तो उसे हम हर जन्म में धनी बनाता रहूंगा। और दूसरी शताब्दी में करेगा तो तो, उसे दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बना दूंगा और प्रतिदिन उसकी तीन इच्छाएं पूरी करूंगा।
मगर यह शताब्दी भी पिछले शताब्दियों की तरह बीत गया,अब मैं गुस्से में कसम खाई कि अगर कोई हमें स्वतंत्र करेगा तो उसे तुरंत मार दूंगा।, तुमने मुझे स्वतन्त्र किया इसलिए मुझे तुम्हें मारना होगा, बताओं तुम किस प्रकार से मरना चाहते हो। मछुआरा बोला ठीक है राक्षस भाई, अगर मुझे मरना ही है तो मैं तरीका बताता हूं, लेकिन उससे पहले मेरे दिमाग में उपजी एक दुविधा का निदान कर दो।
राक्षस गुर्राया,और बोला कैसी दुविधा। तब मछुआरा बोला राक्षस भाई,आप इतने बड़े विशालकाय हैं ।और यह एक छोटा सा घड़ा,आप कैसे इसमें बंद हो, इसमें तो आपकी एक छोटी सी अंगुली भी नहीं समां सकतीं । राक्षस तैस में आकर बोला, तुझे मेरी बात पर विश्वास नहीं, और छोटा कद बनाकर घड़े के भीतर घुस गया। और बोला ऐ अविश्वासी और मूर्ख मनुष्य, देख मैं घड़े के भीतर हूं।
मछुआरा झांका तो उसे घड़े के भीतर वहीं राक्षस छोटे कद में दिखाई दिया, मछुआरे ने तुरंत घड़े का मुंह ढक्कन से बन्द कर दिया और उसके ऊपर जादुई सील लगा दी,राक्षस पुनः घड़े में क़ैद हो गया। मछुआरा फिर से वह घड़ा समुद्र में फेंक दिया और साहस और हिम्मत से अपनी जान बचा ली।
गोरे काले का भेद भाव: जंगल की कहानी – small moral stories in hindi
Small story in hindi: एक जंगल में एक बहुत पुराना पेड़ था,उस पर एक कौवा रहता था,वह बड़ा दयालु था।उसी पेड़ के खोखले में ही एक कबूतर ने घोंसला बना रखा था। दोनों में कोई भी मित्रता नहीं थी।कौए ने कई बार कबूतर से दोस्ती करने का प्रयास किया तो कबूतर ने यह कहकर टाल दिया की देखो,मैं कितना गोरा हूं और तुम बिल्कुल काले कलूटे।
अपनी दोस्ती कैसे हो सकतीं हैं भला। बेचारा कौआ मन मसोस कर रह जाता बेचारा, लेकिन कबूतर के बात का कभी बुरा नहीं मानता। एक दिन की बात है कबूतर अपने घोंसले के बाहर धूप सेंक रहा था अचानक एक चील ने आकर उसे झपटा। कबूतर किसी तरह से चील से बच गया लेकिन घायल होकर बेहोश हो गया।
कौआ पेड़ पर बैठा यह सब देख रहा था उससे रहा नहीं गया। उसने कबुतर की बड़ी सेवा की धीरे धीरे कबूतर की बेहोशी दूर हो गई। कबूतर एक दम स्वस्थ हो गया। बेहोशी दूर होते ही उसने आंखें खोली, अपने पास कौए को देखकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली।
उसकी यह दशा देखकर कौवे ने धीरे से कहा, भाई डरो मत,अब तुम बिल्कुल स्वस्थ हो, मैं तुम्हारा दोस्त हूं।तुम क ई दिन से बिमार पड़े थे मैंने ही तुम्हारी देख भाल की। कबूतर बोला, तुमने मेरी देखभाल क्यों की। मुझे मर जाने दिया होता, तुम काले हो मैं एकदम गोरा चिट्ठा।अपना साथ कैसे हो सकता है भला। हां लेकिन तुम यह सब मेरे लिए क्यों किया कबूतर ने टेढ़ी आंखें करते हुए कौए से कहा,कौए ने उत्तर दिया इसलिए कि मैं तुम्हें अपना दोस्त बनाना चाहता हूं।काले गोरे का भेदभाव मिटाना चाहते हैं।कौए ने कबूतर से समझाते हुए कहा।
