Ayurveda : आयुर्वेद के जनक कौन है? जाने क्या है आयुर्वेद का इतिहास

आयुर्वेद (Ayurveda) चिकित्सा का एक प्रकार है जिसकी शुरुआत 5000 लाख वर्ष पूर्व भारत मे हुआ था। यह चिकित्सा विश्व का सबसे प्रथम चिकित्सा विज्ञान है। जिसके प्रणेता धंवंतरी देवता है, जो की भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है।

आपको बता दू भारत मे प्राचीन काल से ही आयुर्वेद का ही उपयोग किया जा रहा है। पहले के लोग जब बीमार होते थे तो आयुर्वेद (पेड-पौधो, जड) का ही उपयोग करते थे। लेकिन अब भी आधुनिकता ने इसके प्रभाव को छीना नही है। अब भी आयुर्वेद, अन्य चिकित्सा से अधिक कारगर है।

Ayurveda
Ayurveda आयुर्वेद – फोटो का श्रेय – Pixabay

आयुर्वेद (Ayurveda) सबसे कारगर चिकित्सा प्रणालीयों मे से एक है। इसके चमत्कार अब भी देखा जा सकता है। आज इस लेख मे हम आयुर्वेद आयुर्वेद के जनक कौन है? तथा आयुर्वेद का इतिहास एवं आयुर्वेद के कुछ घरेलू उपायों को जानेंगे।

आयुर्वेद के जनक ऋषि – Father of Ayurveda

आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरी जी को माना जाता है। जो की भगवान विष्णु के अवतार थे। भारत, नेपाल, श्रीलंका जैसे देशों मे आयुर्वेद का उपयोग प्राचीनकाल से ही चली आ रही है।

Definition of Ayurveda/आयुर्वेद की परिभाषा – जो शास्त्र प्राकृतिक वस्तुयों के उपयोग से शरीर को निरोगी रखता है। शरीर को स्वस्थथव तंदरुस्त रखने मे मदद करता है, उसे आयुर्वेद कहते हैं। आयुर्वेद चिकित्सा की सबसे प्राचीनतम प्राणाली है।

आयुर्वेद की व्याख्या – आयुर्वेद शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है। आयु: + वेद, आयु का शाब्दिक अर्थ जीवन तथा वेद का शाब्दिक अर्थ विज्ञान से है। अर्थात आयुर्वेद को जीवन का वेद या विज्ञान, शरीर का विज्ञान, मन का विज्ञान, आदि भी कहाँ जा सकता है।

आयुर्वेद का इतिहास – History of Ayurveda

भारत की सबसे प्राचीन पुस्तक व हिंदू धर्म ग्रंथों मे से एक ऋग्वेद व अथर्ववेद मे आयुर्वेद का उल्लेख किया गया है। आयुर्वेद ग्रंथो के अनुसार आवुर्वेद देवताओ की चिकित्सा प्रणाली है। जो पृथ्वी पर जीवो के कल्याण के लिये आचार्यों व ऋषिमुनियो को दिया गया। सर्वप्रथम इस पध्दति से आचार्य अश्वनी कुमार ने दक्ष प्रजापति के सिर मे बकरे का सिर जोडना, जैसी कई आयुर्वेदिक चिकित्सा किये थे।

  • आयुर्वेदिक चिकित्सा के महान आचार्य व ऋषिमुन- अश्वनिकुमार, भारतद्वाज, इंद्रदेव, अग्निवेश, आत्रेय, चरक आदि
  • आयुर्वेद के प्रणेता धन्वन्तरी जी है, जिन्हे भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

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आयुर्वेद मे पंचकर्म क्या है?

आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली मे शरीर को स्वस्थ रखने व इलाज करने के लिये विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओ का उपयोग किया जाता है। लेकिन इनमे से 5 प्रक्रिया मुख्य है जिन्हे आयुर्वेद मे पंचकर्म कहाँ गया है। और पंचकर्म प्रधान(विशेष) भी है। इन पंचकर्मों का नाम निम्नलिखित है।

पंचकर्म का नाम

  1. वमन
  2. विरेचन
  3. नस्‍य
  4. बस्ति – अनुवासन
  5. बस्ति – आस्‍थापन

आयुर्वेद के जनक: धन्वन्तरी देव कौन है?

धन्वन्तरि देव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओ मे से एक है इनका जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। भगवान धंवंतरी जी को विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है। मान्यता है की भगवान धन्वन्तरी जी अमृत के भी देवता है, इन्हे आयुर्वेदिक विज्ञान (Ayurveda Science) मे आरोग्य के देवता भी कहाँ जाता है। भगवान धंवंतरी जी का मुख्य मंत्र ॐ धन्वंतरये नमः है।

आयुर्वेद के फायदे – Benefits of Ayurveda

  • आयुर्वेद चिकित्सा मे जडी-बूटियों का अधिक उपयोग किया जाता है। इसलिये यह सस्ता व किफायती होता है।
  • आयुर्वेद चिकित्सा मे साइट-इफेक्ट की सम्भावना ना के बराबर होती है।
  • आयुर्वेद बीमारी के इलाज के साथ साथ उसे रोकता भी है, तथा उसे जड से खत्म करने की क्षमता भी रखता है।
  • आयुर्वेद का उपयोग स्वस्थ लोग भी कर सकते है।
  • आयुर्वेद चिकित्सा मे प्रकृत द्वारा प्राप्त वस्तुयो से इलाज किया जाता है, इसलिये इसका कोई साइड इफेक्ट नही होता।

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