[ ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा-कारण / उपाय, और निबंध -Global Warming Definition in hindi ]
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ तापमान के बढोत्तरी से है इसका प्रभाव हमारे वातावरण, पृथ्वी, वायुमंडल, और महासागरों का गर्म होना है, ग्लोबल वार्मिंग को कैसे रोका जाय यह विषय वैज्ञानिको के लिये सबसे बडी चुनौती है आज, शोधकर्ताओं की भारी सहमति है कि ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव मानव गतिविधियो के कारण ही उत्पन्न हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मनुष्यो के द्वारा किया गया वातावरण का विनास ही ग्लोबल वार्मिंग का कारण है।
ग्लोबल वार्मिंग (global warming)के कारण हमारे पृथ्वी का तापमान बढ रहा है और बडे बडे हिमखंड पिघल रहे है जिससे समुद्र का तापमान बढ रहा है और जल वायू भी बदल रहा है जिसके कारण भविष्य मे हमे बहुत से पसेसानियो का सामना करना पड सकता है। global warming in hindi मे आगे-
बहुत से लोग सोचते हैं कि जलवायु परिवर्तन का अर्थ मुख्य रूप से गर्म तापमान है। लेकिन तापमान वृद्धि केवल कहानी की शुरुआत है। क्योंकि पृथ्वी एक प्रणाली है, जहां सब कुछ जुड़ा हुआ है, एक क्षेत्र में परिवर्तन अन्य सभी में परिवर्तन को प्रभावित कर सकता है।
जलवायु परिवर्तन के परिणामों में अब दूसरों के अलावा, तीव्र सूखा, पानी की कमी, भीषण आग, समुद्र का बढ़ता स्तर, बाढ़, ध्रुवीय बर्फ का पिघलना, विनाशकारी तूफान और घटती जैव विविधता शामिल हैं।
इस लेख मे हम जानेगे की ग्लोबल वार्मिंग क्या है, और इसके कारण और मुख्य श्रोत क्या है,इसे कैसे रोका जा सकता है, इत्यादि का Global Warming के विषय मे गहराई से पढेंगे और चिंतन करेंगे। global warming kya hai |
ग्लोबल वार्मिंग किसे कहते है, अब आप समझ गये होंगे आगे के लेख मे हम इनके कारणो और उपाय पर चार्चा करेंगे, इसी लेख मे हम ये भी जानेगे की ग्लोबल वार्मिंग को कैसे बचाये।
ग्लोबल वर्मिंग का कारण
ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने के कारण होता है
जीवाश्म ईंधन को जलाने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है जो पृथ्वी के चारों ओर लिपट कर एक कंबल की तरह काम करता है, सूरज की गर्मी को फंसाता है और तापमान बढ़ाता है। ग्रीन हाउस गैस धरती कि सारी गर्मी धरती पे दुबारा भेज देती है जिसके कारण तापमान बढने लगता है जलवायु परिवर्तन का कारण बनने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उदाहरणों में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन शामिल हैं।
उदाहरण के लिए, ये कार चलाने के लिए गैसोलीन या किसी इमारत को गर्म करने के लिए ( करखनो से निकलने वाले गैस,) कोयले का उपयोग करने से आते हैं। भूमि और जंगलों को कटाई (साफ ) करने से कार्बन डाइऑक्साइड भी निकल सकता है। कचरे के लिए लैंडफिल मीथेन उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है। ऊर्जा, उद्योग, परिवहन, भवन, कृषि और भूमि उपयोग मुख्य उत्सर्जक हैं।
ग्रीनहाउस गैस सांद्रता 2 मिलियन वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर है और उत्सर्जन में वृद्धि जारी है। पिछले 200 सलो मे इतना कोयले क उपयोग कभी नही हुवा था नतीजा, पृथ्वी अब 1800 के दशक के अंत की तुलना में लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस गर्म है। पिछला दशक (2011-2020) रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहा।
जलवायू परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन से तात्पर्य तापमान और मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव से है। ये बदलाव प्राकृतिक हो सकते हैं, जैसे- सौर चक्र में बदलाव के माध्यम से। सौर चक्र का मतलब सुर्य के चारो तरफ चक्कर लगाते समय आने वाले मौसम मे बदलाव से है।
इसका पहला परिणाम 1800 के दशक से, मानव गतिविधियां जलवायु परिवर्तन का मुख्य चालक रही हैं, 1800 के बाद से प्रक्रितिक बदलाव ज्यादा देखने को नही मिला इसका मुख्य कराण इंसान ही रहे है तब से। जिसमे मुख्य रूप से कोयला, तेल और अन्य गैस जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने के कारण है।
जलवायु परिवर्तन का कारण बनने वाले उत्सर्जन दुनिया के हर हिस्से से आते हैं और सभी को प्रभावित करते हैं, लेकिन कुछ देश दूसरों की तुलना में बहुत अधिक उत्पादन करते हैं। 100 सबसे कम उत्सर्जक देश कुल उत्सर्जन का 3 प्रतिशत उत्पन्न करते हैं। सबसे बड़े उत्सर्जन वाले 10 देश 68 प्रतिशत योगदान करते हैं। सभी को जलवायु कार्यवाही करनी चाहिए, लेकिन समस्या पैदा करने वाले लोगों और देशों पर पहले कार्य करने की अधिक जिम्मेदारी होती है।
ग्लोबल वार्मिंग में हर वृद्धि मायने रखती है
संयुक्त राष्ट्र की 2018 की एक रिपोर्ट में, हजारों वैज्ञानिकों और सरकारी समीक्षकों ने सहमति व्यक्त की कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं करने से हमें सबसे खराब जलवायु प्रभावों से बचने और रहने योग्य जलवायु बनाए रखने में मदद मिलेगी। Golden Thoughts of life in hindi
