How Lord Shiva was Born in Hindi: भगवान शिव अपने भक्तों के बीच महाकाल, भोलेनाथ, शंभू, महेश आदि विभिन्न नामों से प्रचलित है। शिवजी को देवों के देव यानी सभी देवों में ऊंचा स्थान दिया गया है। भगवान भोलेनाथ स्वभाव से अत्यंत दयालु और भोले हैं और इसी कारण वह अपने भक्तों पर जल्दी खुश हो जाते हैं और उनकी मनोकामना पूरी कर देते हैं।
शिवलिंग पर रोजाना सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से ही भगवान शिव खुश हो जाते हैं और उनके भक्तों की हर एक मनोकामना पूरी करते हैं। किंतु शास्त्रों के अनुसार शिवजी जितने सौम्या और कोमल हैं उतने ही उग्र भी है। और इन सभी चीजों का उल्लेख हमारे शास्त्रों में किया गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करने वाले और दुष्टों का संहार करने वाले भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?
यदि आप भगवान शिव के जन्म से जुड़े इस विषय के बारे में जानकारी नहीं रखते और अगर आप जानना चाहते हैं कि भगवान शिव का जन्म किस प्रकार हुआ था तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए।
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भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ? – how lord shiva was born
वैसे तो अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव के जन्म से जुड़े अलग-अलग कथाएं देखने को मिल जाती है। पुराणों में शिवजी की उत्पत्ति का विवरण मिलता है। यानी के वे किसी के गर्भ से जन्म न लेकर स्वयंभू प्रकट हुए हैं। shiv ji ke 108 name
विष्णु पुराण की कथानुसार भगवान शिव का जन्म
विष्णु पुराण की कथा के अनुसार भगवान शिव का जन्म भगवान विष्णु के माथे से उत्पन्न हुए तेज से हुआ था। माथे से उत्पन्न तेज यानी भगवान विष्णु के आज्ञा चक्र से शिव जी प्रकट हुए थे और इसी कारण वे सदैव ध्यान मुद्रा में रहते हैं।
विष्णु पुराण के अनुसार शिव जी का जन्म भगवान विष्णु के माथे के तेज से तथा ब्रह्माजी का जन्म उनके नाभि कमल से हुआ है। लेकिन यह कथा सिर्फ विष्णु पुराण में मिलती है, शिव पुराण तथा अन्य पुराणों में भगवान शिव के जन्म से जुड़ी अलग-अलग कथाएं बताई गई है।
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शिवपुराण की कथा अनुसार भगवान शिव का जन्म
शिव पुराण में बताई गई कथा के अनुसार भगवान शिव स्वयंभू है और उनका जन्म अपने आप ही हुआ है। यानी वे किसी के गर्भ से जन्म न लेकर खुद शक्ति के द्वारा प्रकट हुए है। इस कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच में श्रेष्ठत्त्व को लेकर झगड़ा शुरू हुआ। भगवान विष्णु और ब्रह्मा दोनों में से कौन श्रेष्ठ है इस बात को लेकर बहस कर रहे थे।
How Lord Shiva was Born in Hindi
उनकी इसी बहस के बीच दोनों के बीच में एक विशाल स्तंभ प्रकट हुआ। इस स्तंभ का आरंभ तथा अंत दिखाई नहीं पड़ रहा था। दोनों इतने विशाल स्तंभ को देखकर आश्चर्य में पड़ गए। तभी एक आकाशवाणी हुई और आकाशवाणी द्वारा कहा गया कि जो कोई सबसे पहले इस स्तंभ का छोर ढूंढ लेगा वही सबसे महान कहलाएगा। How Lord Shiva was Born in Hindi
इसके बाद स्तंभ का ऊपरी छोर ढूंढने के लिए ब्रह्मा जी पक्षी का रूप लेकर निकल गए। और विष्णु भगवान वराह अवतार लेकर अंत ढूंढने निकल पड़े। काफी देर तक दोनों चलते रहे। लेकिन काफी ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद किसी को भी खंबे का छोर नहीं मिला। कुछ समय बाद दोनो भगवान विष्णु और ब्रह्माजी वापस जिस स्थान से शुरुआत की थी वहीं आ गए। तब विष्णु जी ने अपनी हार कबूल करते हुए कहा कि काफी प्रयास करने के बावजूद उन्हें खंबे का छोर नहीं मिला। लेकिन दूसरी ओर ब्रह्मा जी ने झूठ कहा कि उन्हें खंबे का शुरुवाती छोर मिल गया है।
ब्रह्मा जी के इतना कहते हैं उस खंबे में से भगवान शिव प्रकट हुए। शिवजी ने क्रोध में भरकर ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि उनके इस झूट के कारण पृथ्वी पर कहीं पर भी उनकी पूजा नहीं की जाएगी। तब ब्रह्मा जी को उनकी गलती का एहसास हुआ और वीडियो दे भगवान शिव से माफी मांगी।
इस तरह इस कथा से पता चलता है कि ब्रह्मा विष्णु दोनों से शक्तिशाली शिवकी शक्ति है। और शिव जी स्वयंभू प्रकट हुए हैं। भगवान शिव के लगभग 11 अवतार माने जाते हैं। संहारक कहे जाने वाले भगवान शिव ने एक बार देवों की रक्षा के लिए जहर भी पी लिया था। और इस विष के कारण उनका कंठ नीला हो गया और तब से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा।
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तो दोस्तों उम्मीद करते हैं की आपको भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ इस से जुड़ी है जानकारी उपयोगी साबित हुई होगी। हमे आशा है इस लेख से आपको काफी कुछ सीखने को भी मिला होगा। हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान शिव की कृपा उनके सभी भक्तों पर हमेशा बनी रहे।
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताइए। और ऐसी ही धर्म से जुड़ी कहानियां पढ़ते रहने के लिए हमारी वेबसाइट को जरूर विजिट कीजिए। धन्यवाद
लेखक :- मोहित पटिल (जलगांव , महाराष्ट्र)