18 पुराण के नाम एवं श्लोको की संख्या जानें, सबसे प्राचीनतम हिंदू धर्म ग्रंथों मे है इनकी गणना

हिन्दू धर्म या सनातन धर्म सबसे प्राचीनतम धर्मों मे से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म 90 हजार वर्ष पुराना है। अत: इस धर्म की धार्मिक ग्रंथें भी सबसे प्राचीनतम है।

आज हम इस लेख मे हिंदू धार्मिक ग्रंथों मे से एक जिसे पुराण कहा जाता है को जानेंगे, जिनकी गणना हिंदू धर्म के महान ग्रन्थों में की जाती है। इन शास्त्रों की रचना ऋषियों और मुनियों के द्वारा की गई है।

पुराण

धार्मिक ग्रंथ पुराण क्या है?

पुराण’ का शाब्दिक अर्थ है, ‘प्राचीन’ या ‘पुरानी ग्रन्थ। पुराणों की रचना मुख्यतः संस्कृत भाषा में हुई है, किन्तु कुछ पुराण क्षेत्रीय भाषाओं में भी रचे गए हैं। इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक कहानियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इनकी भाषा सरल और कथा कहानी की तरह है। पुराणों की कुल संख्या अठारह है।

महृर्षि वेदव्यास ने 18 पुराणों का संस्कृत भाषा में संकलन किया है। जिसमे भगवान ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश पुराणों के मुख्य देव हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सनातन धर्म में 4 वेद, 6 शास्त्र और 18 पुराणों के बारे में बताया गया है। वेद और शास्त्रों के बारे में लभगभ सभी जानते हैं।। लेकिन पुराणॉ के बारे में कम ही लोग जानते हैं।

आज हम इस लेख के माध्यम से आपको पुराण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। हिंदू सनातन धर्म मे कूल 18 पुराणो का उल्लेख मिलता है. जिनका नाम निम्नलिखित है।

18 पुराण के नाम – 18 Puran ke Name

18 Puran ke Name image
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18 पुराण के नाम – 18 Purano ke name

  • 1. विष्णु पुराण
  • 2. नारदीय पुराण
  • 3. पद्म पुराण
  • 4. गरुड़ पुराण
  • 5. वराह पुराण
  • 6. भागवत पुराण
  • 7. मत्स्य पुराण
  • 8. कूर्म पुराण
  • 9. लिंग पुराण
  • 10. शिव पुराण
  • 11. स्कंद पुराण
  • 12. अग्नि पुराण
  • 13. ब्रह्माण्ड पुराण
  • 14. ब्रह्मवैवर्त पुराण
  • 15. मार्कंडेय पुराण
  • 16. भविष्य पुराण
  • 17. वामन पुराण
  • 18. ब्रह्म पुराण

मान्यता है कि सृष्टि के रचनाकर्ता अर्थात भगवान ब्रह्माजी ने सर्वप्रथम जिस प्राचीनतम धर्मग्रन्थ की रचना की थी उसे पुराण के नाम से जाना जाता है।

पुराण मे श्लोको की संख्या

पुराण नाम श्लोको की संख्या
ब्रह्म पुराण   14000
पद्म पुराण  55000
विष्णु पुराण23000
शिव पुराण24000
श्रीमद्भावत पुराण18000
नारद पुराण25000
मार्कण्डेय पुराण9000
अग्नि पुराण15000
भविष्य पुराण14500
ब्रह्मवैवर्त पुराण18000
लिंग पुराण11000
वाराह पुराण24000
स्कन्ध पुराण21100
वामन पुराण10000
कूर्म पुराण17000
मत्सय पुराण14000
गरुड़ पुराण19000
ब्रह्माण्ड पुराण12000
पुराण मे श्लोको की संख्या

संदर्भ :– विकिपीडिया

पुराणों की मुख्य विशेषताएं

भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण प्राचीन भक्ति-ग्रन्थों के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएँ कही गयी हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण दिया गया है।

पुराण का अर्थ है प्राचीन व्याख्यान अथवा रचना। हमारे सनातन धर्म में सभी धार्मिक ग्रंथों में से पुराण का विशेष महत्व है तथा ये प्राचीनतम ग्रंथों में से एक है। इन पुराणों में लिखी बातें और ज्ञान आज भी सही साबित हो रही हैं। पुराण में लिखा ज्ञान हमारी हिन्दू संस्कृति और सभ्यता का आधार है। इस बात से सभी सहमत हैं।

पहला पुराण कौन सा है?

18 पुराण के नाम की लिस्ट में ब्रह्म पुराण सबसे पहला और पुराना पुराण है। ब्रह्म पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी है तथा इस पुराण को महापुराण भी कहते हैं। व्यास जी ने इसे संस्कृत भाषा में लिखा।

ब्रह्म पुराण सब से प्राचीन है। इस पुराण में 246 अध्याय तथा 10000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में ब्रह्मा की महानता के अतिरिक्त सृष्टि की उत्पत्ति, गंगा आवतरण तथा रामायण और कृष्णावतार की कथायें भी संकलित हैं। इस ग्रंथ से सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर सिन्धु घाटी सभ्यता तक की कुछ ना कुछ जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

महर्षि व्यास जी ने ब्रह्म पुराण के 10 हज़ार श्लोकों में कई महत्वपूर्ण बातों और कथाओं के बारे में बताया है, जैसे सृष्टि का जन्म कैसे हुआ, धरती पर जल की उत्पत्ति कैसे हुई, ब्रह्मा जी और देव दानवों का जन्म कैसे हुआ, सूर्य और चन्द्र के वंशज कौन थे, श्री राम और कृष्ण की अवतार गाथा, ब्रह्म पूजन विधि, माँ पार्वती और शिव जी के विवाह, विष्णु जी की पूजन विधि, श्राद्ध, भारतवर्ष आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है।

इसमें अनेक तीर्थों के बारे में सुन्दर और भक्तिमय,की व्याख्या भी दिए गए है, साथ ही इस पुराण में कलयुग का भी विवरण दिया गया है। ब्रह्म देव् को आदि देव भी कहते है इसलिए इस पुराण को आदि पुराण के नाम से भी जाना जाता है।

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आज हमने इस लेख मे 18 पुराणों के नाम, उपपुराणो के नाम, पुराणो की विशेषताएं एवं पुराणो मे उपस्थित श्लोको की संख्या जाना, यह लेख आपके लिये कितना ज्ञानवर्धक रहा कमेन्ट मे अपने विचार अवश्य बताये।

2 thoughts on “18 पुराण के नाम एवं श्लोको की संख्या जानें, सबसे प्राचीनतम हिंदू धर्म ग्रंथों मे है इनकी गणना”

  1. vinod prasad

    सुंदर बहुत ही सुंदर बातें आपने भी लिखी है जो दिल को छू जाती है

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