hasya kavita: कविताएँ पढ़ना सभी का शौक होता है। इस लेख में, हमने हास्य कविताओं का एक संग्रह प्रस्तुत किया है, जिन्हें पढ़कर आपका मन प्रसन्न हो जाएगा। यदि आप भी कविताएँ लिखना पसंद करते हैं, तो कृपया उन्हें हमारे साथ साझा करें। आपकी कविताएँ हमें भी आनंदित करेंगी और इस संग्रह को और भी समृद्ध बनाएंगी।
कविता पढ़ने से हमारी भावनाओं का संतुलन बना रहता है। कविताएँ हमें खुशी, उत्साह, उत्सुकता या गम के बारे में सोचने पर मजबूर करती हैं। इससे हमारी मानसिक तनाव कम होता है और हमें आराम मिलता है। बहरहाल हम यहाँ हास्य कविता (hasya kavita) पढने वाले है। और इसका उद्देश्य केवल अपको हसाना है।
लाक डाउन पर हास्य कविता – Lockdown hasya kavita in hindi
लाक डाउन लागू है,
लॉक डाउन चालु है
क्योंकि कोरोना बड़ा दयालु है
बरसायेगा आप पर प्रेम अपार
और आप जाओगे स्वर्ग सिधार
सिधार गए जहाँ में अनेक
कोरोना कर रहा सेलिब्रेट
अतः आप भी ना बने उसका टेस्ट
हो सके जितना घर पे करें रेस्ट
रेस्ट करते हुए सरकार की माने बात
नहीं देखेगा कोरोना कौनसी आपकी जात
बस चिपक जाएगा आप से
छूटने से ना छूटेगा जाप।
बेहतरीन हास्य कविता रेल की यात्रा
एक बार हमें करनी पड़ी रेल की यात्रा
देख सवारियों की मात्रा
पसीने लगे छूटने
हम घर की तरफ़ लगे फूटने।
इतने में एक कुली आया
और हमसे फ़रमाया
साहब अंदर जाना है?
हमने कहा हां भाई जाना है….
उसने कहा अंदर तो पंहुचा दूंगा
पर रुपये पूरे पचास लूंगा
हमने कहा समान नहीं केवल हम हैं
तो उसने कहा क्या आप किसी सामान से कम हैं?
जैसे तैसे डिब्बे के अंदर पहुचे
यहां का दृश्य तो ओर भी घमासान था
पूरा का पूरा डिब्बा अपने आप में एक हिंदुस्तान था
कोई सीट पर बैठा था, कोई खड़ा था
जिसे खड़े होने की भी जगह नही मिली वो सीट के नीचे पड़ा था…
इतने में एक बोरा उछलकर आया और एक गंजे सर से टकराया
गंजा चिल्लाया यह किसका बोरा है?
बाजू वाला बोला इसमें तो बारह साल का छोरा है…
तभी कुछ आवाज़ हुई और
इतने में एक बोला, चली चली
दूसरा बोला या अली …
हमने कहा काहे की अली, काहे की बलि
ट्रेन तो बगल वाली। चली
आपको पता है क्या – कविता पढ़ने से हमारी भाषा कौशल बढ़ता है। कविताओं में उपयोग किए जाने वाले अलंकार, मुहावरे और संज्ञा-विशेषण आदि भाषा के विभिन्न पहलुओं को समझाने में मदद मिलती है। जिसके परिणाम स्वरुप हम अपनी भाषा/व्याकरण को और दुरुस्त कर सकते है।
छोटी हास्य कविता (Funny Kavita in Hindi)
नदी में डूबते आदमी ने
पुल पर चलते आदमी को
आवाज लगाई- ‘बचाओ!’
पुल पर चलते आदमी ने
रस्सी नीचे गिराई
और कहा- ‘आओ!’
