महामृत्युंजय मंत्र और अर्थ जाने | Mahamrityunjay Mantra in Hindi

Mahamrityunjay Mantra
महामृत्युंजय मंत्र – Mahamrityunjay Mantra

mahamrityunjay mantra in Hindi: महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र, इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु का डर भी समाप्त हो जाता है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित है इस मंत्र की रचना ‘ऋषि मार्कण्डेय’ ने की थी, इस मंत्र को त्रयंबकम मंत्र, रुद्र मंत्र और मृत्यु-संजीवनी मंत्र भी कहते है। इस लेख मे हम भगवान शिव के सबसे शक्तिशाली मंत्र महामृत्युंजय मंत्र को जानेंगे.

महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

महामृत्युंजय मंत्र
Mahamrityunjay Mantra in Hindi
Mahamrityunjay Mantra in Hindi

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ (mahamrityunjay mantra ka arth)

अर्थात – हम तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की महिमा करते है, जो प्रतेक सांस में जीवन शक्ति का संचार करते है जो सम्पूर्ण जगत का पालन पोषण करते है, उनसे हम प्रार्थना करते है की जिस प्रकार कोई फल पक जाने के उपरांत पेड़ रुपी संसार का त्याग कर देता है उसी प्रकार हम भी इस संसार रुपी पेड में पक जाने के उपरांत जन्म और मृत्यु के बंधनो से सदा के लिये मुक्त हो जाये, तथा आपके चरणो के अमृत धारा का पान करते हुये शरीर को त्याग कर आप में लीन हो जाये और सभी बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति हो।

mahamrityunjay mantra meaning in Hindi

Mahamrityunjay Mantra ka arth
यजुर्वेद मे लिखित महामृत्युंजय मंत्र का भावार्थ

यजुर्वेद मे लिखित पूर्ण मंत्र कुछ इस प्रकार है: त्र्य॑म्बकं यजामहे सुग॒न्धिं पु॑ष्टि॒वर्ध॑नम्। उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान्मृ॒त्योर्मु॑क्षीय॒ माऽमृता॑त्। त्र्य॑म्बकं यजामहे सुग॒न्धिं प॑ति॒वेद॑नम्। उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नादि॒तो मु॑क्षीय॒ मामुतः॑ ॥

यजुर्वेद मे लिखित महामृत्युंजय मंत्र
यजुर्वेद मे लिखित मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति (Origen of mahamrityunjay mantra)

महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति ऋग्वेद वेद के सातवे अध्याय, और यजुर्वेद के तीसरे अध्याय और अथर्व वेद के चौदहवें छंद में जिक्र मिलता है। महामृत्युंजय मंत्र इतना शक्तिशाली है की इसे वेद का हृदय भी माना जाता है.

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महामृत्युंजय मंत्र की पूजा विधि ( Mahamrityunjay mantra Pooja Vidhi)

महामृत्युंजय मंत्र का जाप, पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिये, इस मंत्र का जाप एक निर्धारित स्थान पर ही करे, रोजाना अपने स्थान में परिवर्तन ना करे, मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला के साथ ही करे, इस मंत्र का जाप शिव की प्रतिमा, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र के सामने करे। महमृत्युंजय मंत्र का जाप का शुध्द उच्चारण करे, जाप करते वक्त धूप दीप जलते रहना चाहिये। मंत्र पूर्ण होने के उपरांत हवन करना शुभ माना जाता है।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप सावन के महिने मे करना अत्यंत शुभ व लाभकारी होता है, लेकिन अगर आप अन्य महिनो मे महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे है तो, भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार के दिन जाप करे।

महामृत्युंजय मंत्र का फायदे / लाभ (mahamrityunjay mantra ke fayde)

इस मंत्र के जप से आत्मा पवित्र होती है और आयु और धन की प्राप्ति होती है, साथ ही मानसिक, शारिरीक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिये भी लाभप्रद है, महा मृत्युंजय मंत्र मनुष्य को मृत्यु भय से मुक्ति दिलाती है मान्यता है की भगावन शिव का यह प्रसिध्द मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्रो मे से एक है ये मंत्र मनुष्य के अटल मृत्यु को भी टाल सकती है। इस मंत्र का सवालाख बार निरंतर जाप करने से रोगो तथा ग्रहो के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है।

Credit: @BhajanMarg ‘YouTube Channel’

महामृत्युंजय मंत्र का फायदे (mahamrityunjay mantra ke fayde)

  • मन शांत रहता है
  • मानसिक व शारीरिक रुप से आप मजबूत होते है.
  • भगवान शिव की कृपा आप पर बनी रहती है.
  • आपके घर व परिवार खुशिया आती है.
  • आप तनाव मुक्त रहते है.
  • आपका जीवन सुखमय होता है.
  • मृत्यु भय से मुक्ति दिलाती है

इस लेख मे हमने भगवान शिव का सबसे प्रसिध्द मंत्र महामृत्युंजय मंत्र (mahamrityunjay mantra) को जाना, मान्यता है कि यह मंत्र मनुष्य को मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाती है अगर आप निरंतर इस मंत्र का जाप करते है तो आप मन पवित्र रहेगा, आप मानसिक व शारीरिक रुप से मजबूत होंगे, आपके घर सुख-समृध्दि आयेगी.

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