Guru Ravidas Jayanti 2023: संत रविदास जयंती पर उनके अनमोल विचार एवं जीवनी जाने

Guru Ravidas Jayanti: गुरु रविदास जयंती हर वर्ष 5 फरवरी को मनाया जाता है। संत रविदास जी ने युगों-युगों तक अपने विचार और उपदेशों से लाखों लोगों को मार्गदर्शन एवं प्रेरणा दी। उन्होंने जीवन भर समतामूलक समाज के निर्माण के लिए काम किया। इसीलिए उन्हें समाज सुधारक के रुम मे अग्रणी याद किया जाता है।

संत रविदास या गुरु रविदास जी मध्यकाल के महान समाज सुधारक, मारगदर्शक एवं महान उपदेशको मे से एक है। इन्होने जात-पात का घंघोर विरोध किया और जीवन प्रयत्न एक व्यवस्थित समाज बनाने अहम भूमिका निभाई।

गुरु रविदास जयंती 2023 – Guru Ravidas Jayanti 2023

गुरु रविदास जी ने युगों-युगों तक अपने विचार, गुण और शिक्षाओं से लाखों लोगों का मार्गदर्शन और प्रेरणा दी। एक महान मानवतावादी और समाज सुधारक के रूप में उनका विशिष्ट दृष्टिकोण था। उन्होंने उपदेश दिया कि सभी पुरुष और महिलाएं समान हैं।

संत रविदास जी का जीवन दर्शन सामाजिक समरसता और बंधुत्व के लिए आज भी उतना ही प्रासंगिक है। गुरु रविदास जी ने युगों-युगों तक अपने विचार और उपदेशों से भारतीय समाज का मार्गदर्शन किया।

Guru Ravidas Jayanti Thoughts
Guru Ravidas Jayanti Image

14वीं शताब्दी के महानतम संतों में से एक काशी, उत्तर प्रदेश में जन्मे संतों ने भक्ति का मार्ग चुना और अस्पृश्यता जैसे सामाजिक दुराग्रहों के चंगुल से मानवता की नींव के लिए कड़ा संघर्ष किया। उन्होंने समानता, न्याय और बंधुत्व के मूल्य का उपदेश देकर मानवता को जीवन का सही मार्ग दिखाया है।

संत रविदास जी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और अन्य क्षेत्रों की कई यात्राएँ की ताकि लोगों को सामाजिक कुरीतियों के बारे में जागरूक किया जा सके और उन्हें सामाजिक भाईचारे की भावना को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जा सके।

वे उस सामाजिक व्यवस्था के उपासक थे जहाँ सभी को भोजन मिलता है और कोई भूखा नहीं सोता। वो चाहते थे की इस समाज में कोई भी भूखा न सोये मगर, भूख की वजह से भारत में कई लोग अपनी जान गवा देते है उन्होंने कभी किसी काम को छोटा नहीं समझा। डॉ अंबेडकर संत गुरु रविदास जी और संत कबीर दास जी की शिक्षाओं से बहुत प्रभावित थे, जिसे उन्होंने गूढ़ता पर विशेष जोर देते हुए आगे बढ़ाया।

संत रविदास जी का जीवन परिचय

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Guru Ravidas Jayanti पर जाने महान कवि की जीवनी

संत रविदास जी का जन्म 1420 ई० मे हुआ था। परंतु यह अभी विवादित है। कुछ विद्वानो के अनुसार इनका जन्म 15वी से 16वी शताब्दी के मध्य हुआ था। संत रविदास जी का भारतीय समाज मे प्रमुख योगदान रहा। इन्होने वर्षो से चली आ रही कूप्रथा जैसे जाति और लिंग मे भेदभाव को समाज से दूर किया और व्यक्तिगत आध्यात्मिक स्वतंत्रता की खोज में एकता को बढ़ावा दिया। – चिपको आंदोलन क्या है ?

रविदास जी एक समाज सुधारक, उपदेशक, कवि और एक महान संत के रुप मे जाने जाते है। यह भारत के एक महान गुरु जिन्हे जगतगुरु की उपाधि प्राप्त है के रूप में सम्मानित, वह एक कवि, समाज सुधारक और आध्यात्मिक व्यक्ति के रुप मे जाने जाते है।

रविदास की भक्ति छंदों को गुरु ग्रंथ साहिब के नाम से जाने जाने वाले सिख धर्मग्रंथ में शामिल किया गया था। हिंदू धर्म में दादू पंथ परंपरा के पंच वाणी पाठ में रविदास की कई कविताएँ भी शामिल हैं। वह रविदासिया धार्मिक आंदोलन में एक केंद्रीय व्यक्ति भी हैं।

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गुरु रविदास जी का समाज मे प्रमुख योगदान

संत गुरु रविदान जी ने जीवन प्रयत्न भारतीय समाज को सुधारने मे अहम भूमिका निभाई। इन्होने अपना सम्पूर्ण जीवन जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए समर्पित कर दिया और ब्राह्मणवादी समाज को खुले तौर पर बहिष्कार किया।

Guru Ravidas जी के विचारो से लोग बहुत ही प्रभावित थे। क्योकी गुरु रविदास जी समाज में बदलाव लाना चाहते थे वो स्त्री और पुरुष में समानता चाहते थे और वर्षो से चली आ रही कुप्रथा जातिवाद को हटाना थे।

संत रविदास जी एक महान कवि के रुप मे भी जाने जाते है। उनके भक्ति गीतों ने भक्ति आंदोलन पर तुरंत प्रभाव डाला और सिखों के धार्मिक ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब‘ में उनके शॉर्टकट शामिल किए गए है। आप समझ सकते है। की रविदास जी के विचार कितने प्राशंगिक थे अगर आप को और भी उनके बारे में जानना चाहते है तो हमें बताए हम आप के लिये और गहराई से लेख लिख सकते है।

Guru Ravidas Jayanti पर जाने भक्ति आंदोलन के विषय मेंं

भक्ति आंदोलन का विकास तमिलनाडु में सातवीं और नौवीं शताब्दी के बीच हुआ। यह नयनार (शिव के भक्त) और अलवर (विष्णु के भक्त) की संलग्नता में परिलक्षित होता था। इन संतों ने धर्म को एक ठंडी अधिकृत पूजा के रूप में नहीं बल्कि उपासक के रूप में बढ़ावा दिया, और उपासक के बीच प्रेम पर आधारित एक प्रेमपूर्ण बंधन के रूप में देखा। जिससे भक्ति आंदोलन की सुरुवात हुई समय के साथ दक्षिण के विचार उत्तर की ओर चले गए लेकिन यह बहुत धीमी प्रक्रिया थी।

Guru Ravidas Jayanti 2023: संत रविदास जयंती पर उनके अनमोल विचार एवं जीवनी जाने

भक्ति विचारधारा के प्रसार के लिए एक अधिक प्रभावी तरीका स्थानीय आकाशगंगा का उपयोग था। भक्ति संतों ने लोक आकाशगंगा में अपने छंदों की रचना की। जिससे को समझना आसान हो गया। उन्होंने व्यापक दर्शकों के लिए उन्हें समझने योग्य बनाने के लिए संस्कृत कार्यों का अनुवाद भी किया। जैसा की हम जानते है की संस्कृत शरीफ कुछ गिने चुके लोग ही जानते थे।

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