कबीरदास  के  10  प्रसिध्द  दोहे

कबीर दास जी हिंदी साहित्य के प्रसिध्द कवियों मे से एक है। 

कबीरदास  जी के  10  प्रसिध्द  दोहे निम्न है। 

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पोथी पढि पढि जग मुआ,  पंडित भया न कोय। ढाई अक्षर प्रेम का,  पढ़ें सो पंडित होय। 

निंदक नियरे राखिए  आंगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना निर्मल देह सुभाय। 

माया मरी न मन मरा, मरि मरि गया शरीर। आशा तृष्णा न मरी,  यो कह गए संत कबीर। 

झूठे को झूठा मिले, दूना बढ़े स्नेह। झूठे को सांचा मिलें, तो ही दूर नेह  

दुख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करै,  तो दुख काहे को होय।। 

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। 

जाने मलमास मे क्या नही करनाचाहिये?