Shani Stuti: सप्ताह के सात दिनों में से शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है, कहते हैं इस दिन कोई अच्छा काम करने से लोग डरते हैं, क्योंकि शनिदेव को कर्मफल का देवता माना जाता है। और यह भी माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शनिदोष ढैया या साढ़े साती रहता है उसे दुःख ही मिलता रहता है इसलिए शनिवार के दिन कोई भी शुभ कार्य करने से लोग डरते हैं।
लेकिन इस दिन शनिदेव की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। यदि आप भी शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो शनिवार के दिन हनुमान चालीसा, शिव चालीसा व शनि स्तुति मंत्र का जप करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है। आज के इस नये लेख में हम शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए स्तुति मंत्र (Shani Stuti Mantra) को जानेंगे।
शनि देव स्तुति मंत्र – Shani Stuti Mantra Hindi
ॐ शं शनिश्चराय नम:
Shani Stuti 1
ऊं प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
Shani Stuti 2
ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
Shani Stuti 3
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
काकध्वजाय विद्महे,खड्गहस्ताय धीमहि, तन्नो मन्दः प्रचोदयात्॥
Shani Stuti 4
वैदूर्य कांति रमल:, प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत:।
Shani Stuti 5
अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:।।
शनि देव के हर एक मंत्र की महिमा है इसलिए इन मंत्रों के जाप के लिए बहुत सावधानी बरतनी होती है इन मंत्रों को सही विधि के अनुसार ही करना उचित माना गया है ऐसा करने से आपको मंत्र जाप का फल अवश्य प्राप्त होगा, शनिवार के दिन नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ आसन बिछा कर, पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाएं ,अब रुद्राक्ष या लाल चंदन के मोतियों की माला से जाप करें। ध्यान रहे मंत्र जाप के समय शनि देव का चित्र ना रखें मन ही मन उनका ध्यान करें।
शनि देव के मित्र व शत्रु राशिया
मान्यताओ के अनुसार शनि देव न्याय के देवता है अर्थात लोगो के द्वारा किये गये अच्छे व बुरे कर्म का फल शनि देव (शनि महराज) ही देते है. शनि देव 12 राशियों मे से 2 राशियों (कुम्भ व मकर) के स्वामी है अर्थात इन राशियों के जातको पर शनि देव की विशेष कृपा रहती है। शनि देव की प्रिय राशियों मे कुम्भ, मकर व तुला की गणना की जाती है।
शनि देव के मित्र व शत्रु राशियों की बात करे तो, शनि देव के मित्र राशियो मे कुम्भ, मकर व तुला की गणना की जाती है वही शत्रु राशियों मे कर्क, सिंह, मेष और वृश्चिक राशियों की गणना होती है।1
शनि की साढ़े साती
साढ़े साती व ढैया क्या है? साढ़े साती का मतलब साढ़े सात साल और ढैया, ढाई साल का होता है, कहते हैं जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि देव साढ़े सात साल या ढाई साल रहते हैं उसे काफी तकलीफ आफ़त और मुसीबत झेलनी पड़ती है। इसलिए शनिदेव की पूजा स्तुति मंत्र विधि विधान से करना चाहिए|
शनि देव को मनाने के तरीके
शनि देव अन्य राशि के गुरुओ की तुलना मे थोडे अधिक कठोर है. यही कारण है कि लोग साढ़े साती या शनिवार के दिन कोई गलत कार्य करने से बचते है. अगर आपके कुंडली मे शनि देव है तो नीचे सारणी मे दिये गये उपायो की सहायता से आप शनि देव की उपासन कर उन्हे खुश कर सकते है। आपको बता दू शनि देव जितने जल्दी क्रोधित होते है उतने ही जल्दी से प्रशन्न हो जाते है, अत: शनि देव की पूज मे विशेष सावधानियां बरते और पूरे विधि-विधान से ही शनि देव की पूजा करें।
- शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें
- चीटियों को आटा खिलाएं
- काले घोड़े की नाल की अंगूठी पहने
- प्रतिदिन शनि मंत्र का जाप करें
- काली वस्तुओं (वस्त्र, आदि) का दान करें
- बंदरों को गुण और चना खिलाएं
विस्तार से जानें – शनि देव को मनाने के 5 उपाय