किसी भी भाषा को सुचारु ढंग से समझने व बोलने के लिये उस भाषा के व्याकरण का ज्ञान होना बेहद जरुरी है। आज हम इस लेख मे हिंदी भाषा को सीखने के लिये हिंदी व्याकरण के प्रमुख विषयों (Hindi grammar basics) को समझेंगे।
हिंदी भारत की सबसे लोकप्रिय व प्रमुख भाषा है। इसे भारत की मातृभाषा का भी दर्जा प्राप्त है। वैसे तो भारत मे कई भाषायें बोली जाती है, लेकिन हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषायो मे से एक है।
हिंदी व्याकरण की मूल बाते – Hindi grammar basics
Hindi grammar basics: हिंदी व्याकरण के सीखने की शुरुआत वर्ण और वर्णमाला से होती है। सबसे पहले हमे हिंदी भाषा या व्याकरण को सीखने के लिये हिंदी के वर्णमाला (अ, आ, ई, उ….. क, ख, ग, घ…) सीखने की आवश्यकता होती है। उसके बाद अन्य विषयो (संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि) को।
आइये हम हिंदी व्याकरण की मूल बाते (Hindi grammar basics) को एक-एक करके समझते है।
वर्ण व वर्णमाला
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वर्ण की परिभाषा – अ से अ: और क से ज्ञ तक के अक्षरों को वर्ण कहते है।
वर्णमाला की परिभाषा – वर्णो के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते है। जैसे – ( अ, आ, ई, उ, ऊ …. क, ख, ग, घ, ड०, च, छ, ज, झ…)
वर्णमाला को दो भागो मे विभाजित किया गया है, 1. स्वर 2. व्यंजन, जिनमे से स्वर अक्षरो की संख्या 11 व व्यंजन अक्षरो की संख्या 39 होती है। अर्थात हिंदी मे कुल वर्णो या अक्षरो की संख्या 52 होती है। वर्ण व वर्णमाला को विस्तार से जाने
लिंग
hindi grammar basics: हिंदी व्याकरण मे लिंग को 3 भागो मे विभाजित किया गया है। 1. पुल्लिंग, 2. स्त्रीलिंग 3. नपुंशक लिंग
- पुल्लिंग -जो शब्द या वाक्य किसी पुरुष जाति का बोध कराते हो, उसे पुलिंग कहते है। जैसे – लडका, मोहन, भाई, पापा, आदि
- स्त्रीलिंग- जो शब्द या वाक्य किसी स्त्री जाति का बोध कराते हो, उसे स्त्रीलिंग कहते है। जैसे- लडकी, मोहनी, बहन, बुआ, चाची, मम्मी, आदि
- नपुंशक लिंग – जो शब्द या वाक्य किसी वस्तु या ऐसे वस्तु का का बोध कराता हो, जो न पुल्लिंग हो ना ही स्त्रीलिंग उसे नपुंशक लिंग कहते है। जैसे- फूल, वायुयान, जहाज आदि
संज्ञा
जिन शब्दो से हमे किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध होता होता है उसे संज्ञा कहते है। आसान भाषा मे समझे तो सभी नाम संज्ञा कहलाते है। हिंदी व्याकरण मे संज्ञा 5 प्रकार के होते है, जो निम्नलिखित है।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जिन संज्ञा शब्दो से हमे किसी विशेष व्यक्ति, जाति व स्थान का बोध होता उसे व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते है। जैसे- स्वामी विवेकानंद, रामायण, भारत, अयोध्या, आदि
- जातिवाचक संज्ञा
- जिन संज्ञा शब्दो से हमे किसी जाति का सम्पूर्ण बोध होता उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे- मनुष्य, जानवर, वृक्ष, आदि
- समूहवाचक संज्ञा
- जो संज्ञा शब्द हमे किसी समूह का बोध कराती है उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है। इसे समूदायवाचक संज्ञा भी कहाँ जाता है। जैसे- मेला, समाज, आर्मी, झुण्ड आदि
- द्रव्यवाचक संज्ञा
- जिन संज्ञा शब्दो हमे किसी ठोस, तरल द्रव्य, धातु, अधातु आदि का बोध होता है उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है। जैसे- पानी, जूस, दूध, तेल आदि
- भाववाचक संज्ञा
- जिन संज्ञा शब्दो से हमे किसी वस्तु की अवस्था, गुण, दोष, आदि का बोध होता है उसे भाववाचक संज्ञा सकते है। जैसे – बचपन, खट्टा, मीठा, खुशी, गुस्सा, भूख आदि
सर्वनाम
सर्वनाम की परिभाषा – संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द को सर्वनाम कहाँ जाता है। सर्वनाम को 6 भागो मे विभाजित किया गया है। जो निम्न है।
सर्वनाम के छ: प्रकार होते है।
