पौराणिक मान्यताओ के अनुसार कोई भी शुभ कार्य शुरु करने से पूर्व भगवान गणेश की स्तुति (Ganesh Stuti) या पूजा सबसे पहले करना चाहिए, ऐसा करने से कार्य में कोई अड़चन या बांधा नहीं आती।
हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का अत्यंत महत्त्व है। तथा सभी पूजा पाठो मे मंत्रों का उच्चारण कर पूजा करने का विधान है, मान्यता है कि मंत्रों का जाप करने से ईश्वर जल्दी प्रसन्न होते है यही कारण है कि हिंदू धर्म मे किसी भी कार्य को पूर्ण बनाने हेतु जैसे- शादी, विवाह, कथा, घर का निर्माण, बच्चे का जन्म आदि मे मंत्रो के जाप के साथ पूजा-पाठ किया जाता है।
आज हम इस लेख में गणेश जी की स्तुति करेंगे, साथ ही भगवान गणेश के सभी मंत्रो का अर्थ भी सांझा किया गया है ताकि आप अपने जीवन के परिस्थितियों के अनुसार विशेष मंत्र का चुनाव कर सके। लेख हम सब लेख मे आगे जाने से पूर्व श्री गणेशाय नमः कर लेते है।
श्री गणेश स्तुति (Ganesh Stuti)
नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम्
समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम्
मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिपम्
नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥१॥
भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम्
बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम्
धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम्
भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥२॥
गजवदन शोभितं मोदकं सदा प्रियम्
वक्रतुण्ड धारकं कृष्णपिच्छ मोहनम्
विकटरूप धारिणं देववृन्द वन्दितम्
स्मरामि विघ्नहारकं मम बन्ध मोचकम्॥३॥
सुराणां प्रधानं मूषक वाहनम्
रिद्धि सिद्धि संयुतं भालचन्द्र शोभनम्
ज्ञानिनां वरिष्ठं इष्ट फल प्रदायकम्
सदा भावयामि त्वां सगुण रूप धारिणम् ॥४॥
सर्व विघ्न हारकं समस्त विघ्न वर्जितम्
विकट रूप शोभनं मनोज दर्प मर्दनम्
*सगुण रूप मोहनं गुणत्रय अतीतम्
नमामि ते नमामि ते मम प्रिय गणेशम्॥५॥
नोट- स्तुति करने का अर्थ प्रर्थना करने से है अत: आप किसी देवी-देवता की प्रार्थना करने के लिये शब्दों, श्लोको, मंत्रो या भजनो का उपयोग कर सकते है जैसे की भगवान गणेश की स्तुति (Ganesh Stuti) करने हेतु आप भगवान गणेश का मंत्र (श्री गणेशाय नमः) या गणेश जी आरती या गणेश जी से सम्बंधित मंत्र या स्वेच्छा से भगवान गणेश जी से की गई विनती ही स्तुति कहलाती है हमने आगे के लेख मे भगवान गणेश जी के प्रसिध्द मंत्रो का संग्रह किया है जिसकी सहायता से आप गणेश जी की स्तुति कर सकते है।
ऊँ गं गणपतये नमो नमः
ॐ गं गणपतये नमः ।
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
मंगलम भगवान् विष्णु मंगलम गरूण ध्वज
मंगलम पुणडरीकाक्ष मगलाय तनो हरी ।
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
षडाक्षर गणेश मंत्र ।
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
भगवान गणेश जी से सम्बंधित लेख
श्री गणेश की स्तुति कैसे करें – Ganesh Stuti Kaise kare
भगवान गणेश को शुभकर्ता, विघ्नहर्ता और सुखकर्ता आदि नामो से जाना जाता है. अर्थात भगवान गणेश मंगलकारी देव है. इनका शुभ दिन बुधवार व शुभ रंग लाल व हरा है तथा भगवान गणेश को मोदक(लड्डू) अधिक प्रिय है नीचे सारणी मे भगवान गणेश जी के पसंदीदा वस्तुयों को बताया गया है अत: भगवान गणेश की पूजा करने के लिये इन वस्तुयों को जरुर चढाये।
- पुष्प – लाल रंग के
- भोग- लड्डू, केला, केसर दूध
- वस्त्र – लाल व हरा
- प्रिय वस्तु- दूब, शमी पत्र, सिंदूर
- अधिपति- जल तत्व
- प्रिय फल – केला
- आरती – जय गणेश, जय गणेश जय गणेश देवा (आरती)
भगवान गणेश की प्रतिमा कैसी हो?
