यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है।
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती, तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती
ज़िंदगी ने कुछ तो दिया होगा, जीत ना सही तज़ुर्बा तो दिया होगा
ऐसी कोई मंजिल नहीं जहां तक पहुचने का कोई रास्ता ना हो।
बोल कर नहीं कर के दिखाओ क्योकि लोग सुनना नहीं देखना पसन्द करतें है।