नीचे वाला आदमी
रस्सी पकड़ नहीं पा रहा था
और रह-रह कर चिल्ला रहा था-
‘मैं मरना नहीं चाहता
बड़ी महंगी ये जिंदगी है
कल ही तो एबीसी कंपनी में
मेरी नौकरी लगी है।’
इतना सुनते ही
पुल वाले आदमी ने
रस्सी ऊपर खींच ली
और उसे मरता देख
अपनी आंखें मींच ली
दौड़ता-दौड़ता
एबीसी कंपनी पहुंचा
और हांफते-हांफते बोला-
‘अभी-अभी आपका एक आदमी
डूब के मर गया है
इस तरह वो
आपकी कंपनी में
एक जगह खाली कर गया है
ये मेरी डिग्रियां संभालें
बेरोजगार हूं
उसकी जगह मुझे लगा लें।’
ऑफिसर ने हंसते हुए कहा-
‘भाई, तुमने आने में
तनिक देर कर दी
ये जगह तो हमने
अभी दस मिनिट पहले ही
भर दी
और इस जगह पर हमने
उस आदमी को लगाया है
जो उसे धक्का देकर
तुमसे दस मिनिट पहले
यहां आया है।
आपको मालूम है क्या – कविता पढ़ने से हम अपनी सोच और विचारों को स्पष्ट कर सकते हैं। कविताओं के माध्यम से हम विभिन्न मुद्दों पर विचार करते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करते हैं। साथ ही कविताये मनोरंजन का भी कार्य करती है।
बड़े मस्त हो तुम। (hasy kavita in hindi)
बड़े मस्त हो तुम।
जबरदस्त हो तुम।
कभी डगमगाते,
कभी लड़खड़ाते।
ये किसके नशे में,
पड़े पस्त हो तुम।
ये किसने पिलाई,
या खुद ही लगाई।
लगता है जैसे,
कहीं मार खाई।
नाले के नीचे,
कब से पड़े हो,
चलो फिर पिओ,
यार जल्दी खड़े हो।
पैसा है बाकी?
जेबें टटोलो।
या फिर किसी को,
पिलाने को बोलो।
अपने नशे को,
उतरने न देना।
पैसे न हों तो,
उधारी की लेना।
मदिरा की बोतल के,
अभ्यस्त हो तुम।
बड़े मस्त हो तुम।
जबर्दस्त हो तुम।।
आराम करो (hasy kavita in hindi)
एक मित्र मिले, बोले, “लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?
इस डेढ़ छटांक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो
क्या रक्खा माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो
संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो”
हम बोले, “रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।
आराम ज़िन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है
आराम सुधा की एक बूँद, तन का दुबलापन खोती है
आराम शब्द में ‘राम’ छिपा जो भव-बंधन को खोता है
आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला ही योगी होता है
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो, आराम करो।
यदि करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न तुम उत्पात करो
अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात करो
करने-धरने में क्या रक्खा जो रक्खा बात बनाने में
जो ओठ हिलाने में रस है, वह कभी न हाथ हिलाने में
तुम मुझसे पूछो बतलाऊँ, है मज़ा मूर्ख कहलाने में
जीवन-जागृति में क्या रक्खा, जो रक्खा है सो जाने में।
मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ
जो बुद्धिमान जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ
दीप जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ
जो मिलता है, खा लेता हूँ, चुपके सो जाया करता हूँ
मेरी गीता में लिखा हुआ, सच्चे योगी जो होते हैं
वे कम-से-कम बारह घंटे तो बेफ़िक्री से सोते हैं।
अदवायन खिंची खाट में जो पड़ते ही आनंद आता है
वह सात स्वर्ग, अपवर्ग, मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है
जब ‘सुख की नींद’ कढ़ा तकिया, इस सर के नीचे आता है
तो सच कहता हूँ इस सर में, इंजन जैसा लग जाता है
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक-फक करती है
भावों का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है।
मैं औरों की तो नहीं, बात पहले अपनी ही लेता हूँ
मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ
मैं खटरागी हूँ मुझको तो खटिया में गीत फूटते हैं
छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते छंदों के बंध टूटते हैं
मैं इसीलिए तो कहता हूँ मेरे अनुभव से काम करो
यह खाट बिछा लो आँगन में, लेटो, बैठो, आराम करो
आपको जानना चाहिये की – कविता पढ़ने से हम अपनी समझ बढ़ा सकते हैं। कविताओं में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न छंद और रचनाकार की कल्पना से हमारी समझ विस्तृत होती है। अंत में, कविता पढ़ने से हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान में वृद्धि होती।