जैन धर्म (Jain Dharma) सबसे प्राचीनतम धर्मों के श्रेणी मे आता है। सिंधु घाटी सभ्यता से मिले जैन धर्म के अवशेष, जैन धर्म को सबसे प्राचीन धर्म का दर्जा देते है। जैन ग्रंथों के अनुसार जैन धर्म “वस्तु” का स्वभाव समझाता है। इसलिये जैन धर्म सदा अस्तित्व मे रहेगा, आइये इस लेख में जैन धर्म के विषय में जानते है.
जैन धर्म के प्रथम तिर्थकर ऋषभदेव जी थे। जिन्हे ऋषभनाथ, आदिनाथ, एवं वृषभनाथ के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म स्थान अयोध्या है। हिंदू धर्म ग्रंथ वैदिक दर्शन में ऋषभदेव को विष्णु के 24 अवतारों में एक रुप माना जाता है।
जैन धर्म का परिचय (Jain Dharma)
जैन का अर्थ: जैन शब्द की उत्पती ‘जिन’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ ‘जीतना, विजेता या विजय’ प्राप्त करना है। अर्थात जिसने राग, मोह, द्वेष, या स्वयं पर विजय प्राप्त कर ली हो। जैन धर्म सबसे प्राचीनतम धर्मो से एक है जैन धर्म अपने अनुयायीयो को 5 सिद्धांत सिखाया, जो निम्नवत है.
- हिंसा मत करो
- चोरी मत करो
- झूठ मत बोलो
- संचय मत करो
- ब्रम्हचर्य का पालन करो
जैन दर्शन के संप्रदाय
जैन दर्शन को मुख्यत: दो संप्रदायों मे बाटा गया है। 1. श्वेताम्बर 2. दिगम्बर
श्वेताम्बर समुदाय सरल नियमो को मानने वाला समुदाय था यह श्वेत वस्त्र यानी की सफ़ेद कपड़ा पहनता था आगे चलकर यह समुदाय भी दो भागो में बट गया, जिन्हें मुर्तीपूजक और स्थानकवासी के नाम से जाना गया,
दिगंबर समुदाय के नियम थोड़े कठोर थे यह निर्वस्त्र यानी बिना कपड़ो के रहते थे आगे चलर यह समुदाय चारो भागो में बट गया, जिसकी जानकारी निम्नलिखत है.
1. श्वेताम्बर | 1. श्वेत (सफेद) वस्त्र धारण करने वालें 2. नियम सरल है। 3. श्वेताम्बर के भी दो संप्रदाय है। 1. मूर्तिपूजक 2. स्थानकवासी 4. स्त्री-मुक्ति का समर्थन करते हैं। |
2. दिगम्बर | 1. कोई भी वस्त्र धारण नही करते। 2. नियम थोडा कठिन है। 3. स्त्री-मुक्ति का समर्थन नही करते हैं। 4. दिगम्बर संघ के चार भाग- 1. नंदीसंघ 2. सेनसंघ 3. सिंहसंघ 4. देवसंघ |
जैन धर्म के अनुसार मोक्ष प्राप्ति का मार्ग
जैन धर्म (Jain Dharma) के अनुसार “त्रिरत्न” से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। जो क्रमश: 1. सम्यक् दर्शन 2. सम्यक् ज्ञान 3. सम्यक् चरित्र है.
- जैन के त्रिरत्न
- सम्यक् दर्शन – जैन धर्म ग्रंथों के सिध्दांतों व तत्वों के प्रति पूर्ण श्रध्दा भाव
- सम्यक् ज्ञान- तत्वों का गहन अध्ययन व सम्पूर्ण ज्ञान
- सम्यक् चरित्र – जैन ग्रंथों व सम्पूर्ण ज्ञान के अनुसार आचरण (चरित्र)
- जैन धर्म के 7 तत्व
- जीव
- अजीव
- आस्रव
- बंध
- संवर
- निर्जरा
- मोक्ष
जैन धर्म (Jain Dharma) मे ‘जीव व अजीव’ को द्र्व्य कहाँ जाता है, एवं ‘आस्रव, बंध, संवर एवं निर्जरा’ को कर्म की प्रक्रिया कहा जाता है।
जैन धर्म मे मोक्ष प्राप्त व्यक्ति को केवली कहा जाता है, अर्थात जो व्यक्ति मोक्ष प्राप्त व सभी धर्मों को जान लेता है, उसे केवली कहा जाता है, केवली दो प्रकार के होते है। 1. सयोग केवली 2. आयोग केवली
जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थल व त्योहार
तीर्थ स्थल- सम्मेदशिखर, श्रवणबेलगोला, वाराणसी, अयोध्या, गिरनार पर्वत, कैलाश पर्वत, तिर्थराज कुंडलपुर (महाबीर स्वामी का जन्म स्थान), पावापुरी, बावनगजा, चम्पापुरी, राजगिर, पावापुरी, शत्रुंजय, इत्यादि तीर्थस्थल है।
प्रमुख त्योहार – जैन धर्म के प्रमुख त्योहार- दीपावली, रक्षाबंधन, श्रुत पंचमी, इत्यादि है।
जैन धर्म के 24 तीर्थंकरो के नाम – सूची
जैन धर्म मे कूल 24 तीर्थकर है प्रथम ऋषभदेव व आखिरी महावीर स्वामी जी है, सभी तीर्थकरों के नाम निम्नलिखित है।
1. ऋषभदेव 2. अजितनाथ 3.सम्भवनाथ 4. अभिनंदन 5. सुमतिनाथ 6. पद्ममप्रभु 7. सुपार्श्वनाथ 8. चंदाप्रभु 9. सुविधिनाथ 10. शीतलनाथ 11. श्रेयांसनाथ 12. वासुपूज्य 13. विमलनाथ 14. अनंतनाथ 15. धर्मनाथ 16. शांतिनाथ 17. कुंथुनाथ 18. अरनाथ 19. मल्लिनाथ 20. मुनिसुव्रत 21. नमिनाथ 22. अरिष्टनेमि 23. पार्श्वनाथ 24. वर्धमान महावीर
जैन धर्म की 10 मुख्य बातें
- जैन धर्म के पहले तीर्थकर ऋषभदेव जी है।
- जैन धर्म के अंतिम व 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी है।
- महावीर स्वामी का जन्म 540 ई. पू. हुआ था ।
- महावीर के बचपन का नाम वर्द्धमान था।
- जैन धर्म के 2 मुख्य संप्रदाय है श्वेताम्बर और दिगम्बर
- जैन धर्म के त्रिरत्न जिनसे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, सम्यक दर्श, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र
- जैन धर्म में अनिश्वरवादी है इसलिये यहाँ ईश्वर नहीं आत्मा की मान्यता है
- मौर्योत्तर युग मे जैन धर्म का प्रसिद्ध केंद्र मथुरा था ।
- जैन धर्म मानने वाले राजायों के नाम – चंद्रगुप्त मौर्य, उदायिन, वंदराजा, कलिंग नरेश खारवेल, राजा अमोघवर्ष, चंदेल शासक, आदि
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