भारत की खोज | Discovery of India in Hindi

भारत की खोज की सम्पूर्ण जानकारी-Discovery of India in Hindi

Discovery of India in Hindi
Discovery of India in Hindi

भारत की खोज – Bharat ki khoj

वास्को डी गामा यही वह नाम है जिसने भारत तक पहुँचने का समुद्री रास्ता खोज निकाला था जब भी हम यह देखते है की भारत कि खोज किसने किया था तो हमारे मन में यह ख्याल आता है की क्या इसके पहले भारत था ही नहीं या भारत को कोई जानता ही नहीं था  मगर ऐसा नहीं था सब भारत के बारे में जानते थे और भारत से व्यापार भी करते थे मगर समुद्र के रास्ते नहीं जमीन के रास्ते सब भारत को जानते और व्यापार करते थे।

भारत का खोज किसने किया?

वास्को डी  गामा जुलाई 1497 में पुर्तगाल के लिस्बन से रवाना हुए, उन्होंने केप ऑफ गुड होप का चक्कर लगाया, और अफ्रीका के पूर्वी तट मलिंदि मे रुके थे । केप ऑफ़ गूड होप  अफ्रिका  में दूर  दक्षिणी कोने पर एक स्थान है। यह क्षेत्र इसलिए जाना जाता है क्योंकि यहाँ से बहुत से जहाज़ पूर्व की ओर अटलांटीक महासागर और हिंद महासागर  में जाते हैं। यह स्थान साउथ अफ्रिका में है। यह पहले का एक जाना मान बंदर गाह था। Discovery of India in Hindi

वास्को डी गामा  एक भारतीय व्यापारी से मिले और वह उनकी सहायता से हिंद महासगर के पार चले गये वह उनके सथ हिंद महासागर मे एअक नये देश कि तलाश मे नीकल गये । विद्वानों की राय से ऐसा लगता है कि  जिस व्यक्ति ने वास्तव में वास्को डी गामा को समुद्र के रास्ते भारत का रास्ता दिखाया, वह कांजी मालम था, काजी मालम ही पहले भारतीय थे जिन्होने वास्को डी गामा को भारत का समुद्र का रास्ता दिखाया था। देखा जाये तो भारत जाने का रास्ता कंजी मालम को पहले से पता था मगर युरोपियन को यह रस्ता नही पाता नही था पढे- चिपको आंदोलन क्या है

वास्को डी गामा कौन थे ?

वास्को डी गामा का नाम सभी इतिहास की किताबों में शामिल है, क्योकि उन्होने ने अपने जीवन काल मे बहुत ऐतिहासिक कार्य किये है जैस की युरोपियन को समुद्र के रास्ते भारत तक पहुचाना,  उनका नाम युरोप समेत पुरी दुनिया में है उन्हे पुरी दुनिय में एक महान खोज कर्ता के नाम से जाना जाता है उन्हे  एशियाई या भारतीय इतिहास से संबंधित एक  महान नाविक के रूप में जाना जाता है  और उनको एक सहसी नाविक भी माना जात है  उनके साहस को देख के काफी लोग प्रेरित हुये थे उन्हें केप ऑफ गुड होप के माध्यम से यूरोप से भारत तक के समुद्री मार्ग की खोज करने का श्रेय दिया जाता है। और उन्हे इसका सम्मान भी दिया गाया है पढे- नारी सशक्तिकरण पर निबंध

केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope)

वस्को डी गामा ने केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) (1497-1499) के रास्ते भारतीय महासागरों को जोड़ने वाले एक समुद्री मार्ग से यूरोप और एशिया को जोड़ने वाली समुद्रि  रास्ते की खोज की  यह खोज उनकि प्रारम्भिक खोजो में से एक थी और इसलिए, पश्चिम और ओरिएंट। इसे व्यापक रूप से विश्व इतिहास में उन्हे एक महत्व पुर्ण इंसान माना जाता है, क्योंकि इसने वैश्विक बहुसंस्कृतिवाद के समुद्र-आधारित चरण की शुरुआत को चिह्नित किया।  इन्होने अलग अलग लोगो को व्यापार के मध्यम से करने कि शुरवात की।

भारत के लिए समुद्री मार्ग  वास्को डी गामा की खोज ने वैश्विक साम्राज्यवाद के युग का रास्ता खोल दिया था दुनिया के लिये भारत तक का समुद्री मार्ग बहुत ही फायदे मंद सबिता हुवा और पुर्तगालियों को अफ्रीका से एशिया तक एक लंबे समय तक चलने वाले व्यापार साम्राज्य की स्थापना करने में सक्षम बनाया। Discovery of India in Hindi

वास्को डी गामा का इतिहास

वास्को डी गामा का नाम सभी इतिहास की किताबों में शामिल है, क्यु कि उन्होने अपने जीवन काल मे बहुत से महान किये थे चाहे वे विश्व का हो या वो  यूरोप का हो,उन्हे  एशियाई या भारतीय इतिहास से संबंधित एक  महान नाविक और साहसी के रूप में जाना जाता है। उन्हें केप ऑफ गुड होप के माध्यम से यूरोप से भारत तक के समुद्री मार्ग की खोज करने के सम्मान का श्रेय दिया जाता है। दहेज प्रथा पर निबंध