अगर हम ऐसा करने मे सफल रहे तो हम जलवायू को नियंत्रण करने मे सफल रहेंगे उसके बावजूद भी कार्बनडाइ ऑक्साइड उत्सर्जन का वर्तमान मार्ग सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को 4.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग का निजी जीवन पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग (global warming) का प्रभाव मानव जाति, पौधों और जानवरों को कई तरह से प्रभावित करते हैं। यह प्रभाव, समुद्र के स्तर में वृद्धि, सूखे और बदलते मौसम के पैटर्न को प्रभावित करता है। यह दुनिया भर के वैज्ञानिकों द्वारा एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चिंता का विषय है
लोग विभिन्न तरीकों से जलवायु परिवर्तन का अनुभव कर रहे हैं जलवायु परिवर्तन हमारे स्वास्थ्य, भोजन उगाने की क्षमता, आवास, सुरक्षा और कार्य को प्रभावित कर सकता है। हम में से कुछ पहले से ही जलवायु प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं,
जैसे कि छोटे द्वीप राष्ट्रों और अन्य विकासशील देशों में रहने वाले लोग। और लंबे समय तक सूखा लोगों को अकाल के खतरे में डाल रहा है। भविष्य में, “जलवायु शरणार्थियों” की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग भारत भर मे ही नही किंतु पूरे विश्व को प्रभावित कर रही, इससे वो देश ज्यादा प्रभावित हो रहे जो ज्यादा उत्पादन कर रहे, पर्यावरण का ख्याल नही रख रहे, आसान भाषा मे समझे तो, सारी डेवलप देश ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है
ग्लोबल वार्मिंग के कारण भविष्य मे लोग मुख्य कारणो से प्रभावित होंगे- जैसे
1.स्वास्थ्य
जलवायु परिवर्तन मानव स्वास्थ्य को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है, जैसे- स्वास्थ्य समस्याओं की गंभीरता या आवृत्ति को बदलकर या वातावरण मे स्वास्थ्य समस्याएं या स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा करके जहां वे पहले नहीं हुई हैं।
मनुष्य ग्लोबल वार्मिंग को बढावा देकर खुद को और आने वाली पीढी को भारी मात्रा मे नुकसान पहुचा रहा है ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही दूषित वायु, दूषित पानी, खाद्य सामग्री, इत्यादि पर बुरा प्रभाव पड रहा है, जिससे लोगो के स्वास्थ्य पर खिलवाड लोग खुद कर है,
2. पानी
विश्व भर में पानी की कमी बढ़ती जा रही है जो अमीर और विशेष रूप से गरीब देशों को ज्यादा प्रभावित करती है। लगभग तीन अरब लोग पानी की कमी की स्थिति में रहते हैं,
अगर जनसंख्या ऐसी ही बढती रही तो,ऐ आकडा और भी बढ सकता है शुध्द जल न मिलने के कारण हर साल कुपोषण और पानी से संबंधित बीमारियों के कारण लाखों लोगो की मौतें होती है, अगर हम अनुमान लगाये तो जीवन व्यापन के लिये जिन वस्तुयो का उपयोग हम करते है वही जानवरो के लिये भी उपयोगी है, ऐसे मे मनुष्य के साथ-साथ जानवरो पर भी ग्लोबल वार्मिंग का बुरा प्रभाव पड रहा।
3.भोजन
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से उपज में कमी आई है जैसे- कीटों में वृद्धि भोजन की उपलब्धता से समझौता करती है। खेती करने योग्य जमीन को नुकसान पहुचाते है ग्लोबल वार्मिंग का किसानो पर प्रभाव वर्षा के पैटर्न में बदलाव का का मुख्य कारण है,
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से सही समय पर वर्षा न होना या ज्यादा वर्षा होना, या सूखा पड जाना जैसे मुख्य कारण है ज्यादातर किसानी के क्षेत्र मे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव ज्यादा वर्षा होना या सूखा का कारण है ।
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को देखते सयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र अभियान व्यक्तिगत कार्रवाई चालू किया है जहाँ जलवायु को संरक्षित करने के लिए, ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन को 2050 तक शून्य शून्य तक कम किया जाना चाहिए। सरकारों और व्यवसायों द्वारा साहसिक, तेज और व्यापक कार्रवाई करने की आवश्यकता है। लेकिन कम कार्बन वाली दुनिया में संक्रमण के लिए भी नागरिकों की भागीदारी की आवश्यकता होती है – विशेष रूप से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में।
Act Now – जलवायु परिवर्तन और स्थिरता पर व्यक्तिगत कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र का अभियान है।
लेकिन अभी तक हमारे देश मे ऐसा कोई अभियान नही बनाया गया है जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने मे भारत भी सहायक हो सके, लेकिन अगर हर कोई ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने और अपने ग्रह की देखभाल करने में मदद कर सकता है। ऐसे विकल्प चुनकर जिनका पर्यावरण पर कम हानिकारक प्रभाव पड़ता है, हम समाधान का हिस्सा बन सकते हैं और परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं।
Note- ग्लोबल वार्मिंग (global warming)हर प्रकार के जीवो को प्रभावित करती है। इसलिए, सभी को अपने व्यक्तिगत योगदान को कम करना चाहिए। रोजमर्रा मे ऐसी वस्तुये ना प्रयोग करे जो वातावरण को नुकसान पहुचाती हो। और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के बारे में लोगो को बताये और कैसे कम करे जैसे तरिको को समझाये,अपनी भूमिका निभाएं और ग्रह को बचाएं। फालो करे- Pinterest