राहत इंदौरी जी का वास्तविक नाम राहत कुरैशी था चुकि इनका जन्म भारत के मध्यप्रदेश के इंदौर जिले मे हुआ था, इसलिये लोग इन्हे राहत इंदौरी कहकर बुलाते थे। यह एक उर्दु सायर और गीतकार थे।
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
Rahat Indori Sayari
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
राहत इंदौरी जी का जन्म 1 जनवरी 1950 मे मध्यप्रदेश मे हुआ था। इन्होने शिक्षा के तौर पर उर्दू साहित्य मे स्नानतकोत्तर एव पीएचडी किया था। इन्होने अपने सायरी व गीत के माध्यम से लोगो को प्रेरित व मनोरंजित किया। आइये इनके कुछ प्रसिध्द शायरियों पर नजर डाले।
राहत इंदौरी साहब की शायरी – Rahat Indori Sayari Hindi
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे,
राहत इंदौरी साहब
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे।
हम से पहले भी कई मुसाफ़िर गुज़रे होंगे
Rahat Indori Sayari
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है,
राहत इंदौरी साहब
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है।
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
राहत इंदौरी साहब
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है।
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
राहत इंदौरी साहब
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा,
Rahat Indori Sayari
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा।
सिर्फ खंजर ही नहीं आंखों में पानी चाहिए,
राहत इंदौरी साहब
ए खुदा दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए।
जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो,
राहत इंदौरी
बहरों का इलाक़ा है ज़रा ज़ोर से बोलो।
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना,
राहत इंदौरी
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना।
सब प्यासे हैं सबका अपना ज़रिया है, बढ़िया है,
Rahat Indori Sayari
हर कुल्हड़ में छोटा-मोटा दरिया है, बढ़िया है।
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
राहत इंदौरी
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।
सलिक़ा जिनको सिखाया था हमने चलने का,
राहत इंदौरी
वो लोग आज हमें दायें-बायें करने लगे।