चिपको आंदोलन क्या है, और इसका इतिहास क्या है–चिपको आंदोलन इन हिंदी
आंदोलन का अर्थ है एक से अधिक लोगों के समुदायों द्वारा किसी अपराध, अन्याय, शोषण और अमानवीय गतिविधियों के खिलाफ संगठन बनाना और उसका विरोध करना है।
आंदोलन एक ऐसी प्रक्रिया जिसके माध्यम से लोग अपनी बात को समाज, सरकार के समक्ष रखते है, ये प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब किसी विशेष क्षेत्र में अन्याय, शोषण, अपराध अधिक बढ जाता है। इस लेख में हम “चिपको आंदोलन””(chipko andolan) के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे।-
चिपको आंदोलन क्या है
What Chipko Movement in Hindi
चिपको आंदोलन: चिपको शब्द का अर्थ है किसी वस्तु से चिपकना, इस आंदोलन में लोग पेडो को कटने से बचाने के लिये, उनसे चिपक जाते थे जिसके कारण पेड़ काटने वाले लोग, पेड़ न काट सके, और पर्यावरण सुरक्षित रख सके। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिये भारी संख्या में लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया, और सभी ने पेडो से चिपक कर पेड़-पौधों को कटने से बचाया, इसी कारण इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन पडा।
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चिपको आंदोलन का इतिहास
चिपको आंदोलन 1970 ई० में उत्तराखंड के किसानों द्वारा पर्यावरण सुरक्षा (वृक्षों की कटाई) को रोकने के विरोध में किया गया था। इस आंदोलन में वृक्षों को कटने से रोकने के लिये, किसान वृक्षों से चिपक जाते थे। जिसके परिणाम स्वरूप पेड़-पौधे काटने वाले लोग वृक्षों की कटाई नहीं कर पाते थे।
चिपको आंदोलन में स्त्रियों ने भारी संख्या में भाग लिया। इस आंदोलन की शुरुआत सुंदर लाल बहुगुणा (sunderlal bahuguna), चंडी प्रसाद भट्ट, गोविंद सिंह रावत, तथा गौरा देवी ने किया था। धीरे-धीरे ये आंदोलन इतना प्रसिध्द हो गया की उत्तराखंड से जुडे राज्य भी पर्यावरण सुरक्षा हेतु चिपको आंदोलन शुरु कर दिया है,Read- प्रकृति पर निबंध
चिपको आंदोलन अन्य राज्यो में- उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, बिहार, कर्नाटक, इत्यादि
चिपको आंदोलन के महत्व
पर्यावरण संरक्षण के लिये चिपको आंदोलन किया गया था, इस आधुनिक दुनिया को पेड़-पौधों को काटने से रोकने के लिये और पर्यावरण के सुरक्षा के लिये, चिपको आंदोलन बहुत जरूरी है। पर्यावरण की सुरक्षा ही मानव सुरक्षा है,
चिपको आंदोलन पर निबंध chipko andolan- चिपको आंदोलन पर लेख- chipko andolan par nibandh
चिपको आंदोलन की शुरुआत
चिपको आंदोलन की शुरुआत खेजडली, जोधपुर, राजस्थान से हुआ था। सन 1931 ई में जोधपुर के महाराजा अभय सिंह ने एक नये महल के निर्माण हेतु पेडो की कटाई करके, लकडी उपलब्ध कराने के लिये सैनिकों को भेजा। वृक्षो को काटने से रोकने से लिये 363 लोगों ने अपनी जान गवा दी। जब ये बाद महाराजा को पता चली तो उन्होंने पर्यावरण के सुरक्षा और प्रदर्शनकारियों के बलिदान के कारण पेड़ काटने के फैसले को वापस लिया, जिसे बाद में चिपको आंदोलन के नाम से जाना गया।
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चिपको आंदोलन के फायदे
चिपको आंदोलन करने से लोगो ने पेड-पौधो को काटना कम कर दिया, और पर्यावरण की सुरक्षा को समझा, चिपको आंन्दोलन करने से निम्न परिणाम सामने आये है।
- लोगो ने पेड- पौधो को काटना कम कर दिया, जिससे पर्यावरण व्यवस्था सुरक्षिति हो सकी।
- राजस्थान व उत्तराखंड के लोगो के अलावा अन्य राज्यो मे चिपको आंदोलन का प्रभाव पडा, जिसके परिणाम स्वरुप अन्य राज्यो मे भी लोगो ने चिपको आंदोलन किया और वृक्षो को कटने से बचाया- जैसे- बिहार, हिमाचल, कर्नाटक, इत्यादि
- इस आंदोलन कि वजह से उस समय के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 15 वर्षो तक हिमालय से वृक्ष काटने पर रोक लगा दिया, जिसके परिणाम स्वरुपो, पर्यावरण व्यवस्थिति हो सका।
People Also Ask- लोगो ने पूछा
प्रश्न- चिपको आंदोलन क्या था?
चिपको आंदोलन मे किसानो ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिये पेडो को काटने से बचाने के लिये पेडो से चिपक जाते थे, जिसके फलस्वरुप लोग पेड नही काट पाते थे।
प्रश्न- चिपको आंदोलन क्यों हुआ था?
चिपको आंदोलन होने का मुख्य कारण भारी मात्रा मे वृक्षो की कटौती थी, जिसके कारण पर्यावरण असुरक्षिति हो गया, इसी कारण किसानो ने पेडो से चिपक कर उनको काटने से रोका, जिसके कारण इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन पड गया।
प्रश्न- चिपको आंदोलन किससे संबंधित है।
चिपको आंदोलन पर्यावरण सुरक्षा से सम्बंधित है। इस आंदोलन मे लोग पेडो से लिपट कर उन्हे काटने से रोकते है।
प्रश्न- चिपको आंदोलन किसने चलाया था?
चिपको आंदोलन की शुरुआत सुंदर लाल बहुगुणा , चंडी प्रसाद भट्ट, गौरा देवी, गोविंद सिंह रावत, ने किया था।
प्रश्न- चिपको आंदोलन का उद्देश्य बताइए ?
चिपको आंदोलन का उद्देश्य मात्र पर्यावरण सुरक्षा था। जिसके अंतरगर्त लोगो को पेड पौधो काटने से रोकना था
प्रश्न- चिपको आंदोलन से क्या आशय है?
चिपको आंदोलन का आशय सिर्फ पर्यावरण सुरक्षा से है।
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