केप ऑफ गुड होप (1497-1499) के रास्ते भारत के लिए उनकी प्रारंभिक यात्रा अटलांटिक और भारतीय महासागरों को जोड़ने वाले एक समुद्री मार्ग से यूरोप और एशिया को जोड़ने वाली समुद्रि  रास्ते की खोज की और इसलिए, पश्चिम और ओरिएंट। इसे व्यापक रूप से विश्व इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है, क्योंकि इसने वैश्विक बहुसंस्कृतिवाद के समुद्र-आधारित चरण की शुरुआत को चिह्नित किया।  इन्होने अलग अलग लोगो को व्यापार के मध्यम से एक करने कि सुरवात की।
भारत के लिए समुद्री मार्ग  वास्को डी गामा की खोज ने वैश्विक साम्राज्यवाद के युग का रास्ता खोल दिया था और पुर्तगालियों को अफ्रीका से एशिया तक एक लंबे समय तक चलने वाले औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना करने में सक्षम बनाया।

वास्को डी गामा भारत तक कैसे पहुंचे


वास्को डी गामा भारत तक कैसे पहुंचे

  वास्को डी गामा का बेडा 20 मई 1498 को मालाबार तट  जो की वर्तमान में भारत के केरल राज्य में है कोझीकोड (कालीकट) के पास कप्पडु  में पहुंचा। कालीकट के राजा, समुदिरी (ज़मोरिन), जो उस समय अपनी दूसरी राजधानी में रह रहे थे। पोन्नानी, विदेशी बेड़े के आने की खबर सुनकर कालीकट लौट आए। क्यु कि पहले कोइ भि यात्री समुद्र के रास्ते भारत नहीं पहचा था नाविक को पारंपरिक आतिथ्य के साथ प्राप्त किया गया था

(भारत का आज भी यह परम्परा है कि वह अपने किसी भी अतिथि क स्वागत बडे हि अच्छे से करते है) जिसमें कम से कम 3,000 सशस्त्र नायरों का एक भव्य जुलूस भी शामिल था,  ।उन्होने काफी धूम धाम से उनका स्वागत किया था जैसे कि कोइ राज किसि दुसरे राजा का स्वागत करता है उन्हे लग थ कि यह कोइ राजा है जो कि हमसे अच्छे  सम्बन्ध बानाने आये है इसिलिए वो अपनि दुसरि राज धानी छोड कर उंसे मिलने आये थे मगर उन्हे वस्को डी गामा का आने का कारण जानने में विफल रहे थे   Discovery of India in Hindi

जब स्थानीय अधिकारियों ने डी गामा के बेड़े से पूछा, “तुम यहाँ क्या लाए?”, उन्होंने जवाब दिया कि वे मासलो की तलश में आये है और वो अपने साथ कुछ किमती उपहार भी लाये थी जो कि राजा को वो किमती नहीं लगे
 डी गामा ने डोम मैनुअल से उपहार के रूप में ज़मोरिन को चार लाल रंग के कपड़े के लबादे, छह टोपी, मूंगों की चार शाखाएं, बारह अलमासरे, सात पीतल के बर्तनों वाला एक बॉक्स, चीनी का एक संदूक, दो बैरल तेल और शहद का एक पीपा – तुच्छ थे, और प्रभावित करने में विफल रहे। राजा को सोने की आस थी मगर गामा के पास सोने चाँदी के कोइ भी किमती उपहार नहि थे।

डि गामा राजा को प्रभावित करने में विफल रहे क्युकी भारत उस वक़्त सोने की चिडीया हुवा करती थी  ज़मोरिन के अधिकारियों ने सोचा कि सोना या चांदी नहीं था, इसलिये वह एक साहि राज दूत नहीं है मुस्लिम व्यापारियों ने जो डी गामा को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते थे, उन्होंने सुझाव दिया कि डी  गामा केवल एक साधारण समुद्री डाकू था और शाही राजदूत नहीं था।

वस्को डी गामा के पास कोइ भी रास्ता नहि बचा था कि वो अपनि बात को सबित कर सके कि वो साही राजदूत है तो डी गामा ने कुछ अपने सथियो को सुल्क के ररोप में छोड के गये थे राजा ने  जोर देकर कहा था कि डी गामा किसी भी अन्य व्यापारी की तरह सीमा शुल्क का भुगतान करे और उन्हे ऐसा करना भी पडता भी था
 अधिमानतः सोने में, जिसने संबंध को तनावपूर्ण बना दिया। डी गामा के पास सोने नहीं थे और सिमा शुल्क सिर्फ सोने में हि दिया जा सकता था । इससे नाराज डी गामा ने कुछ नायरों और सोलह मछुआरों (मुक्कुवा) को बलपूर्वक अपने साथ ले लिया। उन्होने अपनी जान और नाव को बचाने के लिये कुछ बेकसूर लोगो कि जिन्दगी ले लिया था

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