आप सभी ने जीवन मे हनुमान चालीसा का पाठ तो जरुर किया होंगा। हनुमान चालीसा का पाठ करते वक्त “अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस वर दीन्हा जानकी माता” चौपाई तो जरुर सुना होगा, लेकिन आपको इसका अर्थ बता है।
राम भक्त हनुमान को आठों सिद्धियों और नौ निधियों का ज्ञानी माना जाता हैं। वेद शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि यह ज्ञान रूपी सिद्धिया माता सीता के द्वारा हनुमान जी को मिली थी आज के इस लेख में हम हनुमान चालीसा में दी गई इसी चौपाई के विषय मे जानेंगे। जो चौपाई कुछ इस प्रकार है। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस वर दीन्हा जानकी माता।
यहां नौ निधियों के बारे में बताया गया है और कहा गया है कि राम भक्त हनुमान जी के पास अष्टसिद्धियां और नौ निधियां हैं जो राम भक्त हनुमान प्रसन्न होने पर अपने भक्तों को देते हैं इस लेख में हम आपको इस चौपाई की व्याख्या को आप तक साझा कर रहे हैं।
क्या है सिद्धियों और निधियों का महत्व
जैसा कि आप सभी जानते होंगे श्रीराम भक्त हनुमान को आठों सिद्धियों और नौ निधियों का वरदान मां जानकी ने दिया था और कहते हैं कि इन्हें संभालने की शक्ति भी केवल राम भक्त हनुमान जी में ही थी।
ऐसा माना जाता है कि दुनिया की सबसे कीमती वस्तु है नौ निधियां। जिन्हें पाने के बाद किसी भी वस्तु या धन संपत्ति की आवश्यकता नहीं रहती है। इसी प्रकार अष्ट सिद्धियां भी है। अष्टसिद्धियां दुनिया की सबसे बड़ी ताक़त हैं, जिसे पाने के बाद व्यक्ति सर्व-शक्तिमान हो जाता है। आइए जानते हैं आठों सिद्धियों और नौ निधियों के नाम
आठों सिद्धियों के नाम
- अणिमा
- महिमा
- गरिमा
- लघिमा
- प्राप्ति
- प्राकाम्य
- ईशित्व
- वशित्व
इन सभी आठ प्रकार की सिद्धियों के स्वामी राम भक्त हनुमान जी है।
नौ निधियों के नाम
- पद्य निधि
- महापद्म निधि
- शंख निधि
- मकर निधि
- कच्छप निधि
- नील निधि
- मुकुन्दं निध
- कुन्द निधि
- खर्व निधि या मिश्र निधि।
इन्हीं नव रत्नों को ही नौ निधियां कहा जाता है। माना जाता है कि नव निधियों में केवल खर्व निधि को छोड़कर शेष 8 निधियां पद्मिनी नामक विद्या के सिद्ध होने पर प्राप्त हो जाती हैं, लेकिन इन्हें प्राप्त करना इतना सरल नहीं है।