भगवान गणेश की प्रतिमा लेने से पूर्व कुछ बिंदुयो का ध्यान रखे, जैसे गणेश जी के वस्त्र लाल या हरा या दोनो हो, वाहन मूसक को, हाथ मे तलवार, अकुंश, त्रिशुल, या परशु हो, तथा पत्नि रिध्दी-सिध्दी साथ मे हो।
भगवान गणेश की प्रतिमा लेने व पूजा करने से पूर्व गणेश जी की पसंदीदा वस्तुयों का संग्रह कर ले, ताकि पूजा पूरे विधि-विधान से की जा सके। चित्र पर क्लिक कर, गणेश जी की प्रतिमा खरीदें
भगवान गणेश स्तुति व अर्थ – Ganesh Stuti with meaning Hindi
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥
भावार्थ- हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं । बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है ।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
भावार्थ- विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओं से परिपूर्ण, जगत का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वती पुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है।
गणेश स्तुति के लाभ – Ganesh Stuti ke Labh
- भगवान गणेश की स्तुति करने से कार्य मे आने वाली बाधाओ से मुक्ति मिलती है।
- भगवान गणेश की स्तुति करने से मनोकामनाए पूर्ण होती है
- श्री गणेश जी स्तुति करने से घर मे शांति होती है।
- भगवान गणेश जी और माता लक्ष्मी की पूजा करने सुख-समृध्दि मे विकास होता है।
- भगवान गणेश जी की स्तुति मंत्र, श्लोक, भजन व आरती द्वारा की जाती है।
- प्रतिदिन गणेश जी की स्तुति करने से सकारात्मक उर्जा मे विकास होता है।
- गणेश जी की स्तुति करने से बुद्धि का विकास होता है।
- श्री गणेश की प्रतिदिन स्तुति करने से मानसिक शांति और आनंद मिलता है।
श्री गणेश की स्तुति करने से पूर्व जाने मुख्य बातें – Ganesh Stuti ki Mukhy bate
निम्नलिखित दिये गये भगवान गणेश जी से सम्बंधित जानकारी की सहायता से आप अपने उपासना को और अधिक बेहतर बना सकते है जैसे कि भगवान गणेश जी के सभी नामो का प्रयोग कर उनकी स्तुति (Ganesh Stuti) कर सकते है, प्रतिक चिन्हो मे स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग करे, तथा पुष्प मे लाल रंग व वस्त्र लाल व हरा का प्रयोग करे आदि।
गणेश जी के अन्य नाम | श्री गणेश, विनायक, गजानन, गौरीपुत्र, शुभकर्ता, विघ्नहर्ता सुखकर्ता, गौरीनंदन, सिद्धिविनायक, अष्टविनायक, बुद्धिपति |
प्रतीक | स्वास्तिक और मोदक |
अस्त्र | तलवार, अंकुश, परशु, त्रिशूल, पाश |
मंत्र | वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वे कार्येषुसर्वदा: |
शुभ दिन | बुधवार |
संतान | शुभ, लाभ और मां संतोषी |
जीवन संगिनी | माता रिद्धि और सिद्धि |
सवारी | मूसक (चुहा) |
शास्त्र | गणेश पुराण, शिव महापुराण और मुदगल पुराण |
प्रिय पुष्प | लाल रंग |
निष्कर्ष– इस लेख मे हमने भगवान गणेश जिन्हे सभी देवो मे सर्वप्रथम पूजने का विधान है को जाना है यहा हमने गणेश जी की स्तुति (Ganesh Stuti) के लिये प्रयोग होने वाले श्लोक व मंत्र देंखे, जिनकी सहायता से आप भगवान गणेश जी की उपासना कर सकते है।