सत्यानंद योग (satyananda yoga) की शुरुआत स्वामी सत्यानंद सरस्वती व उनके वंशजो द्वारा शुरु की गई एक योग प्रणाली हैं जहाँ पर आप पारम्परिक तरीके से योग करना सीख सकते है। सत्यानंद स्वामी भारत के महान योगी व आध्यात्मिक गुरुयों मे से एक है, इन्होने दुनिया को योग विद्या के साथ-साथ सामाजिक चिंतन के जरियें दुनिया को नई राह दिखाई, इनका जन्म भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोडा मे 25 दिसम्बर 1923 मे हुआ था, इनके गुरु का नाम स्वामी शिवानंद सरस्वती था।
सत्यानंद योग – Satyananda Yoga
सत्यानंद योग पारम्परिक तरीके से होने वाला एक आसन या योग अभ्यास है, वह अभ्यास जिससे भौतिक व मानसिक संतुलन को व्यवस्थित किया जा सके। इसके लिये श्वास अभ्यास (प्राणायाम) मुख्य अभ्यास है, एक प्रकार से यह अभ्यास ‘की’ या ‘ची’ के बराबर है। ‘की’ या ‘ची’ एक योग अभ्यास है, जिसे भारतीय योग मे प्राण उर्जा या प्राण वायु कहते है, इसी अभ्यास को चीन मे ‘ची’ तथा जापान मे ‘की’ के नाम से जानते है।
मन को शांत करने के लिये एकाग्रता होना आवश्यक है, तभी आप भौतिक व मानसिक संतुलन बनाने मे सक्षम होगे, यह अभ्यास केवल त्यागियों के लिये ही नही बल्की गृहस्थ जीवन जीने वाले मनुष्यों के लिये भी जरुरी है। सत्यानंद योग मे केवल भौतिक शरीर ही नही बल्की सम्पूर्ण व्यक्ति का शामिल होना अनिवार्य है। अर्थात इस योग क्रिया मे व्यक्ति को तन – मन दोनों से उपस्थित होना है।
सत्यानंद योग के मुख्य भाग – Satyananda Yoga
- कर्म योग (Karma Yoga)
- हठ योग (Hatha Yoga)
- राज योग (Raja Yoga
- ज्ञान योग ( Jnana Yoga)
- क्रिया योग (Kriya Yoga)
- भक्ति योग (Bhakti Yoga)
कर्म योग (Karma Yoga)
कर्म योग की साधना करने से मनुष्य नकारात्मक विचारों पर विजय प्राप्त करता है। यह मनुष्य के अंदर, जागरुकता, महत्वाकांक्षी, इच्छायें जैसे कई व्यक्तिगत विचारों को नियंत्रण व मजबूत करता है। इस साधना का मुख्य उद्देश्य कर्म के बंधन से मुक्ति प्रदान करना है। जो जीवन के रचनात्मक व गतिशील जीवन मे बांधा उत्पन्न करता हो। ध्यान रहें कर्म योग कोई अभ्यास नही, बल्कि एक साधना है। – मानसिक तनाव से कैसे बचे
हठ योग (Hatha Yoga)
हठ योग के अभ्यास से शरीर खुद को व्यवस्थित करता है, अर्थात हठ योग हमारे भौतिक व मानसिक शरीर को नियत्रित करता है, जिससे हमे कुंडलिनी योग जैसे कई अन्य योग क्रियायों की तैयारी मे मदद मिलती है। आसान भाषा मे समझे तो हठ योग शारीरिक व मानसिक शुध्दिकरण की एक तकनीक है। Satyananda Yoga
राज योग (Raja Yoga)
राज योग एक व्यापक योग प्रणाली है, जिसके अभ्यास से मानव व्यवहार एवं व्यक्तित्व मे बदलाव किया जा सकता है, इस योग का वर्णन ऋषि पतंजलि के योग सूत्र ग्रंथ में किया गया है। इस प्राचीन ग्रंथ मे योग के आठ चरणों का वर्णन किया है जिन्हें सामूहिक रूप से राज योग के रूप में जाना जाता है। – अवचेतन मन क्या है ?
ज्ञान योग ( Jnana Yoga)
ज्ञान योग बौध्दिक ज्ञान को व्योहारिक ज्ञान मे बदलने की एक प्रणाली है, इस योग अभ्यास से व्यक्ति प्रकृत व ब्रम्हाण्ड के अनुसार स्वयं को व्यवस्थिति करता है। इस साधना को उच्चतम ध्यान की स्थिति एवं आंतरिक ज्ञान प्राप्त करने की साधन के रूप में वर्णित किया गया है। इस योग को करने से मनुष्य आत्म-जांच और आत्म-साक्षात्कार करने मे सक्षम हो जाता है।
ज्ञान योग करने के फायदे– आत्म-जागरूकता व आत्म-विश्लेषण की समझ, ज्ञान का अनुभव करना, सहज ज्ञान का विकास करना, व्यक्तिगत प्रकृति को महसूस करना, आंतरिक एकता का अनुभव करना, स्वयं को प्रकृत के तालमेल मे बैठाना, इत्यादि – Satyananda Yoga
क्रिया योग (Kriya Yoga)
क्रिया योग की उत्पत्ति प्राचीन काल मे हुआ था जो अभ्यास और अनुभव के माध्यम से विकसित हुआ। क्रिया योग के पूर्ण रूप में 70 से अधिक क्रियाएँ होती हैं, जिनमें से मात्र 20 क्रियाएँ ही सामान्य रूप से जानी जाती हैं।
भक्ति योग (Bhakti Yoga)
भक्ति योग हर इंसान के अंदर निहित दिव्य शक्ति को महसूस कराने मे सक्षम होता है। इसके अभ्यास से जीवन के सभी उर्जाओं का अनुभव करना संभव हो जाता है। – Satyananda Yoga
Source :- biharyoga.net
इस लेख मे हमने स्वामी सत्यानंद सरस्वती (Swami Satyananda Saraswati) जी के द्वारा बताये गये, योग के विषय मे जाना, यह लेख आप के लिये कितना शिक्षाप्रद रहा, कमेंट मे अपना विचार अवश्य दे, Satyananda Yoga