जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे, मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे।
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है, इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है।
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे
किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है
ये कैंचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी, हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं, हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं।
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको, वहां पर ढूंढ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं।