भगवद् गीता के वचन  

मनुष्य के दुख का कारण उसका मोह  है वो जितना मोह करेगा उतना कष्ट भी भोगेगा 

जो हुवा, वो अच्छा हुवा जो हो रहा वो अच्छा हो रहा जो होगा वो भी अच्छा ही होगा

सदैव संदेह करेने वाले व्यक्ती की प्रसन्नता, ना ही इस लोक मे है  और नाही कही और

जीवन न तो अतीत मे है  और न तो भविष्य मे है जीवन तो केवल इसी पल मे है

जो कर्म को फल के लिये करता है , उसे वास्तव मे न ही वो फल मिलता है  ना ही वो कर्म 

मन असांत होता है इसे नियंत्रित करना कठिन है लेकिन अभ्यास से इसे वस मे किया जा सकता है 

बुरा लग जाये एसा सत्य जरूर बोलिये,  मगर अच्छा लगे ऐसा झूठ कभी  बोलिये

फल की अभिलाशा छोड कर, कर्म करने वाला पुरुष अपने जीवन को सफल बनाता है 

भगवद् गीता के और वचन पढे