Tulasi Pooja: माँ तुलसी की पूजा विधि, महत्व एवं आरती देंखे

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास में माँ तुलसी की पूजा (Tulasi Pooja) पूरे एक महीने की जाती है. मान्यता है कि कार्तिक माह में माँ तुलसी की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मुख्यरुप से यह पूजा स्त्रियों द्वारा की जाती है मान्यता है कि माँ तुलसी की पूजा दिन निकलने से पहले और शाम को दिन डूबने के बाद किया जाता है। इस पूजा में कुआरी कन्याएं ज्यादा भाग लेती है।

Tulasi Pooja image
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तुलसी पूजा कब है? – Tulasi Pooja Kab Hai

हमारा भारत देश त्योहारों का देश है यहाँ विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाने का रिवाज है,उसी में से एक है तुलसी पूजा है जो कार्तिक मास में पूरे महीने मनाया जाता है। वैसे तो प्रतिदिन माँ तुलसी की पूजा की जाती है पर कार्तिक का महिना ख़ास होता है। एक महीने पूजा के बाद कार्तिक पूर्णिमा पर माँ तुलसी का विधि विधान से पूजा पाठ एवं विवाह कराया जाता है।

Tulasi Pooja 2023: इस वर्ष यानी 2023 मे माँ तुलसी की पूजा 5 नवम्बर 2023 को है. आपको बता दू जो कन्याये माँ तुलसी की पूजा करती है उन्हे इसका ख्याल रखना चाहिये की माँ तुलसी की पूजा सुबह सुरज निकलने से पहले एवं साम को सूरज ढलने के बाद करनी चाहिए।

तुलसी पूजा विधि एवं पूजा सामग्री – Tulasi Pooja Vidhi & Samagri

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी का पौधा बहुत ही पवित्र और पूज्यनीय माना जाता है आइए जानते है कि तुलसी पूजा विधि (Tulasi Pooja Vidhi) यानी तुलसी पूजा कैसे करें, सामग्री एवं इसका महत्व।

Tulasi Pooja vidhi
Tulasi Pooja vidhi & samagri

तुलसी पूजा (Tulasi Pooja) में सबसे पहले पूजा की सामग्री एक दिन पहले तैयार कर लेना चाहिए क्योंकि तुलसी पूजा भोर में होने का विधान है। तुलसी पूजन दिवस के दिन माता तुलसी की पूजा का अधिक महत्व होता है। इसलिए उस दिन भोर में उठकर स्नान आदि से निर्वित होकर तुलसी मां की पूजा करें। आइये सर्वप्रथम पूजा की सामग्री देख लेते है।

पूजा सामग्री: लड्डू,बतासा, नारियल चुनरी, अगरबत्ती, हलुआ पूड़ी, माला फूल, गंगाजल, अक्षत, 16 श्रृंगार के सामान जैसे सिंदूर, लाल चूड़ी, कंघा, नाखुन पालिश, अंगूठी, सिकडी, पायल, महावर, काजल, बिंदी आदि, इकठ्ठा कर ले।

पूजा विधि: सबसे पहले माँ तुलसी (Maa Tulasi) की साफ-सफाई करले, फिर एक लोटा साफ़ जल ले, जल में थोड़ी सी हल्दी और फ़ूल डालकर मां को चढ़ाये और फिर अगरबत्ती और दीपक जलाकर आरती दिखाएं। अब आप माँ तुलसी के सोलह सिंगार का सामन एक एक करके चढ़ाते जाइए और मंत्र या भजन गाते जाइए। नारियल, लड्डू बतासा पूड़ी हलुआ सब थोड़ा थोड़ा भोग लगाकर उनके पास पूरा रख दीजिए, थोड़ी देर के बाद प्रसाद को बांट दे। आइये तुलसी पूजन को स्टेप बाइ स्टेप समझते है।

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रोजाना कैसे करें तुलसी पूजा – Daily Tulasi Pooja Niyam

  • तुलसी पूजा के लिये सबसे पहले प्रात:काल उठकर स्नान करें।
  • तुलसी के पौधे के पास रोजाना सुबह-शाम घी का दीपक जलाकर रखे।
  • तुलसी के पास साफ सफाई दोनों टाइम करना चाहिए।
  • सुबह तुलसी के पौधे को जल चढा कर आशीर्वाद लेना चाहिए।।
  • अपनी श्रद्धा अनुसार माता पर फल-फूल एवं माला चढ़ाएं
  • प्रतिदिन माँ तुलसी पर सिंदूर और लाल चुनरी भी अर्पित कर सकते है।
  • पूजा के बाद अगर संभव हो तो तुलसी के माला का जाप करें।
  • अगर तुलसी पूजा रविवार के दिन पड़ रही है तो इस दिन शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक ना जलाएं।
  • पूजा के अन्तिम दिन हलुआ पूड़ी लड्डू बतासा से भोग लगाएं।
  • तुलसी स्तोत्र का जाप कर पूजा अर्चना करें।

माना जाता है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा और लगन से माँ तुलसी की पूजा (Tulasi Ki Puja) करते हैं उनपर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती हैं। आप नीचे दिये चित्रो पर तुलसी का वृक्ष, माला, रक्षा खरीद सकते है।

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माँ तुलसी की आरती – Maa Tulasi Pooja Arati

जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता
जय जय तुलसी माता ।।

सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता
जय जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता ।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी विख्याता
जय जय तुलसी माता ।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
जय जय तुलसी माता ।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता ।।


निष्कर्ष: भारतीय संस्कृति विश्व के अद्भुद संस्कृतियों मे से एक है यहाँ जीव रक्षा, प्रकृति रक्षा, आयुर्वेद, वैदिक गणित, आध्यात्म एवं योग जैसी कई अन्य क्रिया कलाप मौजूद है जो जीवन के लिये आवश्यक है तथा जिन्हे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। आज के इस लेख की बात करें तो भारतीय समाज मे वृक्ष पूजा जैसे- तुलसी पूजा (Tulasi pooja), पीपल (Pipal pooja), नीम पूजा (Neem pooja) आदि प्राचीन काल से चली आ रही है।

हिंदू धर्म ग्रंथो मे वृक्षो को भी आस्था का रुप दिया गया है साथ ही इन वृक्षो का आयुर्वेदिक पहलू का भी जिक्र किया गया है जिसे वर्तमान मे विज्ञान द्वारा सहमति भी प्राप्त है अर्थात विज्ञान भी मानता है कि अन्य वृक्षो की तुलना मे तुलसी, पीपल, नीम आदि के वृक्ष अधिक उपयोगी एवं आयुर्वेदिक होते है। – भारत मे होती है इन 5 वृक्षो की पूजा नाम जाने

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