भाई साहब बात यह है कि हमारा रंग अलग अलग है।जाति धर्म सब अलग है लेकिन हम दोनों का दिल एक जैसे हीं धड़कता है खून का रंग एक जैसा है । मेरे मित्र तुम इस बात को थोड़ा दिमाग से सोचो।तब जाकर तुम मेरी बात को समझ पाओगे । फिर काले गोरे का भेदभाव नहीं दिखेगा।कौए की यह बात सुनकर गोरे कबूतर का सिर शर्म से झुक गया और उसने कौए को गले से लगा लिया।
दूसरो की नक़ल नहीं करनी चाहिए, शिक्षा प्रेरित – small moral story in Hindi
moral stories in hindi: मेरे गांव के पास एक छोटा सा जंगल था,उस जंगल में एक कौवा रहता था, वह अपने जीवन में बहुत ही खुश था क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थी।वह अपने ज़िन्दगी से सन्तुष्ट था। लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देख लिया। और उसे देखते ही सोचने लगा, कि ये प्राणी कितना सुन्दर है। ऐसा प्राणी मैंने पहले कभी नहीं देखा। इतना साफ़ और सफेद।यह इस जंगल में औरों से बहुत सुंदर है, इसलिए यह तो बहुत खुश रहता होगा।
कौवा हंस के पास गया और पूछा, भाई तुम इतने सुन्दर हों इसलिए बहुत खुश और धनी होंगे।
हंस ने बड़ी गम्भीरता से कहा हां भाई, पहले मैं बहुत खुशरहता था।जब से तोते को देखा हमें लगता है, कि इस धरती का सबसे सुंदर सबसे सुखी प्राणी वहीं है ।हम दोनों के शरीर का रंग तो एक ही रंग का है, लेकिन तोते के शरीर पर दो,दो रंग है। उसके गले में लाल रंग का घेरा,हरे हरे पंख,सच में बेहद खूबसूरत लगता है
अब कौवे ने सोचा, हंस तो तोते को सबसे सुंदर बंता रहा है। तो फिर उसे देखना होगा क्या वाकई में वो खूबसूरत है।
अब कौवा तोते के पास गया और बोला भाई तुम दो, दो रंग पाकर बहुत खुश होंगे। इस पर तोते ने कहा ,हां मैं बहुत खुश था जब तक मैं मोर को नहीं देखा था। मेरे पास तो दो ही रंग है लेकिन मोर के शरीर पर तो क ई तरह के रंग है।
अब कौवा मोर से मिलने गया। उसने मोर से कहा,मोर भाई आप तो बहुत सुंदर क ई रंगों में लगते हों ये सुनहरे पंख सबका मन मोह लेते हैं आप बहुत सुखी होंगे।तब मोर ने कहा इसी सुनहरे पंख की वजह से तो मुझे चिड़िया घर में कैद करके रखते हैं, लेकिन तुम्हें तो कोई चिड़िया घर में कैद करके नहीं रखता। और तुम जहां चाहो अपनी मर्जी से चूम फिर सकते हैं। इसलिए दुनिया का सबसे सुखी और संतुष्ट जीव तुम्हें होना चाहिए क्योंकि तुम आजाद रहते हो। कौवा हैरान रह गया क्योंकि उसके जीवन की अहमियत कोई दूसरा बता रहा है।
दोस्तों ,ऐसे ही हम लोग भी करते हैं।हम अपनी खुशियों और गुणों की तुलना दूसरों से करते हैं ऐसे लोगों से जिनका रहन सहन का माहौल हमसे बिलकुल अलंग है। हमारी जिंदगी में बहुत सारे ऐसी चीजें होती हैं, जो केवल हमारे पास है। लेकिन हम उसकी अहमियत समझकर खुश नहीं होते। दूसरों की छोटी ख़ुशी भी हमें बड़ी लगती है जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को नहीं समझा पाते उसे इग्नोर कर देते हैं। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए जो हमारे पास है सबसे अच्छा है यही सोच अच्छी होती है।