अध्यापक या शिक्षक पर निबंध – Essay on Teacher in Hindi
शिक्षा लेना जीवन का पहला कर्तव्य होता है। हमारे भारत जैसे महान देश में शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, और शिक्षा देने वाले गुरु को ईश्वर का दर्जा दिया जाता है, इस लेख में हम शिक्षा देने वाले गुरु पर निबंध पढेंगे।
गुरु का पर्यायवाची = शिक्षक, अध्यापक, गुरु, आचार्य
गुरु का संधि-विच्छेद = गु+रु
शिक्षक पर निबंध – Essay on Teacher in Hindi
शिक्षा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, शिक्षा के माध्यम से ही मानव जीवन का विकाश हो सकता है, हमारे भारत में शिक्षा को बहुत महत्व दिया जाता है और शिक्षा देने वाले को ईश्वर का रुप माना है, शिक्षा देने वाले को शिक्षक, अध्यापक, गुरु, आचार्य, मास्टर इत्यादि नामों से जानते है , किसी बच्चे का पहला शिक्षक उनके माता पिता होते है,
गुरु का अर्थ होता है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना, एक गुरु का जीवन में बहुत उपयोगिता है, वह एक गुरु ही होता है जो माता-पिता के बाद बच्चों को शिक्षा देता है, ज्ञान देता है, उनको खुद के पैरो पर खड़ा होना सिखाता है, वो गुरु ही होता है, जो बच्चों को जीवन जीने की कला सिखाता है।
शिक्षा के बीना जीवन का कोई मूल नहीं,देश को आगे ले जाने में शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान होता है, क्योंकि समाज व देश को आगे ले जाने के लिये शिक्षा का होना अनिवार्य है और शिक्षा शिक्षक के माध्यम से ही मिलती है।
गुरु शब्द सुनते ही कल्पना में गुरु का रुप आ जाता है, गुरु के बिना जीवन का कोई मूल नही, इस देश और राष्ट्र में जितने भी महान लोग है, सब गुरु की देन है जैसे- स्वामी विवेका नंद , दुर्योधन, चाणक्य, कौटिल्य, या प्रभु श्री राम इत्यादि ।
इस पृथ्वी लोक मे जीवन का महत्व समझने के लिये गुरु का होना अति आवश्यक है, जब प्रभु श्री राम को धनुष विध्या सिखने के लिये गुरु की आवश्यकता पडी तो, हम तो एक सामान्य मनुष्य है,
स्वामी विवेकानन्द के गुरु का नाम रामा नंद था, जिनके वजह से स्वामी विवेकानन्द आज पूरे देश के महान लोगों में से एक है, वो एक गुरु ही है जो किसी भी व्यक्ति को महान बना सकता है,
वो गुरु ही है जो विद्यार्थी को जीवन की कला, संस्कार, व्यवहार, समाज में रहने की कला, जीवन में दुख-सुख सहने की कला, सीखता है।