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- सम्बंधवाचक सर्वनाम
- निजवाचकसर्वनाम
hindi grammar basics:- सर्वनाम को विस्तर से जानने के लिये चित्र पर क्लिक करेंं
क्रिया
किसी वाक्य मे प्रयुक्त वो शब्द जो किसी कार्य के करने को दर्शाते है। उन्हे क्रिया कहते है। क्रिया का प्रयोगिक अर्थ ही करना होता है। जैसे घूमने जाना, इस वाक्य मे जाने की क्रिया हो रही, आदि
परिभाषा- जिस शब्द या वाक्य से किसी कार्य के करने का बोध होता है उसे क्रिया कहते है। hindi language learning
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विशेषण
जिन संज्ञा शब्दो से हमे किसी वस्तु की विशेषता मालूम होती है उसे विशेषण कहते है। जैसे- गुलाबी फूल मे गुलाबी विशेषता है, जैसे सुंदर व्यक्ति मे सुंदर विशेषता है। विशेषण को मुख्यत: 4 भागो मे बाटा गया है, जि निम्नलिखित है।
- गुणवाचक विशेषण
- परिमाणवाचक विशेषण
- संख्यावाचक विशेषण
- सार्वनामिक विशेषण
काल
काल को निम्नलिखित 3 भागो मे विभाजित किया गया है। 1. वर्तमान काल 2. भूत काल 3. भविष्य काल, इन तीनो कालो के 4-4 प्रकार होते है।
- वर्तमान काल – जिन शब्दो द्वारा वर्तमान समय मे हो रही घटना या स्थिति का बोध होता है उसे वर्तमान काल कहते है। उदाहरण – मै जा रहा हू, महेश पढता है।, मै खाना खा चुका हू। आदि वर्तमान काल 4 भेद होते है जो निम्नलिखित है।
- सामान्य वर्तमान काल
- पूर्ण वर्तमान काल
- अपूर्ण वर्तमान काल
- संदिग्ध वर्तमान काल
- भूत काल – जिन शब्दो से हमे बीती जा चुकी घटना का बोध होता है उसे भूत काल कहते है। जैसे- मै गाडी चलाता था।, मै पहले क्रिकेट नही खेलता था। आदि। भूत काल के 4 भेद होते है। जि निम्नलिखित है।
- सामान्य भूत काल
- पूर्ण भूत काल
- अपूर्ण भूत काल
- संदिग्ध भूत काल
- भविष्य काल – जिन शब्दो से हमे भविष्य मे होने वाली घटनाओ क बोध होते है, उसे भविष्य काल कहते है। जैसे- मुझे सफलता जरुर मिलेगी, वह मुझसे मिलने आयेगा, मै अगले साल घूमने जाउंगा आदि, भविष्य काल के 4 भेद होते है जो निम्न है।
- सामान्य भविष्य काल
- पूर्ण भविष्य काल
- अपूर्ण भविष्य काल
- संदिग्ध भविष्य काल
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उपसर्ग
जो शब्द किसी शब्द के आगे लगकर, उस शब्द के अर्थ मे परिवर्तन कर देते है, उसे उपसर्ग कहते है। उपसर्ग के उदाहरण निम्न है।
- अति + आवश्यक = अतिआवश्यक (यहाँ अति उपसर्ग है)
- अभि + मान = अभिमान (यहाँ अभि उपसर्ग है)
- अनु + = सार = अनुसार (यहाँ अनु उपसर्ग है)
प्रत्यय
Hindi grammar basics: उपसर्ग के विलोम को प्रत्यय कहते है। अर्थात जो शब्द किसी शब्द के पीछे लगकर, उस शब्द के अर्थ मे परिवर्तन कर देते है, उसे प्रत्यय कहते है। प्रत्यय के उदाहरण निम्न है।
- शेर+ नी = शेरनी (यहाँ नी प्रत्यय है)
- मिलन + सार = मिलनसार (यहाँ सार प्रत्यय है)
- वन + वासी = वनवासी (यहाँ वासी प्रत्यय है)
पर्यायवाची शब्द
जिन शब्दो एक या एक से अधिक समान अर्थ होता है। उसे समानार्थी या पर्यायवाची कहते है। प्रमुख पर्यायवाची निम्नलिखित है।
- मेहमान – अतिथि, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहुन।
- घोडा- वाजि, अश्व, हय, तुरंग, घोटक।
- रात- अँधेरा, अंधकार, तम, तिमिर, तमस, अंधियारा, रात्री।
- अपमान- अनादर, अवहेलना, तिरस्कार, बईज्जती।
- अभिमान- अहंकार, गर्व, घमंड,
- अदभुद-अद्वितीतय, अपूर्व, अतुल, अनोखा, आचर्य,
- अंजाम- परिणाम, फल, नतीजा, ।
- अंत- समाप्ति, अवसान, समापन।
- आवश्यक – अनिवार्य, जरुरी, महत्वपूर्ण, लाजिमी।
- अंतर- भेद, फर्क, भिन्नता, असमानता ।
- और अधिक पर्यायवाची शब्द
विलोम शब्द
- दिन – रात
- अमीर – गरीब
- अच्छा – बुरा
- नया – पुरना
- मीठा – तीखा
- जीवन – मृत्यू
- पाप – पुण्य
हिंदी भाषा केवल भारत मे ही नही बल्की अन्य देशों जैसे- नेपाल, पाकिस्तान, बाग्लादेश, म्यामार, कनाडा, अमेरीका जैसे कई अन्य देशो मे भी इसका प्रचलन है।